नीरा Neera
ताड़
और खजूर के वृक्षों से निकलने वाले ताजे रस को नीरा कहते हैं। नीरा में
शर्करा (चीनी) और अन्य खनिज लवण काफी मात्रा में पाये जाते हैं। नीरा को
पीने से ताजगी आती है और मन खुश रहता है। नीरा पीने से जरा-सा भी नशा नहीं
आता है, लेकिन ताड़ी पीने से थोडा बहुत नशा आ जाता है, क्योंकि खमीरीकरण के
चलते इसमें लगभग चार फीसदी एल्कोहल पैदा हो जाता है।
Neera is the fresh juice coming out of palm and palm trees. Sugars (sugar) and other mineral salts are found in plenty in Neera. Drinking Neera brings freshness and makes the mind happy. Drinking neera does not cause even a slight intoxication, but drinking toddy brings a little intoxication, because of the fermentation, it produces about four percent alcohol.
नीरा पीने में मीठी और
काफी स्वादिष्ट होती है। नीरा में पाये जाने वाले पोषक तत्व : नीरा में जल
84.72 प्रतिशत, कार्बोहाड्रेट 14.35 प्रतिशत, प्रोटीन 0.10 प्रतिशत, वसा
0.17 प्रतिशत और खनिज-लवण 0.66 प्रतिशत होता है। खनिज-लवण के रूप में इसमें
कैल्शियम, लोहा, पोटैशियम, सोडियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता
है। इसमें विटामिन-सी और विटामिन- `बी´ कॉम्प्लेक्स अधिक मात्रा में मौजूद
होता है।
Neera is sweet and very tasty to drink. Nutrients found in Neera: Neera contains water 84.72 per cent, carbohydrate 14.35 per cent, protein 0.10 per cent, fat 0.17 per cent and mineral salts 0.66 per cent. Calcium, iron, potassium, sodium and phosphorus are found in plenty in it in the form of mineral-salts. Vitamin-C and vitamin-B complex are present in excess in it.
हर 100 ग्राम या 100 मिलीलीटर नीरा से 110 कैलोरी एनर्जी मिलती
है। नीरा का गुरुत्व 1.7 प्रतिशत होता है यानि यह सामान्य पानी से कुछ ही
अधिक भारी होता है। नीरा न तो अम्लीय होता है और न ही क्षारीय होता है।
Every 100 grams or 100 milliliters of neera gives 110 calories of energy. The gravity of Neera is 1.7 percent i.e. it is slightly heavier than normal water. Neera is neither acidic nor alkaline.
गुण (Property)
नीरा
का सेवन करने से कब्ज और पेट के रोग दूर होते हैं। नीरा के सेवन से खून
में हीमोग्लोबिन की बढ़ोत्तरी होती है। इसलिए खून की कमी वाले रोगियों यह
बहुत लाभकारी है।
Constipation and stomach diseases are eliminated by taking Neera. Consumption of neera leads to increase in hemoglobin in the blood. Therefore, it is very beneficial for patients with anemia.
हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)
पेड़
से उतारने के तुरन्त बाद नीरा का सेवन करना चाहिए। क्योंकि ज्यादा देर
करने से बाहरी हवा लगने से नीरा अपने-आप ही धीरे-धीरे ताड़ी का रूप धारण कर
लेती है।
Neera should be consumed immediately after taking it off the tree. Because of the delay in getting external air, Neera gradually takes the form of toddy.
Dr.Manoj Bhai Rathore Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
yourselfhealthtips.blogspot.com
आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
Comments
Post a Comment