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B-HIV / AIDS बी- एच आई वी/एड्स

एच आई वी और एड्स क्या है? What is HIV and AIDS?

एड्स का अर्थ है अर्जित रोधन अभाव संलक्षण (Acquired Immune Deficiency Syndraoure) एड्स एच आई वी (मानव की रोधनक्षमता को कमजोर करने वाला वायरस) से होता है जो कि शरीर की रोधनक्षमता पर प्रहार करताहै जिसका काम शरीर को छूत या संक्रामक रोगों से बचाना होता है। इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स वाले लोग भयानक छूत के रोगों और कैंसर आदि से पीड़ि हो जाते हैं।

AIDS means Acquired Immune Deficiency Syndraoure Aids are caused by HIV (a human weakening virus) that attacks the immunity of the body, whose job is to protect the body from contagion or infectious diseases. is. Without this protective shield, people with AIDS suffer from terrible contagious diseases and cancer etc.

यह कैसे फैलता है? How does it spread?

एक संक्रमित व्यक्ति से एच आई वी क छूत दूसरे व्यक्ति तक वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के देने-लेने से पहुंचती है। यह (1) यौन परक सम्भोग (2) एक इंजैक्शन की सुई का दूसरे व्यक्ति के लिए प्ररयोग करने से (3) एक संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म या उसके आसपास के समय में पहुंचाता है।

The fingering of HIV from one infected person reaches another person by semen, vaginal discharge or blood transfusions. It is (1) sexual intercourse (2) using an injection needle for another person (3) from an infected mother to her child at the time of birth or nearby.

क्या मौखिक सम्भोग से एच आई वी की छूत लग सकती है? Can oral intercourse cause HIV fingering?

हालांकि मौखिक सम्भोग से भी संक्रमण की सम्भावना रहती है परन्तु औरत या पुरूष के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध रखने से जरो खतरा होता है वह कहीं अधिक रहता है।

Though there is a possibility of infection by oral sex too, but there is a danger due to unprotected sex with a man or woman.

क्या गुदापरक असुक्षित सम्भोग से योनिपरक एवं मौखिक सम्भोग की अपेक्षा एच आई वी का खतरा अधिक रहता है? Is the risk of HIV higher than vaginal and oral sex with anal sex?

अन्य किसी प्रकार के यौन सम्भोगों की अपेक्षा असुरक्षित गुदापरक सम्भोग में निश्चय ही खतरा अधिक रहता है। मलाशय के अस्तर में योनि की अपेक्षा कम सैल होते हैं, इसलिए उसमेंचोट लग सकती है और सम्भोग के समय रक्त निकल सकता है। वहां से वह संक्रमित वीर्य या रक्त शरीर के मुख्य रक्त प्रवाह में प्रवेश पा सकता है।

The risk is definitely greater in unprotected anal sex than in any other type of sexual intercourse. The lining of the rectum has fewer cells than the vagina, so it can be painful and blood can come out during sexual intercourse. From there, he can enter infected semen or blood into the main bloodstream of the body.

एच आई वी किस प्रकार से नहीं मिल फैलता?How does HIV not get spread?

प्रतिदिन के सामाजिक सम्पर्कों से एच आई वी दूसरे तक नहीं पहुंचता जैसे कि (1) एक ही टॉयलेट का प्रयोग (2) बर्तनों की साझ्दारी (3) सामाजिक अभिव्यक्ति हाथ मिलाना, गले मिलना आदि (4) मच्छर जैसे कीड़ों के काटने या पालतू पशुओं से (5) खांसी/छीकों से।

HIV does not reach the other through everyday social interactions such as (1) use of the same toilet (2) sharing of utensils (3) social expression shaking hands, hugs etc. (4) insect bites such as mosquitoes or pets From (5) cough / sneezes.

टैटू लगवाते हुए, शरीर मे कोई छेद कराते हुए या नाई के पास जाने में क्या अच आई वी की छूत लग सकने का कोई खतरा होता है? Is there any risk of fingering a good IV while getting tattooed, making a hole in the body or going to a hairdresser?

यदि रक्त से सने औजारों को एक ग्राहक से दूसरे ग्राहक को लगाने से पहले रोगाणुविहीन न किया जाए तो एच आई वी क छूत लगने का खतरा रहता है। एक बार प्रयोग करके फेंक दिए जाने वाले ब्लेडों का इस्तेमाल करके इससे बचा जा सकता है।

If blood-stained tools are not sterilized before applying them from one customer to another, then there is a risk of HIV contagion. This can be avoided by using blades once used.

क्या चुम्बन द्वारा एच आई वी संक्रमण होता है? Does a kiss cause HIV infection?

एच आई वी सेसंक्रमित लोगों के मुख की लार में हालांकि वाइरस हो सकता है पर लार से एच आई वी का संक्रमण नहीं होता। यदि सम्भोग के साथियों के मुंह में कुछ कटा हो या दाने हो या मसूड़ों से खून आ रहा हो तो हो सकता है कि संक्रमित खून दूसरे में चला जाये इसलिए गहन चुम्बन से परहेज करना चाहिए।

Although the saliva of infected people with HIV may have a virus, saliva does not cause HIV infection. If there is some bite or rash in the mouth of the partners, or there is bleeding from the gums, it may be that the infected blood goes into another, so a deep kiss should be avoided.

यदि मुझे एच आई वी है तो कैसे पता चलेगा?How do I know if I have HIV?

एक बहुत ही साधारण सी रक्त की जांच होती है उसे कराने से पता चलता है। इसे एच आई वी ऐन्टीबॉडी टैस्ट कहते हैं। ऐन्टीबॉडी पैदा करके आपका शरीर वाइरस की उपस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करता है। इन ऐन्टीबॉडी को ढूंढ निकालने वाले टैस्ट से पता चलता है कि आप संक्रमित हैं।

A very simple blood test is done that shows that. This is called HIV antibodies test. Your body reacts to the presence of a virus by creating antibodies. Tests that detect these antibodies indicate that you are infected.

एच आई वी टैस्टिंग में 'विंडो पीरियड' क्या होता है? What is the 'window period' in HIV testing?

रक्त में दिखाई देने में इन ऐन्टीबॉडी को 14 सप्ताह या उसे भी अधिक समय लगता है। इस दौरान अगर टैस्ट करवाया जाये तो उसमें वे नहीं दिखेंगे जब कि वास्तव में आप वाइरस से प्रभावत हो सकते हैं।

These antibodies take 14 weeks or even longer to appear in the blood. If the test is done during this time, then they will not be seen in it, when in fact you can be affected by the virus.

 एच आई वी और एड्स में क्या अन्तर है? What is the difference between HIV and AIDS?

एड्स एच आई वी संक्रमण की अत्यन्त विकसित स्थिति है।

AIDS is a highly developed condition of HIV infection.

संक्रमण के एकदम बाद क्या लक्षण प्रकट होते हैं? What symptoms appear immediately after infection?

एच आई वी एड्स से संक्रमित होने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। वाइरस के सम्पर्क मे आने के कई दिन या हफ्तों के बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण दीखते हैं। वे बुखार, सिरदर्द, थकावच और गले की बड़ी हुई ग्रन्थियों की शिकायत करते हैं। एड्स के ये लक्षण सामान्यतः कुछ सप्ताह बाद अपने आप गायब हो जाते हैं।

Many people do not have any symptoms when infected with HIV AIDS. Several days or weeks after exposure to the virus, some people show signs of flu-like illness. They complain of fever, headache, tiredness and enlarged glands of the throat. These symptoms of AIDS usually disappear on their own after a few weeks.

रोग को पनपने में कितना समय लगता है? How long does it take for the disease to flourish?

इसके पनपने का समय हर व्यक्ति में अलग-अलग लगता है। यह स्थिति कुछ महीनों से लेकर दस साल तक चल सकती है। इस अवधि में वाइरस सक्रिय होकर गुणीभूत होता जाता है और रोधनक्षमता के सैल्स को नष्ट कर देता है, शरीस में संक्रमणों से जूझने वाले सीडी 4+या टी 4 सैल को नष्ट कर देता है।

The time of its development varies from person to person. This condition can last from a few months to ten years. During this period, the virus activates and qualifies and destroys immunodeficiency cells, destroying CD4 + or T4 cells that are prone to infections in Sharis.

एच आई वी/एड्स के लक्षण क्या हैं? What are the symptoms of HIV / AIDS?

एक बार जब शरीर की रोधन क्षमता कमजोर हो जाती है, एच आई वी@एड्स से संक्रमित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं - (1) ऊर्जा की कमी (2) वजन घटना (3) बार-बार बुखार और पसीना (4) देर तक या बार बार होने वाली फंगल की छूत (5) देर तक रहने वाला डॉयरिया (6) कुछ समय के लिए विस्मृति (7) मुख, जननेन्द्रिय और गुदा में फोड़े (8) खांसी और श्वास फूलना।

Once the immunity of the body is weakened, the following symptoms are seen in a person infected with HIV @ AIDS - (1) lack of energy (2) weight loss (3) frequent fever and sweating (4) Late or recurrent fungal contusions (5) Long-lived diarrhoea (6) Short-term forgetfulness (7) Abscesses in the mouth, genitals and anus (8) Cough and shortness of breath.

मुझे लगता है कि हो सकता मुझे एच आई वी या एड्स हो। मुझे क्या करना चाहिए? I think I may have HIV or AIDS. What should I do?

अगर तुम्हें ऐसा लगता है या कोई लक्षण दिखता है तो डाक्टर के पास जाओ। हो सकता है आप के रक्त की जांच की जाए। सकारात्मक (पॉजीटिव) रिपोर्ट का अर्थ है कि आपको वायरस लग गया है और आप से दूसरों के पास जा सकता है।

If you feel this or see any symptoms, then go to the doctor. May be check your blood. A positive report means that you have got the virus and can pass from you to others.

इसका उपचार किस प्रकार किया जा सकता है? How can it be treated?

एच आई वी के संक्रमण और एड्स का कोई उपचार नहीं है, इसका वायरस शरीस में जीवन भर रहता है। उनमें से एक है एजेड टी जो किएच आई वी बढ़ने को रोक देता है पर इलाज नहीं है। जो संक्रामक रोग या कैंसर हो जाता है उनके इलाज के लिए दवाएं हैं।

There is no treatment for HIV infection and AIDS, its virus lives in Sharis for a lifetime. One of them is AZT which inhibits growth of IV but is untreated. There are medicines to treat those who become infectious diseases or cancer.



Dr. Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda Doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com


आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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Dr. Manoj Bhai Rathore   Ayurveda Doctor Email id:life.panelbox@gmail.com क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips) Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें yourselfhealthtips.blogspot.com आवश्यक दिशा निर्देश 1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है। 2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है। 3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्...

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