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अमलतास से विभिन्न रोगों में सहायक Helpful in various diseases from amalatas

अमलतास से विभिन्न रोगों में सहायक Helpful in various diseases from amalatas

बिच्छू का विष

अमलतास के बीजों को पानी में घिसकर बिच्छू के दंश वाले स्थान पर लगाने से कष्ट दूर होता है।

Scorpion venom: 

Grind the seeds of pudding in water and apply it on the scorpion stinged area to relieve pain.


बच्चों का पेट दर्द : 

अमलतास के बीजों की गिरी को पानी में घिसकर नाभि के आस-पास लेप लगाने से पेट दर्द और गैस की तकलीफ में आराम मिलता है।

Stomach pain of children: 

Grind the kernel of the seeds of pudding pipe with water and apply it around the navel to relieve stomach pain and gas discomfort.


वमन (उल्टी) हेतु : 

अमलतास के 5-6 बीज पानी में पीसकर पिलाने से हानिकारक खाई हुई चीज वमन (उल्टी) के द्वारा बाहर निकल जाती है।

For vomiting (vomit): 

Grind 5-6 seeds of pudding pipe in water and give it to the harmful person by vomiting and vomit.


पेशाब न होना : 

पेशाब खुलकर होने के लिए अमलतास के बीजों की गिरी को पानी में पीसकर तैयार गाढ़े लेप को नाभि के निचले भाग (यौनांग से ऊपर) पर लगाएं।

Non-urination: 

To get urine open, grind the kernel of Amlatus seeds in water and apply the prepared thick paste on the lower part of the navel (above the vagina).


त्वचा के चकत्तों : 

अमलतास के नर्म पत्तों को पीसकर लेप करना चाहिए।

Skin rashes: 

Grind soft leaves of pudding pipe and apply it.


खुजली दूर करने के लिए : 

अमलतास के पत्तों को छाछ में पीसकर लेप करना चाहिये और कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए।

To get rid of itching: 

Grind the leaves of pudding pipe tree with buttermilk and apply it and after some time take bath.


पीले प्रमेह : 

अमलतास की फलियों के अंदर के गूदे के आठवें भाग का काढ़ा करके पिलायें।

Yellow leucorrhoea: 

Make a decoction of eighth part of pulp inside the bean of Amlatus and drink.


गण्डमाला : 

अमलतास के जड़ के बारीक चूर्ण को चावल के धोये हुए पानी में मिलाकर उसका लेप करना चाहिए।

Goiter: 

Mix fine powder of root of Amlatas in washed water of rice and apply it.


भिलावें की सूजन : 

अमलतास के पत्तों के रस का लेप करना चाहिए।

Swelling of Bhilawen: 

The juice of the leaves of pudding should be applied.


पतले दस्त : 

सोनामुखी, हरड़ और अमलतास के गूदे का काढ़ा बनाकर पिलायें। इससे पतले दस्त ठीक हो जाते हैं।

Thin stools: 

Make a decoction of pulp of sonamukhi, myrabalan chebulie and pudding pipe tree. Thin diarrhea is cured by this.


सूजन पर : 

अमलतास के पत्तों को सेंककर बांधने से सूजन उतरती है।

On swelling: 

Baking the leaves of pudding pipe and tying it reduces swelling.


शिशु की फुंसियां : 

अमलतास के पत्तों को दूध के साथ पीसकर लेप करने से नवजात शिशु के शरीर पर होने वाली फुंसियां और छाले दूर हो जाते हैं।

Pimples of baby: 

Grind the leaves of pudding pipe with milk and apply it on the body of a newborn baby to remove pimples and blisters.


 श्वास : 

अमलतास की फली का गूदा पानी में उबालकर पीने से दस्त साफ होकर श्वास की रुकावट मिटती है। इससे कब्ज भी दूर हो जाती है।

Breathing: 

Boiling pulp of pudding pods in water and drinking it clears diarrhea and prevents obstruction of breathing. It also ends constipation.


पक्षाघात : 

अमलतास के पत्तों के रस की पक्षाघात ग्रस्त अंग पर मालिश करने से लाभ होता है।

Paralysis: 

Massaging the juice of pudding leaves on the paralyzed limb is beneficial.


 लकवा (पक्षाघात-फालिस फेसियल, परालिसिस) होने पर : 

लगभग 10 ग्राम से 20 ग्राम अमलतास के पत्तों का रस पीने तथा चेहरे पर अच्छी तरह से नियमित रूप से मालिश करने से मुंह के लकवे में लाभ मिलता है।

In case of paralysis (paralysis-phallic facial, paralysis): 

Drinking the juice of about 10 grams to 20 grams of Amtalas leaves and massaging it thoroughly on the face provides relief in paralysis of the mouth.


 प्लेग की गांठ : 

अमलतास की पकी ताजी फली का गूदा बीजों सहित पीसकर प्लेग की गांठ पर लेप करने से आराम मिलता है। प्लेग की कब्जी और बेहोशी में फली के गूदे का काढ़ा पिलाते हैं।

Lump of plague: 

Grind ripe fresh pod of pulp with pulp seeds and apply it on the lump of plague provides relief. In the constipation and fainting of the plague, the pulp decoction is fed.


 नाक की फुंसी : 

अमलतास के पत्ते और छाल को पीसकर नाक की छोटी-छोटी फुन्सियों पर लगाने से लाभ होता है।

Nasal pimples: 

Grind leaves and bark of pudding pipe and apply it on the small pimples of the nose.


प्रसव (बच्चे का जन्म आसानी से होना) : 

अमलतास के छिलके लगभग 20 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लेते हैं। इस काढे़ का सेवन करने से बच्चे का जन्म आसानी से होता हैं।

Childbirth (childbirth easily): 

The peels of pudding pipe make a decoction by taking about 20 grams. Children are easily born by taking this decoction.


 प्रसव का दर्द : 

बच्चा पैदा होने में यदि बहुत अधिक कष्ट हो रहा हो तो अमलतास 10 ग्राम को पानी में गर्मकर थोड़ी सी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।

Pain of childbirth: 

If there is a lot of difficulty in giving birth to a child, then 10 grams of Amlatas should be drunk by heating a little sugar in water.


उदरशुद्धि (पेट साफ) : 

अमलतास के 2-3 पत्तों को नमक और मिर्च मिलाकर खाने से उदर की शुद्धि होती है।

Abdominal cleansing (stomach clean): 

Eating 2-3 leaves of Amtalas mixed with salt and chilli purifies the stomach.


हारिद्रामेह : 

अमलतास के 10 ग्राम पत्तों को 400 मिलीलीटर पानी में पकाकर चतुर्थाश शेष काढ़े का सेवन हारिद्रामेह में लाभकारी है।

Haridrameh: 

Cook 10 grams leaves of Amtalas in 400 ml water and take the remaining decoction in fourth quarter is beneficial in Haridrameh.


 कोष्ठ (भोजन रखने का स्थान) शुद्धि : 

फली मज्जा को 5-10 ग्राम की मात्रा में गाय के 250 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ देने से कोष्ठ शुद्ध हो जाता है।

Kosth (place to keep food) purification: 

Giving 5 to 10 grams of pod marrow with 250 ml hot milk of cow, purifies the leprosy.


वातरक्त : 

अमलतास मूल 5-10 ग्राम को 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर देने से वातरक्त का नाश होता है।

Watery gourd: 

Boiling amalatas root 5-10 grams in 250 ml milk eliminates the blood poisoning.


 आमवात : 

अमलतास के 2-3 पत्तों को सरसों के तेल में भूनकर सायं के भोजन के साथ सेवन करने से आमवात में लाभ होता है।

Rheumatism: 

Toast 2-3 leaves of Amlatus in mustard oil and take it with evening meal.


व्रण (जख्म) होने पर : 

अमलतास, चमेली, करंज के पत्तों को गाय के पेशाब के साथ पीसकर लेप करें, इससे घाव, दूषित बवासीर और नाड़ी का घाव नष्ट होता है।

In the condition of ulcer (wound): 

Grind the leaves of pudding, jasmine, karanja with cow's urine and apply it on the wounds, contaminated piles and pulse wounds.


वात ज्वर : 

अमलतास का गूदा, कुटकी, हरड़, पीपलामूल और नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर पिलाने से वात-कफ के बुखार से छुटकारा मिलता है।

Vata fever: 

Taking equal quantity of pulp, kutki, myrrh, peepamool and nagarmotha of amlatus helps to get rid of vata-phlegm fever.


दमा के लिए : 

अमलतास की गिरी का काढ़ा बनाकर पीने से मल त्याग होकर दमा मिट जाता है।

For Asthma: 

Taking decoction of kernel of pudding pipe is a good remedy to cure asthma.


अग्निमान्द्यता (अपच) : 

अमलतास की जड़ को दूध में उबालकर पीयें। अमलतास के 2 पत्तों को चबाकर गर्म पानी के साथ सेवन करें।

Indigestion (indigestion): 

Boil the root of amlatas in milk and drink it. Chew 2 leaves of Amaltas and consume it with warm water.


मधुमेह के रोग : 

अमलतास के थोड़े से गुदे को लेकर गर्म करें। फिर मटर के दाने के बराबर उसकी गोलियां बना लें। 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में आराम मिलता है।

Diseases of diabetes: 

Warm up with a small portion of pudding. Then make tablets equal to peas. Taking 2-2 tablets twice a day with water provides relief in diabetes.


जुकाम : 

अमलतास के गूदे को पानी में मिलाकर उसके अंदर 3 गुना शक्कर डालकर चासनी बनाकर पीने से सूखी खांसी और जुकाम ठीक हो जाता है।

Colds: 

Mix pulp of pudding pipe in water and put 3 times sugar in it and make it in a sauce, it cures dry cough and cold.


गठिया रोग : 

अमलतास के पत्ते को सरसों के तेल में तलकर रखें। इन्हें भोजन के साथ खाने से घुटने का हल्का दर्द दूर होता है।

Arthritis: 

Fry the leaves of Amlatas in mustard oil. Eating them with food relieves mild knee pain.


उरूस्तम्भ (जांघ का सुन्न होना) : 

अमलतास के पत्ते को बांधने से जांघ का सुन्न होना दूर हो जाता है। इससे शरीर के दूसरे अंग का सुन्न होना भी दूर हो जाता है।

Urustambha (thigh numbness): 

Tying the leaves of pudding pipe ends numbness of the thigh. It also cures numbness of other body parts.


 नाखून की खुजली : 

अमलतास के अंकुरों के रस का लेप नाखूनों पर करने से रोगी के नाखूनों की खुजली दूर हो जाती है।

Itching of nails: 

Applying juice of seedlings of pudding pipe on the nails ends the itching of the patient's nails.


शरीर का सुन्न पड़ जाना : 

अमलतास के पत्ते सुन्न पर अंगों पर बांधने से शरीर का सुन्न होना दूर हो जाता है।

Numbness of the body: 

By tying the leaves of pudding on the limbs, numbness of the body is removed.


चेहरे के दाग : 

अमलतास के मुलायम पत्तों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे के सारे काले दाग समाप्त हो जाते हैं।

Facial stains: 

Grind soft leaves of pudding pipe and apply it on the face, it removes all the dark spots of the face.


जलने पर : 

अमलतास के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम आ जाता है।

On burning: 

Grind the leaves of pudding pipe with water and apply it on the burned part of the body, it provides relief.


 त्वचा का सूजकर मोटा और सख्त हो जाने पर : 

भिलावे की वजह से त्वचा में सूजन पैदा हो जाने पर अमलतास के पत्तों का रस लगाने से त्वचा की सूजन ठीक हो जाती है।

Swelling of the skin becomes thick and hard: 

If there is swelling in the skin due to affliction, applying the juice of pudding leaves cures the swelling of the skin.

Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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