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टी.बी.उपचार विधि TB treatment method

टी.बी.उपचार विधि TB treatment method

प्रथम दो से तीन माह स्‍वास्‍थ्‍य पर स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी की सीधी देख-रेख में सप्‍ताह में तीन बार औषधियों का सेवन कराया जाता है। बाकी के चार -पॉंच माह में रोगी को एक सप्‍ताह के लिये औषधियॉं दी जाती है जिसमें से प्रथम खुराक चिकित्‍साकर्मी के सम्‍मुख तथा शेष खुराक घर पर निर्देशानुसार सेवन करने के लिये दी जाती है।

In the first two to three months of health, medicines are consumed thrice a week under the direct supervision of the health worker. In the remaining four-five months, medicines are given to the patient for one week, out of which the first dose is given in front of the medical practitioner and the remaining dose is taken at home as directed.

नियमित और पूर्ण अवधि तक उपचार लेने पर टी.बी. से मुक्ति मिलती है।

TB on treatment for regular and full duration Get rid of.

बचाव के साधन means of escape

  • बच्‍चों को जन्‍म से एक माह के अन्‍दर B.C.G. का टीका लगवायें।
  • Children born within one month from B.C.G. Get vaccinated.
  • रोगी खंसते व छींकतें वक्‍त मुंह पर रूमाल रखें।
  • Put a handkerchief over the mouth while the patient coughs and sneezes.
  • रोगी जगह-जगह नहीं थूंके।
  • The patient did not spit from place to place.
  • क्षय रोग का पूर्ण इलाज ही सबसे बडा बचाव का साधन है।
  • Complete cure of tuberculosis is the biggest means of prevention.

टी.बी रोग विशेषकर (85 प्रतशित) फेंफडों को ग्रसित करता है, 15 प्रतिशत केसेज शरीर के अन्‍य अंग जैसे मस्तिष्‍क, आंतें,  गुर्दे,  हड्डी व जोड इत्‍यादि भी रोग से ग्रसित होते हैं।

TB disease especially (85%) affects the lungs, 15% of other body parts like brain, intestines, kidneys, bone and joints etc. are also affected by the disease.

टी.बी. का निदान कैसे किया जाये?Tb How to diagnose

टी.बी के निदान (पहचान) का सबसे कारगर एवं विश्‍वसनीय तरीका सुक्ष्‍मदर्शी (माइक्रोस्‍कोप) के द्वारा बलगम की जांच करना है क्‍योंकि इस रोग के जीवाणु (बेक्‍ट्रेरिया) सुक्ष्‍मदर्शी द्वारा आसानी से देखे जा सकते हैं।

The most effective and reliable method of diagnosis (detection) of TB is to examine the mucus through a microscope as the bacteria of this disease (bacteremia) can be easily observed by microscope.

टी.बी रोग के निदान के लिये एक्‍स-रे करवाना, बलगम की जॉंच की अपेक्षा मंहगा तथा कम भरोसेमन्‍द है, फिर भी कुछ रोगियों के लिये एक्‍स-रे व अन्‍य जॉंच जैसे बायोपसी सी.टी. स्कैन की आवश्‍यकता हो सकती है।

Having an X-ray for diagnosis of TB disease is more expensive and less reliable than a mucus test, yet for some patients, X-rays and other tests such as biopsy CT. Scan may be required.

क्‍या सभी प्रकार के क्षय रोगियों के लिये डोट्स कारगर है?

Is dots effective for all types of TB patients?

डॉट्स पद्वति के अन्‍तर्गत सभी प्रकार के क्षय रोगियों को तीन समूह में विभाजित कर (नये धनात्‍मक गम्‍भीर रोगी पुरानी व पुनः उपचारित क्षय रोगी और नये कम गम्‍भीर रोगी) उपचारित किया जाता है। सभी प्रकार के क्षय रोगियों का पक्‍का इलाज डाट्स पद्वति से सम्‍भव है।

Under the DOTS system, all types of TB patients are treated by dividing them into three groups (new positive serious patients, old and re-treated TB patients and new less serious patients). Sure treatment of all types of TB patients is possible through DATS method.


Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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