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एसिडिटी का उपचार Treatment of acidity

एसिडिटी का उपचार Treatment of acidity

 उपचार - 1:Treatment - 1:

रात को 1 गिलास पानी में 2 चम्मच सौंफ डालकर उबाल ले, सुबह छानकर उसमे 1 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी शीघ्र नियंत्रित होती है.

Boil 2 spoons of fennel in 1 glass of water at night, filter it in the morning and mix 1 teaspoon of honey in it and drink it. Acidity is controlled quickly.

उपचार - 2:Treatment - 2:

भोजन करते समय नीम्बू पानी पीते रहने से एसिडिटी को दूर किया जा सकता है.

Acidity can be overcome by drinking lemon water while eating.

उपचार - 3:Treatment - 3:

प्रतिदिन सुबह उठकर 1-2 गिलास पानी पीने से भी एसिडिटी में राहत मिलती है

Getting up every morning and drinking 1-2 glasses of water also gives relief in acidity.

उपचार - 4:Treatment - 4:

1 गिलास छाछ में 20-25 ग्राम हरे धनिये का रस मिलाकर पीने से एसिडिटी, बदहजमी से राहत मिलती है.

Mixing 20-25 grams of green coriander juice in 1 glass of buttermilk provides relief from acidity, indigestion.

उपचार - 5:Treatment - 5:

केला, तरबूज, पपीता और ककड़ी का रस एसिडिटी में राहत देता है.

Banana, melon, papaya and cucumber juice give relief in acidity.

उपचार - 6:Treatment - 6:

दिन में 5-6 बार, 3-4 तुलसी के पत्ते चबाकर खाने से भी एसिडिटी में लाभ होता है.

Chewing 3-4 basil leaves 5-6 times a day also helps in acidity.

उपचार - 7:Treatment - 7:

अचार, सिरका, तला हुआ भोजन, मिर्च_मसाले, चाय_कॉफी, धूम्रपान आदि के प्रयोग से एसिडिटी ज्यादा होती है, इनका परहेज करे

Acidity is high by the use of pickles, vinegar, fried foods, chili_massels, tea_coffee, smoking etc., avoid them

उपचार - 8:Treatment - 8:

एसिडिटी में आंवले के रस, अथवा पुदीने के रस का सेवन काफी उत्तम औषधि है.

Eating Amla juice, or mint juice is a very good medicine in acidity.

उपचार - 9:Treatment - 9:

3 ग्राम इलायची और 5 ग्राम लौंग का पाउडर बना कर, भोजन के बाद चुटकी भर चूर्ण मुह में रखकर चूसने से एसिडिटी भी नही होती और मुह की दुर्गंध में भी राहत मिलती है.

Sucking 3 grams of cardamom and 5 grams clove powder, keeping a pinch of powder in the mouth after meals does not cause acidity and also provides relief in bad smell of mouth

उपचार - 10:Treatment - 10:

भोजन के बाद छोटी सी गुड़ की डली मुह में रखकर चूसने से एसिडिटी से राहत मिलती है

Sucking small jaggery nuggets in the mouth after meals relieves acidity


Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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