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Blennenteria श्वेत प्रदर

श्वेत प्रदर होने पर स्त्री की योनि से सफेद रंग का चिकना स्त्राव पतले या गाढ़े रूप में निकलने लगता है| इस प्रदर में तीक्ष्ण बदबू उत्पन्न होती है| ऐसे में दिमाग कमजोर होकर सिर चकराने लगता है| स्त्री को बड़ी बैचेनी एवं थकान महसूस होती है|

When white leucorrhoea, the smooth discharge of white color from the woman's vagina starts coming out in a thin or thick form. The pungent odor is produced in this leucorrhoea. In such a situation, the brain weakens and starts moving the head. A woman feels very restless and tired.


कारण cause

खून की कमी, चिन्ता, शोक, भय, सम्मान की कमी, अधिक सम्भोग, भावनात्मक कष्ट, अजीर्ण, कब्ज, मूत्राशय की सूजन आदि कारणों से स्त्रियों को श्वेत प्रदर हो जाता है|

Women get white leucorrhoea due to lack of blood, anxiety, bereavement, fear, lack of respect, excessive sex, emotional distress, indigestion, constipation, bladder inflammation etc.


पहचान identification

योनि मार्ग से सफेद रंग का पतला-पतला स्त्राव निकलता है| कभी-कभी गाढ़ा लेसदार स्त्राव चिपचिपे श्लेष्मा के साथ निकलने लगता है| इस रोग में भूख नहीं लगती| पेट में भारीपन, सिर दर्द, शरीर में दर्द, उत्साह का खत्म हो जाना, जलन, योनि में खुजली तथा दुर्गंध आने लगती है| स्त्री दिन-प्रतिदिन कमजोर होती चली जाती है| शरीर में हड़फूटन पड़ती है तथा कमर में बड़ी तेजी से दर्द होता है|

Thin-white discharge of white color comes out from the vagina. Sometimes thick-leaved effluent starts coming out with a sticky mucosa. There is no appetite in this disease. Abdominal heaviness, headache, body ache, euphoria, burning sensation, vaginal itching and foul smell begin. Woman gets weaker day by day. There is a hammering in the body and there is pain in the waist very fast.


नुस्खे 
Tips:-

  • 10 ग्राम मुलहठी तथा 20 ग्राम चीनी - दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें| आधा चम्मच चूर्ण सुबह और आधा चम्मच शाम को दूध के साथ सेवन करें|
  • सूखे हुए चमेली के पत्ते 4 ग्राम और सफेद फिटकिरी 15 ग्राम - दोनों को खूब महीन पीस लें| इसमें से 2 ग्राम चूर्ण शक्कर में मिलाकर रात के समय फांककर ऊपर से दूध पी लें| इससे श्वेत प्रदर ठीक हो जाता है| जब तक प्रदर न रुके, यह दवा नियमित रूप से लेते रहना चाहिए|
  • पके हुए केले में 1 ग्राम फिटकिरी का चूर्ण भरकर दोपहर के समय उसे खूब चबा-चबाकर खाएं| इससे सफेद प्रकर रुक जाएगा|
  • पेट पर ठंडे पानी का कपड़ा 10 मिनट तक रखें| श्वेत प्रदर में यह लाभकारी रहता है|
  • अशोक की छाल 50 ग्राम लेकर उसे लगभग 2 किलो पानी में पकाएं| जब पानी आधा किलो की मात्रा में रह जाए तो उसे उतारकर छान लें| ठंडा करके इसमें दूध मिलाकर घूंट-घूंट पिएं| श्वेत प्रदर रोकने की यह अचूक दवा है|
  • गुलाब के पांच फूल मिश्री के साथ मिलाकर खिलाएं| ऊपर से गाय का आधा किलो दूध दें|
  • अरहर के आठ-दस पत्ते सिल पर पानी द्वारा पीस लें| इसमें थोड़ा-सा सरसों का तेल पकाकर मिलाएं| फिर थोड़ी चीनी डालकर सेवन करें|
  • एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ चाटना चाहिए|
  • अनार के सूखे छिलके एक चम्मच की मात्रा में ठंडे पानी से सेवन करें|
  • दो चम्मच मूली के पत्तों का रस नित्य पीने से श्वेत प्रदर का रोग ठीक हो जाता है|
  • 10 ग्राम आंवले का गूदा 2 ग्राम जीरा - दोनों को खरल करके लें|
  • सिंघाड़े के आटे की रोटी पर देशी घी लगाकर कुछ दिनों तक खाएं|



Dr. Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda Doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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