Measures to get rid of impotence and regain masculinity नपुसंकता दूर कर मर्दांगनी वापस पाने के उपाय
- तिल और गोखरू दूध में उबालकर पीने से बहुत लाभ होता है।
- Boiling sesame seeds and milk in milk is very beneficial.
- दो सौ ग्राम लहसुन पीसकर उसमें ६०० ग्राम शहद मिलाकर एक साफ जार में भर कर अच्छी तरह ढक्कन बंद करके गेहूं की बोरी में रख दें। फिर तीस दिन बाद उसे बोरी से बाहर निकालें और Grind two hundred grams of garlic, mix 400 grams of honey in it and fill it in a clean jar and close the lid and keep it in the sack of wheat. Then thirty days later take it out of the sack and
१० ग्राम की मात्रा में चालीस पचास दिनों तक रोज सेवन करने से नपुसंकता दूर होती है और खोयी हुई मर्दांगनी वापस आ जाती है।
Eating gram quantity daily for forty to fifty days removes impotence and brings back the lost meningitis.
- पन्द्रह ग्राम तुलसी के बीज और ३० ग्राम सफेद मूसली का पाउडर तैयार करें। फिर इसमें ६० ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और बोतल में भरकर रखें। इस पाउडर को ५ ग्राम रोज सुबह शाम दूध के साथ पिएं।
- Prepare fifteen gram basil seeds and 30 grams white musli powder. Then grind 80 grams of sugar candy in it and fill it in a bottle. Drink 5 grams of this powder daily with milk in the morning and evening.
- बेल की १०-१५ पत्तियां, २ बादाम गिरी और डेढ़ सौ ग्राम चीनी। इन तीनों को पीसकर उसमें पानी डालकर धीमी आंच पर पकाएं और एक चौथाई पानी रह जाने पर उतार लें और ठंडा करके पिएं।
- 10-15 leaves of vine, 2 almonds fall and 150 grams of sugar. Grind these three and add water to it and cook on low flame and remove it when one fourth of the water remains and drink it after cooling.
- २० मिलीग्राम सफेद प्याज़ का रस, १० ग्राम शहद और ३ मिलीग्राम अदरक का रस व २ ग्राम घी लेकर सभी चीजों को एक साथ मिलाकर २० - २५ दिनों तक लेने से नपुसंकता दूर होती है।
- Taking 20 milligrams of white onion juice, 10 grams of honey and 3 milligrams of ginger juice and 2 grams of ghee and mixing it all together for 20 to 25 days removes impotence.
- नारियल के चूरे को बरगद के दूध की ५ – ६ बूंद मिलाएं, फिर इस मिश्रण में ३ टी-स्पून शहद मिलाकर सेवन करें। इससे मर्दांनगी बढ़ेगी।
- Add 5 - 4 drops of banyan milk to coconut powder, then add 3 t-spoon honey to this mixture and consume it. This will increase masculinity.
- जंगली पालक के १०० ग्राम बीज का पाउडर बना लें। फिर लगभग ढाई ग्राम पाउडर दिन में तीन बार एक कप दूध के साथ लें। लगभग डेढ़ महीने तक सादा खाना खाएं। आपको बहुत आराम मिलेगा।
- Make 100 grams of seed powder of wild spinach. Then take about two and a half grams of powder three times a day with a cup of milk. Eat plain food for about one and a half months. You will get a lot of rest.
Dr. Manoj Bhai Rathore
Ayurveda Doctor
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क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा, आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।
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