करेले के स्वास्थ्य लाभ Health benefits of bitter gourd
स्वस्थ ह्रदय के लिए करेला
करेला शरीर के खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने में आपकी मदद करता है तथा दिल की बीमारी होने की आपकी संभावनाओं को काफी कम कर देता है। करेला आपके रक्तचाप (blood pressure) के स्तर को बिलकुल सटीक मानदंडों पर रखता है तथा आपके दिल को स्वस्थ बनाए रखता है।
Bitter gourd for a healthy heart
Bitter gourd helps you in reducing the bad cholesterol in the body and reduces your chances of getting heart disease. Bitter gourd keeps your blood pressure level on exactly the right criteria and keeps your heart healthy.
लिवर के स्वास्थ्य के लिए करेले का रस
करेले को पानी के साथ मिलाकर ब्लेंड (blend) करें और इसे निचोड़कर इससे रस को अलग कर लें। लिवर की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए करेले का जूस का सेवन नियमित रूप से करें।
Bitter gourd juice for liver health
Blend bitter gourd with water and blend it and squeeze it and separate the juice from it. To overcome various liver problems, consume bitter gourd juice regularly.
वज़न घटाने के लिए करेला
करेले में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंटस (antioxidants) आपके शरीर के अंदरूनी भाग को बिलकुल साफ कर देते हैं और मेटाबोलिज्म (metabolism) के स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार साबित होते हैं, जिसकी सहायता से आपके वज़न में काफी कमी आती है। यह सामान्य रूप से आपके शरीर के कैलोरी (calorie) के स्तर को भी नियंत्रित करने में सहायता करता है।
Bitter gourd for weight loss
The anti-oxidants present in bitter gourd cleanse the inner part of your body and are helpful in controlling the level of metabolism, which helps in reducing your weight significantly. It also helps in controlling the calorie levels of your body in general.
संक्रमणों से लड़ने के लिए करेला
कडवे करेले के पत्तों को उबालकर इसका सेवन नियमित रूप से करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immune system) पर काफी बेहतरीन प्रभाव पड़ता है और सभी प्रकार के संक्रमणों से निजात मिल जाती है।
Bitter gourd to fight infections
Boiling bitter gourd leaves and consuming it regularly has a very good effect on the body's immune system and gets rid of all types of infections.
किडनी की देखभाल के लिए करेला
करेले के सेवन से मूत्राशय और लिवर दोनों पर ही काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह किडनी में हुई पथरी को ठीक करने में भी काफी कारगर साबित होता है।
Bitter gourd for kidney care
Consumption of bitter gourd has a significant positive effect on both the bladder and liver. It is also very effective in curing kidney stones.
मधुमेह के लिए करेला
करेला मधुमेह दूर करने के गुणों की वजह से भी काफी प्रसिद्ध है। करेले के जूस के फायदे, लिवर की विभिन्न समस्याओं के शिकार व्यक्तियों के लिए करेले का जूस का सेवन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। करेला के फायदे, इसमें काफी कम मात्रा में ग्लूकोस (glucose) और चीनी मिश्रित होती है, और इसी वजह से यह मधुमेह का इलाज करने का रामबाण उपाय साबित होता है।
Bitter gourd for diabetes
Bitter gourd is also very famous for its anti-diabetic properties. Benefits of bitter gourd juice, intake of bitter gourd juice is considered very important for the victims of various liver problems. The benefits of bitter gourd, it contains a very small amount of glucose and sugar mixed, and for this reason it is a panacea to cure diabetes.
तनाव दूर करने के लिए करेला
कडवे करेले में पेट की सारी समस्याओं को दूर करने और इन्हें सुकून प्रदान करने वाले गुण मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से शरीर के आतंरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है, जिसके फलस्वरूप आपको तनाव से भी छुटकारा मिल जाता है।
Bitter gourd to relieve stress
Kadve bitter gourd has the properties to relieve all stomach problems and provide comfort, due to which the internal health of the body improves, due to which you also get rid of stress.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा, आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।
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