Skip to main content

टेसू से गर्भनिरोध में उपचार Treatment from Tesu in contraception

टेसू से गर्भनिरोध में उपचार Treatment from Tesu in contraception

टेसू के बीजों को जलाकर राख बना लें और इस राख से आधी मात्रा हींग को इसमें मिलाकर रख लें। इसमें से तीन ग्राम तक की मात्रा ऋतुस्राव (माहवारी) प्रारंभ होते ही और उसके कुछ दिन बाद तक सेवन करने से स्त्री की गर्भधारण करने की शक्ति खत्म हो जाती है।

Burn ash of Tesu to make ashes and mix half quantity of asafetida with this ash and keep it. By taking up to three grams of it at the start of menstruation (menstruation) and a few days after that, the power of conceiving a woman is lost.

टेसू के बीज दस ग्राम, शहद बीस ग्राम और घी 10 ग्राम सब को मिलाकर इसमें रुई को भिगोकर बत्ती बना लें और इसे स्त्री प्रसंग से 3 घंटे पूर्व योनिभाग में रखने से गर्भधारण नहीं होता है।

Mix ten grams of tesu seeds, twenty grams of honey and 10 grams of ghee and soak cotton in it and make a light and keeping it in the vagina 3 hours before the female affair does not result in pregnancy.














Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

ततैया / मधुमख्खी के काटने पर उपचार Treatment on wasp / bee bite

ततैया / मधुमख्खी के काटने पर उपचार Treatment on wasp / bee bite उपचार - 1: Treatment - 1: काटे हुए स्थान पर तुरंत मिटटी का तेल लगाने से भी जलन शांत होती है, और सूजन भी नहीं आती. Applying soil oil immediately to the cut area also calms the burning sensation, and also does not cause inflammation.  उपचार - 2: Treatment - 2: ततैया के काटने पर, काटे हुए स्थान पर तुरंत नीम्बू का रस लगाए, दर्द, जलन और सूजन तुरंत ही ठीक हो जाएंगे. After cutting the wasp, apply lemon juice on the cut site, pain, burning and swelling will be cured immediately. उपचार - 3: Treatment - 3: ततैया के काटे जुए स्थान पर तुरंत खट्टा अचार मलने से, दर्द और जलन में तुरंत राहत मिलती है Rubbing sour pickles in the wasp's yoke area immediately, relieves pain and burning immediately. Dr.Manoj Bhai Rathore    Ayurveda doctor Email id:life.panelbox@gmail.com...

io

Dr. Manoj Bhai Rathore   Ayurveda Doctor Email id:life.panelbox@gmail.com क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips) Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें yourselfhealthtips.blogspot.com आवश्यक दिशा निर्देश 1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है। 2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है। 3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्...

धातुस्राव होने पर इन उपायों को अजमाएं/Try these remedies when there is a mismatch

धातुस्राव होने पर इन उपायों को अजमाएं/ Try these remedies when there is a mismatch १ * आप तुलसी की जड़ सुखाकर उसका चूर्णं बना लें। फिर यह चूर्णं एक ग्राम मात्रा में, एक ग्राम अश्‍वगंधा के चूर्णं में मिलाकर खाएं और ऊपर से दूध पी जाएं, आपको बहुत लाभ होगा। Dry the root of basil and make powder of it. Then eat this powder in one gram quantity, mixed with one gram powder of Ashwagandha and drink milk from above, you will benefit greatly. २ * बीस ग्राम उड़द की दाल का आटा लेकर उसे गाय के दूध में उबालें। फिर इसमें थोड़ा सा घी मिलाकर कुनकुना ही पी जाएं। इसका रोज सेवन करने से पेशाब की नली से धातु स्राव पूरी तरह बंद हो जाएगा। (उड़द की दाल सेक्‍स पावर बढ़ाने और उसकी समस्‍याओं को दूर करने में बहुत सहायक होती है) Take twenty grams of urad dal flour and boil it in cow's milk. Then add a little ghee to it and drink it only. By consuming it daily, the metal secretion from the urine tube will stop completely. (Urad Dal is very helpful in increasing the sex power and to overcome its problems) ३ * ५० ...