Skip to main content

अशोक के पेड़ के औषधीय लाभ Medicinal Benefits of Ashoka

अशोक के पेड़ के औषधीय लाभ Medicinal Benefits of Ashoka

स्त्री रोग (Ashoka for Gynecological Problems)

स्त्री की माहवारी में हुई गड़बड़ी जैसे ज्यादा ब्लीडिंग और दर्द में अशोक के पत्ते और छाल से बनी दवा काफी असरदार होती है। पेट के दर्द, मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और गर्भाशय में ऐंठन समेत स्त्री के सभी रोगों में अशोक के पत्ते और छाल से बनी दवाइयां काफी फायदेमंद होती है।

A medicine made from Ashoka's leaves and bark is very effective in disturbing the menstrual period, such as excessive bleeding and pain. Medicines made from Ashoka leaf and bark are very beneficial in all diseases of the woman, including abdominal pain, menstrual pain and uterine cramps.

अशोकारिष्ट स्त्री रोग के इलाज के लिए काफी प्रचलित दवा है। यह गर्भाशय की बिमारियों के लिए टॉनिक है। गर्भपात और अनियमित माहवारी से हुई परेशानी में यह काफी असरदार है। आयुर्वेद में ल्यूकोरिया, सिस्ट और कफ के लिए अशोका के पत्ते और छाल से बनी दवाओं को नियमित रुप से सेवन करने की सलाह दी गई है।

ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम (Ashoka for Blood Circulation System)

अशोक से बनी दवाइयों के सेवन से ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम या रक्त परिसंचरण तंत्र ठीक रहता है और इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम रहता है। इससे हार्ट की मांसपेशियां भी मजबूत रहती है।

Consumption of medicines made from Ashoka keeps the blood circulation system or blood circulation system healthy and reduces the risk of heart diseases. This makes the heart muscles also strong.

किडनी और पेशाब संबधी रोग (Ashoka for Kidney and Urine Related Diseases)

अशोका के पत्तों और छाल से बनी दवाइयों के सेवन से पेशाब संबधी रोग दूर होते हैं। खासकर पेशाब करने के दौरान दर्द, और पेशाब के रास्ते में पथरी होने पर इससे बनी दवाई काफी फायदेमंद होती है। इसके सेवन से किडनी भी ठीक से काम करती है।

Urine diseases are cured by taking medicines made from Ashoka leaves and bark. Especially during urination, pain in the urine and stones in the path of urination are very beneficial. Kidney also works properly due to its intake.

पेचिश (Ashoka for Dysentery)

अशोक के फूल से निकली रस पेचिश और शूल की अचूक दवा है। खासकर अगर पाखाने के साथ खून, आंव और पोटा आ रही है तो अशोक के फूल से निकले रस के सेवन से यह हमेशा के लिए ठीक हो जाती है।

The juice extracted from Ashoka's flower is a good medicine for dysentery and colic. Especially if blood, amoe and pout is coming with the blood, then it is cured forever by taking the juice of Ashoka flower.
 
बवासीर (Ashoka for Piles)

बवासीर के लिए अशोक के छाल से बनी दवा रामबाण की तरह काम करती है। यह दवा बनाने के लिए 100 ग्राम छाल से बने पाउडर, आधा लीटर पानी और 50 एमएल दूध चाहिए। तीनों को मिला कर तब तक उबालें जब तक कि घोल 100 ग्राम के आसपास बच जाए। रोजाना तीन बार इसके सेवन से बवासीर खत्म हो जाती है।

A medicine made from Ashoka's bark works like a panacea for piles. To make this medicine, a powder made from 100 grams of bark, half a liter of water and 50 mL of milk is needed. Mix all three and boil until the solution remains around 100 grams. Piles ends by taking it thrice daily.

दर्द (Ashoka for Pain)

अशोक के पत्ते और छाल के अर्क में दर्द निवारक गुण होता है। छाल को पीस कर लेप लगाने से चोट और किसी भी तरह के दर्द में आराम मिलती है।

Ashoka leaf and bark extracts have pain relieving properties. Applying a paste on the bark provides relief in injury and any kind of pain.
 
त्वचा संबधी समस्या (Ashoka for Skin Problems)

अशोक के पत्ते और छाल से बने पेस्ट या जूस लगाने से त्वचा में रौनक आती है। अगर स्किन में जलन हो तो भी इसे आजमाएं, काफी ठंढक मिलेगी। यह शरीर से विषैले पदार्थों (Toxins) को बाहर निकालती है और खून को साफ करती है। स्किन एलर्जी में भी यह काम करती है।

Applying a paste or juice made of Ashoka leaf and bark, gives a glow to the skin. If there is a burning sensation in the skin, try it, it will get quite frosty. It removes toxins from the body and cleans the blood. It also works in skin allergies.



Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com


आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

ततैया / मधुमख्खी के काटने पर उपचार Treatment on wasp / bee bite

ततैया / मधुमख्खी के काटने पर उपचार Treatment on wasp / bee bite उपचार - 1: Treatment - 1: काटे हुए स्थान पर तुरंत मिटटी का तेल लगाने से भी जलन शांत होती है, और सूजन भी नहीं आती. Applying soil oil immediately to the cut area also calms the burning sensation, and also does not cause inflammation.  उपचार - 2: Treatment - 2: ततैया के काटने पर, काटे हुए स्थान पर तुरंत नीम्बू का रस लगाए, दर्द, जलन और सूजन तुरंत ही ठीक हो जाएंगे. After cutting the wasp, apply lemon juice on the cut site, pain, burning and swelling will be cured immediately. उपचार - 3: Treatment - 3: ततैया के काटे जुए स्थान पर तुरंत खट्टा अचार मलने से, दर्द और जलन में तुरंत राहत मिलती है Rubbing sour pickles in the wasp's yoke area immediately, relieves pain and burning immediately. Dr.Manoj Bhai Rathore    Ayurveda doctor Email id:life.panelbox@gmail.com...

io

Dr. Manoj Bhai Rathore   Ayurveda Doctor Email id:life.panelbox@gmail.com क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips) Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें yourselfhealthtips.blogspot.com आवश्यक दिशा निर्देश 1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है। 2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है। 3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्...

धातुस्राव होने पर इन उपायों को अजमाएं/Try these remedies when there is a mismatch

धातुस्राव होने पर इन उपायों को अजमाएं/ Try these remedies when there is a mismatch १ * आप तुलसी की जड़ सुखाकर उसका चूर्णं बना लें। फिर यह चूर्णं एक ग्राम मात्रा में, एक ग्राम अश्‍वगंधा के चूर्णं में मिलाकर खाएं और ऊपर से दूध पी जाएं, आपको बहुत लाभ होगा। Dry the root of basil and make powder of it. Then eat this powder in one gram quantity, mixed with one gram powder of Ashwagandha and drink milk from above, you will benefit greatly. २ * बीस ग्राम उड़द की दाल का आटा लेकर उसे गाय के दूध में उबालें। फिर इसमें थोड़ा सा घी मिलाकर कुनकुना ही पी जाएं। इसका रोज सेवन करने से पेशाब की नली से धातु स्राव पूरी तरह बंद हो जाएगा। (उड़द की दाल सेक्‍स पावर बढ़ाने और उसकी समस्‍याओं को दूर करने में बहुत सहायक होती है) Take twenty grams of urad dal flour and boil it in cow's milk. Then add a little ghee to it and drink it only. By consuming it daily, the metal secretion from the urine tube will stop completely. (Urad Dal is very helpful in increasing the sex power and to overcome its problems) ३ * ५० ...