मोटापे का उपचार Treatment of obesity
उपचार - 1:Treatment - 1:
भोजन के साथ प्याज और कच्चे लहसुन की 2 कलियाँ खाने से कोलेस्ट्रोल नियंत्रित होता है और मोटापा भी कम होता है|
Cholesterol is controlled by eating 2 buds of onion and raw garlic with food and obesity is also reduced.
उपचार - 2:Treatment - 2:
2 चम्मच नीम्बू का रस, थोडा सा काली मिर्च का पाउडर और 1चम्मच शहद को 1 गिलास पानी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेने से मोटापा कम होता है|
Mixing 2 teaspoons of lemon juice, a little black pepper powder and 1 teaspoon honey in 1 glass of water, taking on an empty stomach daily in the morning reduces obesity.
उपचार - 3:Treatment - 3:
हरा पुदीना चटनी के रूप में, या पुदीने की चाय के रूप में मोटापा कम करने में बहुत सहायक है|
Green mint in the form of chutney, or mint tea is very helpful in reducing obesity.
उपचार - 4:Treatment - 4:
पत्ता गोभी मोटापे को जल्दी कम करने में काफी सहायक है| कच्चा या पका हुआ पत्ता गोभी भोजन में अवशय शामिल करे|
Cabbage is very helpful in reducing obesity quickly. Include raw or cooked cabbage in the food.
उपचार - 5:Treatment - 5:
भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों, फलो और सलाद का भरपूर प्रयोग करे| नाश्ते में टमाटर का सलाद तेजी से वजन कम करने में सहायक है| प्रोटीन युक्त भोजन की मात्रा थोड़ी कर करे|
Use plenty of green leafy vegetables, fruits and salad in your meal. Tomato salad at breakfast is helpful in losing weight fast. Reduce the amount of protein-rich food.
उपचार - 6:Treatment - 6:
हर रोज कम से कम 3 लीटर पानी जरुर पियें| पानी पीने से शरीर से अनावश्यक द्रव बाहर निकाल जाते है|
Drink at least 3 liters of water every day. Drinking water removes unnecessary fluid from the body.
उपचार - 7:Treatment - 7:
शारीरिक व्यायाम मोटापे का सबसे अच्छा उपाय है| प्रतिदिन 30मिनट घूमना या 1 घंटे चहलकदमी करने से मोटापा कम होने लगता है|Treatment - 7:
Physical exercise is the best remedy for obesity. Walking 30 minutes per day or walking for 1 hour reduces obesity.
उपचार - 8:Treatment - 8:
मिठाई और मीठी चीजो में कैलोरी अधिक होती है जो मोटापा बढाते है, इसलिए मीठे से परहेज करें|
Sweet and sweet things have high calories which increase obesity, so avoid sweets.
उपचार - 9:Treatment - 9:
अदरक, तुलसी और काली मिर्च से बनी चाय दिन में 2-3 बार पीने से भी मोटापा कम होता है|
Drinking tea made of ginger, basil and pepper 2-3 times a day also reduces obesity.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा, आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।
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