मलेरिया उन्मूलन करने के लिए गांव - गांव मे व्यवस्था Arrangement in the village to eradicate malaria
मलेरिया उन्मूलन करने के लिए गांव - गांव मे व्यवस्था Arrangement in the village to eradicate malaria
मलेरिया
उन्मूलन करने के लिए हर गांव मे सूचना तंत्र निदान एव उपचार तंत्र तथा
निशुल्क दवा वितरण केन्द्र तथा बुखार उपचार केन्द्र स्थापित किये गये
है। जहां मलेरिया का निशुल्क उपचार किया जाता है।
Information system diagnosis and treatment system and free drug delivery centers and fever treatment centers have been set up in every village to eradicate malaria. Where malaria is treated free of cost.
अपने गांव मे क्या करें What to do in your village.......
डी. डी. टी. आदि कींटनाशकों का छिडकाव अपने ओर आस पडोस के घरो के भीतर भी करवायें तथा छिडकाव दलों को सहयोग दे।
Get spraying of DDT etc insecticides within your neighborhood and also provide support to the sprinkler teams.
- आवश्यक सूचना तत्काल दें -Provide the necessary information immediately
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बुखार का रोगी पाये जाने पर उसके बारे मे नजदीकी स्वास्थ्य कार्यकर्ता
को तुंरत सूचना दे ताकि उसकी जांच व उपचार आरम्भ किया जा सके।
On finding a patient of fever, give immediate information about it to the nearest health worker so that his examination and treatment can be started.
- पूरी व सही जानकारी प्राप्त करें Get complete and correct information
- खून की जांच के बारे में About blood test
- बुखार होने पर दी जाने वाली गोलियों के बारे मे तथा मलेरिया घोषित होने पर सम्भावित एवं आमूल उपचार के बारें में Regarding pills given in case of fever and possible and radical treatment when malaria is declared.
- मच्छर वा लार्वाभवक्षी दवाओ के बारे में About mosquito or larval antibiotics
- डी.डी.टी. आदि कीटनाशकों के छिडकाव के तरीके वा सावधानियों के बारे मे .DDT Etc. about the methods of spraying pesticides or precautions.
- पूरा उपचार व मुक्त दवा Complete treatment and free medicine
- दवा वितरण केन्द्रों से मुफ्त प्राप्त करें Get free medicine distribution centers.
- स्वा.कार्यकर्ता, चिकित्सको की सलाह से मलेरिया का उपचार लें Seek treatment of malaria with the advice of the health worker, doctors.
- उपचार बीच मे न छोडें Do not skip treatment.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा, आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।
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