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दांत दर्द दूर करने के आयुर्वेदिक नुस्खे Ayurvedic tips to relieve toothache

दांत दर्द दूर करने के आयुर्वेदिक नुस्खे Ayurvedic tips to relieve toothache

दांतों में कृमि (बैक्टीरिया) के कारण दांत दर्द होने पर अकरकरा का बारीक पाउडर मसूढ़ों पर मलने से और खोखले दांतों के जडो में लगाने से दांत के बैक्टीरिया मर जाते है |

In the case of toothache due to worm (bacteria) in the teeth, fine powder of anarkara is rubbed on the gums and by applying hollow teeth in the teeth, teeth bacteria die

बायविडंग, खुरासानी अजवायन और अकरकरा तीनों को 10–10 ग्राम मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बनाकर इसे छानकर रखें। इस पाउडर से मंजन करने पर दांत दर्द और मसूढ़ों की पीड़ा ठीक होती है।

Grind 10 to 10 grams of bividung, Khorasani parsley and Akarakra all in a powder and filter it. By brushing with this powder, toothache and gums ache are cured.

खुरासानी अजवायन और अकरकरा को 5-5 ग्राम मात्रा में लेकर पानी में उबालकर कुल्ले करने से दांत दर्द ठीक होता है।

Boil 5-5 grams of parsley caraway and akara in water and gargle with water to cure toothache.

विजयसार के पत्तो को छाया में सुखाकर पाउडर बना लें। इसमें से 2 ग्राम पाउडर, 5 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर मंजन करने से दांतों का दर्द ठीक होता है।

Dry the leaves of Vijayasar in shade and make powder. Mix 2 grams of this powder with 5 grams mustard oil and brush with it to end toothache.

बायविडंग के पाउडर में थोड़ी-सी हींग मिलाकर दांत की खोखली जगह में रखने से दांत दर्द की समस्या ठीक होती है।

Mixing a little asafetida in the powder of bividings and keeping it in the hollow place of the teeth helps to cure toothache.

तेजबल की छाल को पीसकर बारीक पाउडर बनाकर, उस पाउडर से मंजन करने से दांतों का दर्द ठीक होता है।

Grind the bark of Tejbal and make fine powder, brushing with that powder cures toothache.

कांचनार पेड़ की छाल को जलाकर राख बनाकर बारीक पीस लें। इस पाउडर से मंजन करे दांत दर्द की समस्या से निजात मिलेगी |

Burn the bark of Kanchanar tree and make ashes and grind it finely. Brush with this powder will get rid of the problem of toothache.

नीम की पत्तियों को साफ करके एक गिलास पानी में खूब उबालें और इस पानी से 8-9 दिन कुल्ला करें व 3-4 पत्तियां चबाकर थूक दें। इसके बाद 8-9 दिन तक नीम की दातुन को दांतों से चबाकर इसका रस थूकते रहें। इससे आपके दांत स्वस्थ बने रहेंगे और बार बार दांत दर्द होने की समस्या से मुक्ति मिलेगी |

Clean neem leaves and boil them in a glass of water and rinse with this water for 8-9 days and chew 3-4 leaves and spit them out. After this, chew neem toothbrush with teeth and spit its juice for 8-9 days. This will keep your teeth healthy and relieve the problem of toothache again and again.



Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com


आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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Dr. Manoj Bhai Rathore   Ayurveda Doctor Email id:life.panelbox@gmail.com क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips) Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें yourselfhealthtips.blogspot.com आवश्यक दिशा निर्देश 1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है। 2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है। 3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्...

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