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अण्डकोष की पुष्टि/Testicle confirmation

अण्डकोष की पुष्टि/Testicle confirmation

अण्डकोष की पुष्टि क्या होती है?/What is testicle confirmation?

अण्डकोष के अन्दर या ऊपर जब सूजन हो जाती है या कुछ उग आता है तो उसे अण्डकोष की पुष्टि कहते हैं यह सख्त भी हो सकती है और तरल भी।

When there is swelling or something inside or above the testicle, it is called confirmation of testicle, it can be hard and also liquid.

अण्डकोष की पुष्टि में क्या कैंसर की सम्भावना रहती है?/Is there a possibility of cancer in the testicles?

अण्डकोष मे उग आने वाले पदार्थ अधिकतर कैंसर के नहीं होते।

Most of the substances that grow in the testicles are not cancerous.

अण्डकोष की पुष्टि के लक्षण क्या हैं?/What are the symptoms of testicular confirmation?

अण्डकोष की पुष्टि के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं/Confirmation of testicles may have the following symptoms:- 

(1) अण्डकोष की पुष्टि में अधिकतर औरतों को किन्हीं लक्षणों की अनुभूति नहीं होती, विशेषकर अगर वे छोटे हों। (2) कुछ पुटियां बड़ी हो जाती हैं तो हो सकता है कि उदर में सूजन पैदा करें। (3) पुष्टि कहां पर है, कितनी बड़ी है उसके अनुसार ही मूत्राशय या मल पर दबाव पड़ता है और हो सकता है कि आपको जल्दी-जल्दी (टायलेट) शौचालय में जाना पड़े। 

 (1) In the confirmation of testicles, most women do not feel any symptoms, especially if they are small. (2) If some vesicles become large, it may cause swelling in the abdomen. (3) According to where the confirmation is, how big it is, there is pressure on the bladder or stool and you may have to go to the toilet quickly.

(4) आपको पेट में कुछ कष्ट हो सकता है और सम्भोग भी कष्टदायक या पीड़ा भरा हो सकता है। (5) इसका पीरियड पर भी प्रभाव पड़ सकता है, रक्त स्राव अनियमित हो सकता है, पहले के सामान्य प्रवाह से भारी या हल्का हो सकता है। (6) चेहरे या शरीर पर अधिक बाल आ सकते हैं। (7) आवाज भारी हो सकती है।

(4) You may have some stomach ache and sexual intercourse can also be painful or painful. (5) It can also have an effect on period, bleeding may be irregular, heavier or lighter than earlier normal flow. (6) More hair may come on the face or body. (7) Voice can be heavy.

अण्डकोष की पुष्टि का उपचार क्या है?/What is the confirmed testicular test?

कभी-कभी पुष्टि बनती है और अपने आप गायब भी हो जाती है जबकि कभी-कभी उसे शल्यक्रिया द्वारा निकालना पड़ सकता है। आपका डाक्टर आपको उसकी सभी सम्भावनाओं के सम्बन्ध में समझाएगा।

Sometimes confirmation is made and disappears on its own, while sometimes it may need to be surgically removed. Your doctor will explain to you all the possibilities.

पौलीकायस्टिक ओवरी सिन्डरोम (पी सी ओस) क्या होता है?/What is polycystic ovary syndrome (PC dew)?

पौलीकायस्टिक का सामान्य अर्थ है ^बहुत सी पुटियां^ जो कि अल्टरासाऊण्ड स्कैन से अण्डकोष पर दिख जाती है।

The common meaning of polycystic is ^ many cysts ^ which are visible on the testicle by ultrasound scan.

पी सी ओस के लक्षण क्या हैं?/What are the symptoms of PC dew?

पी सी ओस के लक्षणों में शामिल है- (1) पीरियड की अनियमितता या बिल्कुल न होना (2) अनउर्वरकता (3) शरीर पर अनपेक्षित बाल (4) मुंहासे (5) वजन बढ़ना (6) पेट में तकलीफ।

Symptoms of PC dew include- (1) Periodic irregularity or no at all (2) Anorexia (3) Unexplained hair (4) Acne (5) Weight gain (6) Abdominal discomfort.

पी सी ओस का उपचार क्या है?/What is the treatment of PC dew?

पी सी ओस का उपचार हॉरमोन परक दवाओं या शल्यक्रिया द्वारा हो सकता है। उपचार किस प्रकार किया जाए इसका निर्णय डाक्टर कर सकता है।

PC dew can be treated with hormonal drugs or surgery. The doctor can decide how to treat.



Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda Doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com


आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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