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महिलाओं की प्रजनन क्षमता Fertility of women

महिलाओं की प्रजनन क्षमता Fertility of women

 भरपूर नाश्‍ता करने की आदत आपको सेहतमंद बनाती है। इससे पहले कुछ शोधों से यह पता चला है कि सुबह के समय नाश्‍ता न करने की आदत आपको मोटा भी बना सकती है। एक नए अध्‍ययन से सामने आया है कि भरपूर नाश्‍ता करने से महिलाओं के मां बनने की संभावना बढ़ सकती है।शोध में कहा गया है कि भरपूर नाश्‍ता करने से महिलाओं की उर्वरता संबंधी समस्‍या दूर होती है। शोध के मुताबिक सुबह के समय में व्‍यस्‍तता अधिक होने के कारण महिलाओं को नाश्‍ता करने का वक्‍त नहीं मिल पाता, जिसका सीधा असर उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है।

 The habit of rich breakfast makes you healthy. Earlier some research has shown that the habit of not having breakfast in the morning can also make you fat. A new study has revealed that having rich breakfast can increase the chances of women becoming mothers. The research states that having rich breakfast can help overcome the fertility problem of women. According to research, women are unable to get breakfast during the morning hours due to excess busyness, which directly affects their fertility.

 शोधकर्ताओं ने बताया कि शाम की बजाय सुबह के वक्‍त अधिक कैलोरी वाला खाना प्रजनन से जुड़ी समस्‍याओं से निपटने में सहायक होता है। अनियमित माहवारी की परेशानी से जूझ रही महिलाएं अच्‍छे नाश्‍ते के जरिए अपनी प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती हैं।

 Researchers said that eating more calories in the morning rather than in the evening is helpful in dealing with problems related to reproduction. Women struggling with irregular menstrual periods can increase their fertility through a good breakfast.

 शोध में इस बात की भी जांच की गई कि क्‍या खाने का समय पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (पीसीओएस) के कारण माहवारी की समस्‍या से परेशान महिलाओं की उर्वरता पर कुछ असर डालता है या नहीं। पीसीओएस का असर छह से 10 फीसदी महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।

 The research also examined whether eating time had any effect on the fertility of women suffering from menstrual problems due to polycystic ovary syndrome (PCOS). The effect of PCOS affects the fertility of six to 10 percent of women.

यह सिंड्रोम महिलाओं के शरीर में प्रतिरोधी इन्‍सुलिन बनाता है और माहवारी में अनियमितता, सिर के बाल कम होना, शरीर के बाल बढ़ना, मुंहासे और डायबिटीज का भी कारण होता है। शोध में 25 से 39 वर्ष तक की 60 महिलाओं को शामिल किया गया था। वॉल्‍फसन मेडिकल सेंटर में 12 सप्‍ताह तक चले इस शोध में पीसीओएस से प्रभावित महिलाओं को ही रखा गया था।

 This syndrome makes resistant insulin in the body of women and also causes irregular menstruation, loss of head hair, growth of body hair, pimples and diabetes. The research included 60 women aged 25 to 39 years. This research, which lasted 12 weeks at the Wolfson Medical Center, excluded women affected by PCOS.

 शोधकर्ताओं ने महिलाओं को दो समूहों में बांटा और उन्‍हें प्रतिदिन खाने में 1,800 कैलोरी दी। उन्‍होंने पाया, जो समूह सुबह अधिक कैलोरी ले रहा था, उनमें ग्‍लूकोज और प्रतिरोधी इन्‍सुलिन का स्‍तर आठ प्रतिशत तक कम हो गया। जबकि दूसरे समूह में इस तरह का कोई अंतर नहीं दर्ज किया गया। जिसके आधार पर कहा गया कि सुबह में भरपूर नाश्‍ता करने का असर प्रजनन क्षमता पर पड़ता है।

 The researchers divided the women into two groups and gave them 1,800 calories per day. He found that in the group that was consuming more calories in the morning, the levels of glucose and resistant insulin were reduced by eight percent. While no such difference was reported in the other group. Based on which it is said that having breakfast in the morning has a great effect on fertility.



Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda Doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com


आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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