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अमलतास से कब्ज रोग में सहायक Helpful in constipation disease with pallor

अमलतास से कब्ज रोग में सहायक Helpful in constipation disease with pallor

कब्ज पर अमलतास का चमत्कारी प्रभाव होता है। अमलतास की सूखी फली का 4 इंच लंबा टुकड़ा कूटकर 1 गिलास पानी में डाल दें। इसमें गुलाबी रंग वाले गुलाब के तीन फूल (सूखे या गीले ताजा कोई भी) तथा दो चम्मच मसाले में काम ली जाने वाली मोटी सौंफ लें। सबको पानी में 1 घंटा भिगोने के बाद इतना उबालें कि पानी आधा रह जाये। फिर इसे छानकर रात को समय गर्म ही पियें। नयी, पुरानी, गांठदार, सूखा मल, कैसी भी हो, लाभ होगा। 

Amaltas has a miraculous effect on constipation. Grind a 4 inch long piece of dry pod of Amlatas and put it in 1 glass of water. In this, take three pink rose flowers (dry or wet fresh) and thick spices used in two spoons of spices. After soaking everyone in water for 1 hour, boil it so that the water remains half. Then filter it and drink it warm at night. New, old, nodular, dry stool, whatever it may be, will be of benefit.

जब तक कब्ज रहे, रोजाना पियें। लाभ होने पर बंद कर दें। जब कभी कब्ज पुन: प्रतीत हो, फिर से इसी प्रकार लें। बच्चों को आधी मात्रा में तथा शिशुओं को चौथाई मात्रा में दें। बच्चे से बूढ़े, गर्भवती स्त्रियां भी कब्ज दूर करने के लिए इसे ले सकती हैं। कब्ज में यह अच्छा लाभ करती है। सप्ताह में 1 बार रात को सौंफ 3 ग्राम, अमलतास 3 ग्राम, छोटी हरड़ का मोटा चूरा 2 ग्राम, अनारदाना 5 ग्राम, 2 कप पानी में उबालें। एक कप रहने पर छानकर पीने से कब्ज दूर हो जाती है तथा वर्षा ऋतु में पेट सम्बंधी रोग नहीं होते हैं। 

Drink daily as long as you are constipated. Discontinue if there is a benefit. Whenever constipation reappears, take it again. Give half quantity to children and quarter to infants. Older, pregnant women can also take it to relieve constipation. It is good in constipation. Boil fennel 3 grams, amlatas 3 grams, 2 grams of small myrobalan powder, pomegranate 5 grams, 2 cups of water once a week at night. Constipation is cured by drinking it after one cup and stomach diseases do not occur in the rainy season.

गर्मी के मौसम में अमलतास के पेड़ के गहरे पीले रंग के गुच्छेदार फूल दूर से ही दिखाई देते हैं। अमलतास के फूलों का गुलकन्द बनाकर खाने से कब्ज दूर होती है, गुलकन्द अधिक मात्रा में खाने से दस्त लग जाते हैं, जी मिचलाता है और पेट में ऐंठन होने लगती है। गुलाब के सूखे फूल, सौंफ और अमलतास की गिरी बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। 1 कप पानी में 2 चम्मच चूर्ण घोलकर शाम को रख दें। रात्रि में सोने से पूर्व छानकर पीने से अगली सुबह कब्ज में राहत मिलेगी। 

In the summer season, the dark yellow tufted flowers of the Amaltas tree are visible from a distance. Constipation is cured by eating gulakanda of amalatas flowers, eating excessive quantity of gulakanda causes diarrhea, nausea, and stomach cramps. Grind equal quantity of dried rose flowers, fennel and kernels of pudding pipe. Dissolve 2 spoons of powder in 1 cup of water and keep it in the evening. Drinking before drinking at night will give relief in constipation the next morning.

अमलतास का गूदा 50 ग्राम को 150 मिलीलीटर पानी में रोज भिगोकर रात को सोने से पहले पीसकर चीनी मिलाकर पीने से लाभ होता है। 10 ग्राम अमलतास का गूदा और 10 ग्राम मुनक्का मिलाकर खाने से शौच साफ आती है और कब्ज समाप्त हो जाती है। अमलतास और इमली के गूदे को पीसकर रख लें। फिर इसे सोने से पहले पीने से सुबह शौच अच्छी तरह से आती है। अमलतास के फूल 4 ग्राम की मात्रा में लेकर घी में भून लें। इसे खाना खाने के बाद शाम को प्रयोग करें। अमलतास की जड़ 40 ग्राम से लेकर 80 ग्राम तक रात और सुबह पानी में पीसकर पीने से शौच खुलकर आती है। 

Soak 50 grams pulp of pudding pipe tree in 150 ml water daily and grind it before going to bed at night and mix sugar and drink. Mixing 10 grams pulp of pudding pipe and 10 grams dry grapes is useful to cure defecation and stops constipation. Grind the pulp of pudding and tamarind. Then drinking it before bedtime helps defecate well in the morning. Take 4 grams Amlatas flowers and fry it in ghee. Use it in the evening after eating food. Grind 40 grams to 80 grams root of amlatus in water at night and in the morning, drinking it helps in defecation.

यदि यह खुराक सुबह लेनी हो तो रात को खिचड़ी में अधिक घी डालकर खाने से आंतों में चिकनाई आ जाती है। अमलतास के फूलों का गुलकन्द, आंत्र रोग, सूक्ष्मज्वर एवं कोष्ठबद्ध में लाभदायक है। कोमलांगी स्त्री को इसका सेवन 25 ग्राम तक रात्रि के समय कोष्ठबद्धता में कराना चाहिए।

If this dose is to be taken in the morning, after adding more ghee in the khichdi at night, eating it makes the intestines smooth. Gulkand of Amalatas flowers is beneficial in intestinal diseases, microbial and leprosy. A Komalangi woman should take it up to 25 grams at night time in constancy.

Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
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1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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