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अनन्नास से विभिन्न रोगों में सहायक और फायदे बड़े Pineapple is helpful and beneficial in various diseases

अनन्नास से विभिन्न रोगों में सहायक और फायदे बड़े Pineapple is helpful and beneficial in various diseases

फुन्सियां : Pimples:

अनन्नास का गूदा फुन्सियों पर लगाने से लाभ होता है।

Applying pineapple pulp on pimples is beneficial.


मोटापा होने पर :In case of obesity: 

प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है, क्योंकि अनन्नास वसा (चर्बी) को नष्ट करता है।

Eating pineapple daily helps to eliminate fatness, because pineapple destroys fat.


अम्लपित्त की विकृति :Acidity of the acidity:

अनन्नास को छीलकर बारीक-बारीक टुकड़े करके, उनपर कालीमिर्च का चूर्ण डालकर खाने से अम्लपित्त की विकृति नष्ट होती है।

Peeling pineapple and chopping it finely, adding black pepper powder on them, eating them destroys acidosis.


खून की कमी (रक्ताल्पता) :Blood deficiency (anemia):

यदि शरीर में खून की कमी हो तो अनन्नास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है। अनन्नास से रक्तवृद्धि होती है और पाचन क्रिया तीव्र होने से अधिक भूख लगती है।

If there is lack of blood in the body, eating pineapple and drinking juice is very beneficial. Pineapple leads to increase in blood pressure and increases appetite due to intensifying digestion.


बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर :In children with stomach bug:

कुछ दिनों तक सुबह-शाम अनन्नास का रस पिलाएं। इससे कीडे़ शीघ्र नष्ट होते हैं।

Drink pineapple juice in the morning and evening for a few days. This kills the insects quickly.


गुर्दे की पथरी :Kidney stones:

अनन्नास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है।

Eating pineapple and drinking juice is very beneficial.


आंतों से अम्लता का निष्कासन :Removal of acidity from the intestines: 

अनन्नास के रस में अदरक का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से आंतों से अम्लता का निष्कासन होता है।

Taking ginger juice and honey mixed with pineapple juice removes acidity from the intestines.


स्मरणशक्ति :Memory:

अनन्नास के रस के सेवन से स्मरणशक्ति विकसित होती है।

Memory of memory is developed by consuming pineapple juice.


टांसिल का बढ़ना :Increase of tonsils:

टांसिल के बढ़ जाने पर अनन्नास का जूस गर्म करके पीना चाहिए। 

Pineapple juice should be heated and drunk after increasing tonsils.


गले के रोग में :In throat diseases:

अनन्नास का रस पीने से गले की सूजन और तालुमूल प्रदाह (तालु की जलन) समाप्त हो जाती है। गले के अलग-अलग रोगों में अनन्नास का रस पीने से बहुत लाभ मिलता है।

Drinking pineapple juice ends swelling and inflammation of the throat (irritation of the palate). Drinking pineapple juice is very beneficial in different diseases of the throat.


तुंडिका शोथ (टांसिल) :Tundica inflammation (tonsils):

अनन्नास का रस पीने से टांसिलों की सूजन का दर्द समाप्त होता है। 

The pain of swelling of tonsils ends by drinking pineapple juice.


घमौरियों के होने पर :In case of prickly heat:

अनन्नास का गूदा घमौरियों पर लगाने से लाभ होता है।

Applying pineapple pulp on prickly heat is beneficial.


पेशाब में जलन :Burning in urine:

अनन्नास का रस व शर्बत पीने से पेशाब में जलन की विकृति खत्म होती है। Drinking pineapple juice and syrup ends the pathology of burning sensation in urine.


एलर्जी :Allergies:

अनन्नास का रस एलर्जी वाले स्थान पर लगाने और पीने से लाभ होता है।

Applying pineapple juice to the allergic place and drinking is beneficial.


दांतों का दर्द :Toothache: 

पके हुए अनन्नास का रस निकालकर उसके रस को रूई में भिगोकर मसूढ़ों पर लगाने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।

By soaking ripe pineapple juice and soaking its juice in cotton and applying it on the gums, it ends toothache.


कब्ज :Constipation:

अनन्नास के कच्चे फल का रस 40 से लेकर 80 मिलीलीटर तक की मात्रा में सेवन करने से मल आसानी से निकल जाता है।

Taking 40 to 80 ml juice of raw pineapple fruit removes stool easily.


कैन्सर (कर्कट) रोग :Cancer (cancer) disease: 

अनन्नास का रस 1 गिलास रोजाना सुबह-शाम पीने से शरीर के अंदर के एक-एक अस्वस्थ तन्तु स्वस्थ हो जाते हैं तथा शरीर हर तरह से रोगों से मुक्त हो जाता है।

Drinking 1 glass of pineapple juice daily in the morning and evening makes every unhealthy fiber inside the body healthy and the body gets rid of diseases in every way.


गर्भपात (गर्भ का न ठहरना) :Abortion (abortion of the womb): 

कच्चे अनन्नास का रस बार-बार अधिक मात्रा में पीने से गर्भपात हो जाता है।

Drinking plenty of raw pineapple juice again and again causes miscarriage.


जलोदर (पेट में पानी की अधिकता) होना :Ascites (excess water in the stomach):

अनन्नास के पत्तों के काढ़े में बहेड़ा और छोटी हरड़ का चूर्ण मिलाकर देने से दस्त और मूत्र साफ होकर, जलोदर में आराम होता है।

Mixing the powder of jiggery and small myrobalan in the decoction of pineapple leaves gives relief in diarrhea and urine, as well as ascites.


कामला (पीलियां) :Kamala (jaundice):

अनन्नास के पके फलों के 10 मिलीलीटर रस में हल्दी चूर्ण 2 ग्राम और मिश्री तीन ग्राम मिलाकर सेवन करने से कामला रोग में लाभ होता है। अनन्नास का रस पीलिया रोग को दूर करता है।

Consuming 10 ml juice of ripe pineapple fruit mixed with 2 grams turmeric powder and three grams sugar candy is beneficial in Kamala disease. Pineapple juice cures jaundice.


बुखार :Fever:

अनन्नास फलों का रस देने से अथवा 20 मिलीलीटर रस में शहद मिलाकर पिलाने से, पसीना आता है, मूत्र खुलकर आता है और बुखार का वेग कम हो जाता है।

By giving juice of pineapple fruit or by mixing honey in 20 ml juice, sweating, urine comes open and the velocity of fever decreases.


Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
yourselfhealthtips.blogspot.com


आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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