पुरूषों में नपुंसकता के लक्षण Symptoms of impotence in men
पुरुषों में बांझपन या नपुंसकता के लक्षण ढूंढ़ना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर नपुंसकता का कारण शरीर में उपलब्ध हार्मोंस में गड़बड़ी या इनकी कमी के कारण होती है।
It is very difficult to find signs of infertility or impotence in men. Impotence is usually due to disturbances or lack of hormones available in the body.
हार्मोंस में बदलाव के कारण भी पुरुषों में यह समस्या हो सकती है। कई बार जो पुरूष हुष्ट-पुष्ट है किसी दुर्घटनावश वह नंपुसक भी हो सकता है। इसीलिए नपुंसकता के लक्षणों को जानना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी कुछ सामान्य सी बातों को जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पुरूष नंपुसक है या नहीं। आइए जानें पुरूषों में नपुंसकता के लक्षणों को।
This problem can also occur in men due to changes in hormones. Many times, a man who is strong and accidental can also be impotent. That is why it is very difficult to know the symptoms of impotence. But still knowing some common things, you can guess whether the man is a nymph or not. Let us know the symptoms of impotence in men.
ऐसे पुरुष में नपुंसक होने के लक्षण मौजूद होते हैं, जो संभोग के समय में सही तरीके से यौन क्रियाएं नही कर पाता या फिर बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है।
दरअसल नपुंसकता का संबंध सीधे तौर पर ज्ञानेन्द्रियों से होता है, ऐसे में पुरुष कई बार इस बारे में जागरूक नहीं हो पाते तो कई बार संकोचवश डॉक्टर से इस बारे में परामर्श नहीं ले पातें। जिससे ये रोग बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। नपुंसक व्यक्ति की महिला साथी कभी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो पाती।
Symptoms of impotence are present in a man, who is unable to perform sexual activities properly at the time of sexual intercourse or is discharged very quickly.
In fact, impotence is directly related to the senses, in such a way that men are unable to become aware of it many times, then sometimes they do not hesitate to consult the doctor about it. Due to which the chances of getting these diseases increases. The female companion of the eunuch is never fully satisfied.
कुछ लोग नपुंसक नहीं भी होते लेकिन घबराहट और मन में डर या किसी मानसिक बीमारी आदि के कारण वे उत्तेजित नहीं हो पाते। भविष्य में यही डर और घबराहट ऐसे पुरुषों को नपुंसक बना देता हैं और घबराहट के कारण यह अपनी पार्टनर से दूर-दूर रहने लगते हैं।
Some people are not impotent but due to nervousness and fear in the mind or any mental illness etc. they are not able to get excited. This fear and nervousness in the future make such men impotent and due to nervousness they start living far away from their partners.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda Doctor
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा, आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।
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