अच्छी नींद आने का उपाय Ways to sleep well
उपचार - 1:Treatment - 1:
शांत मन से सोये, नींद जल्दी और अच्छी आएगी, सोते समय मन में विचारो की उथल_पुथल न रखे.
Sleep with a calm mind, sleep will come quickly and well, do not keep the turmoil in your mind at bedtime
उपचार - 2:Treatment - 2:
सर्पगंधा धन बाटी की 2 गोलियां रात को पानी के साथ लेने से भी नींद जल्दी और अच्छी आती है, साथ ही ब्लड प्रेशर में भी राहत मिलती है
Taking 2 tablets of Sarpagandha Dhan Baati with water at night also helps to get quick and good sleep, as well as relief in blood pressure.
उपचार - 3:Treatment - 3:
शयन कक्ष में हलके नीले या हलके हरे रंग के नाईट लैंप का प्रयोग करे, तेज प्रकाश न रखे, अँधेरे कमरे में अच्छी नींद आती है
Use light blue or light green night lamps in the bedroom, do not keep bright light, sleep well in dark room
उपचार - 4:Treatment - 4:
काली मिर्च और कस्तूरी को समान मात्रा में लेकर पानी में घिसे, फिर आँखों में लगा ले, शीघ्र ही नींद आ जायेगी
Take the same amount of pepper and musk and rub it in water, then apply it in the eyes, you will sleep soon.
उपचार - 5:Treatment - 5:
काकजंघा की जड़ को सर पर धारण करने से नींद जल्दी आती है
Wearing the root of Kakajangha on the head causes sleepiness.
उपचार - 6:Treatment - 6:
सोने से पहले, हाथ-पैर और मुँह धो ले, इससे भी जल्दी और अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी
Before bed, wash hands and feet and mouth, it will also help in getting quick and good sleep.
उपचार - 7:Treatment - 7:
सोने से पहले, कुछ पत्रिकाएं अथवा किताबे पढ़े, पढ़ने से मन शांत होता है, और नींद भी जल्दी आती है
Before going to bed, read some magazines or books, reading it calms the mind, and sleep also comes quickly.
उपचार - 8:Treatment - 8:
सर्पगंधा जड़ का 2 ग्राम चूर्ण पानी के साथ ले, नींद आने में सहायक है
Take 2 grams powder of Serpagandha root with water, helps in sleeping
उपचार - 9:Treatment - 9:
रात को हल्का भोजन करे, और सोने से 2 घंटे पहले खाना खाएं, ताकि सोने के समय तक भोजन पच जाए
Eat light food at night, and eat it 2 hours before bedtime, so that the food is digested by bedtime
Dr. Manoj Bhai Rathore
Ayurveda Doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा, आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।
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