Skip to main content

Burn treatment जलने पर उपचार

जलने पर उपचार Burn treatment

 

उपचार - 1:Treatment - 1:

तारपीन का तेल और कपूर को बराबर मात्रा में लेकर मिलाये, इस मिश्रण का लेप जले हुए स्थान पर करे, शीघ्र ही जलन में राहत मिलेगी

Mix turpentine oil and camphor in equal quantity, apply this mixture on the burnt area, it will soon relieve the burning sensation.

उपचार - 2:Treatment - 2:

आलुओ को कूटकर, पीसकर लुगदी बना ले, इस लुगदी को जले हुए स्थान पर लेप करे, जलन शीघ्र ही शांत होगी

Grind the aluo, grind and make a pulp, apply this pulp on the burnt place, the burning sensation will soon be calm.

उपचार - 3:Treatment - 3:

जले हुए स्थान पर, तुरंत शहद का लेप करे, जलन में शीघ्र ही राहत मिलेगी

Apply the honey immediately on the burnt area, it will provide relief in burning sensation soon.

उपचार - 4:Treatment - 4:

जलने के सफ़ेद दाग होने पर, रुई को शहद में भिगो कर सफ़ेद दाग के स्थान पर बांधे, कुछ दिनों तक प्रतिदिन ऐसा करने से दाग दूर हो जाएंगे और त्वचा सामान्य हो जायेगी

After burning white stains, soak cotton in honey and tie it in place of white stains, doing this everyday for few days will remove the stains and the skin will become normal.

उपचार - 5:Treatment - 5:

1 चम्मच शहद में 2 लौंग पीसकर जले हुए स्थान पर लगाए, जलन भी शांत होगी और जले हुए का घाव भी नहीं बनेगा

Grind 2 cloves in 1 teaspoon of honey and apply it on the burnt area, the burning sensation will be calmed and the burnt wound will not be formed.

उपचार - 6:Treatment - 6:

बेर की पत्तियों को थोड़े से दही में पीसे, इस मिश्रण को जले हुए स्थान पर लगाए, जलन शांत होगी और जलने के निशान भी नहीं रहेंगे

Grind the leaves of the plum in a little curd, apply this mixture on the burnt place, the irritation will be calm and there will be no trace of burning.

उपचार - 7:Treatment - 7:

अनार की पत्तियों को पीसकर जले हुए स्थान पर लगाए, कुछ ही मिनटों में जलन शांत हो जायेगी

Grind the leaves of pomegranate and apply it on the burnt place, the burning sensation will be calmed in a few minutes.

उपचार - 8:Treatment - 8:

जलने के तुरंत बाद, नमक का गाढ़ा घोल जले हुए स्थान पर लगाने से छाले नहीं बनते

Immediately after burning, applying a thick salt solution on the burn area does not cause blisters

उपचार - 9:Treatment - 9:

बरगद के 3-4 कोमल पत्तो को गाय के घी में घिसकर लेप तैयार करे, जले हुए स्थान पर इस लेप को लगाए, शीघ्र ही जलन शांत होगी और घाव भी ठीक होगा

Prepare the paste by grinding 3-4 soft leaves of banyan in cow's ghee, apply this paste on the burnt area, soon the irritation will be calmed and the wound will also heal.

उपचार - 10:Treatment - 10:

इमली की लकड़ी को जलाकर उसकी राख बनाये, इस राख को नारियल के तेल में मिलाकर जले हुए स्थान पर लेप करें, जलन भी शांत होगी और घाव भी जल्दी ठीक होगा

Burn the tamarind wood and make its ashes, mix this ash in coconut oil and apply it on the burnt place, the burning sensation will be calm and the wound will also heal quickly.

उपचार - 11:Treatment - 11:

केले का गूदा लेकर उसे जले हुए स्थान पर लगाए, जलन भी शांत होगी और फफोले भी ठीक होंगे

Take banana pulp and apply it on the burnt place, the burning sensation will be calm and the blisters will also be cured.



Dr. Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda Doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com


आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

अमर बेल से विभिन्न रोगों में सहायक Amar Bell helps in various diseases

अमर बेल से विभिन्न रोगों में सहायक Amar Bell helps in various diseases खुजली : अमर बेल को पीसकर बनाए गए लेप को शरीर के खुजली वाले अंगों पर लगाने से आराम मिलता है। Itching: Applying a paste made by grinding immortal vine on the itchy parts of the body provides relief. छोटे कद के बच्चों की वृद्धि हेतु : जो बच्चे नाटे कद के रह गए हो , उन्हें आम के वृक्ष पर चिपकी हुई अमर बेल निकालकर सुखाएं और उसका चूर्ण बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह - शाम पानी के साथ कुछ माह तक नियमित रूप से खिलाएं। For the growth of children of short stature:   Those children who are short in height, dry them out by taking out the immortal vine sticking on the mango tree and make a powder of it in a quantity of 1-1 teaspoon morning and evening with water regularly for a few months. Feed from सुजाक व उपदंश में : अमर बेल का रस दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में इस रोग में पूर्ण आराम मि...

io

Dr. Manoj Bhai Rathore   Ayurveda Doctor Email id:life.panelbox@gmail.com क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips) Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें yourselfhealthtips.blogspot.com आवश्यक दिशा निर्देश 1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है। 2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है। 3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्...

धातुस्राव होने पर इन उपायों को अजमाएं/Try these remedies when there is a mismatch

धातुस्राव होने पर इन उपायों को अजमाएं/ Try these remedies when there is a mismatch १ * आप तुलसी की जड़ सुखाकर उसका चूर्णं बना लें। फिर यह चूर्णं एक ग्राम मात्रा में, एक ग्राम अश्‍वगंधा के चूर्णं में मिलाकर खाएं और ऊपर से दूध पी जाएं, आपको बहुत लाभ होगा। Dry the root of basil and make powder of it. Then eat this powder in one gram quantity, mixed with one gram powder of Ashwagandha and drink milk from above, you will benefit greatly. २ * बीस ग्राम उड़द की दाल का आटा लेकर उसे गाय के दूध में उबालें। फिर इसमें थोड़ा सा घी मिलाकर कुनकुना ही पी जाएं। इसका रोज सेवन करने से पेशाब की नली से धातु स्राव पूरी तरह बंद हो जाएगा। (उड़द की दाल सेक्‍स पावर बढ़ाने और उसकी समस्‍याओं को दूर करने में बहुत सहायक होती है) Take twenty grams of urad dal flour and boil it in cow's milk. Then add a little ghee to it and drink it only. By consuming it daily, the metal secretion from the urine tube will stop completely. (Urad Dal is very helpful in increasing the sex power and to overcome its problems) ३ * ५० ...