मलेरिया के लिए सम्भावित और आमूल उपचार Possible and radical treatment for malaria
सम्भावित उपचार Possible treatment
प्रत्येक बुखार के रोगी को जांच के लिए खून लेने के बाद मलेरिया का सम्भावित रोगी मानकर तुरन्त निम्नानुसार उपचार देना चाहिए।Each fever patient should be treated as a potential patient of malaria immediately after taking blood for examination.
सम्भावित उपचार तालिका Possible treatment table | ||
आयु | क्लोरोक्विन की गोलिया (150 मिलीग्राम की गोली ) | |
एक साल से कम | 1/2 गोली | 75 मि.ग्रा. |
1-4 वर्ष | 1 गोली | 150 मि.ग्रा. |
5-8 वर्ष | 2 गोली | 300 मि.ग्रा. |
9-14 वर्ष | 3 गोली | 450 मि.ग्रा. |
15 वर्ष | 4 गोली | 600 मि.ग्रा. |
नोट: डॉक्टर से अवश्य मिलें और तभी दवाई लें।Note: Do visit the doctor and then take medicines only.
आमूल उपचार Complete treatment
संभावित
उपचार देने के बाद यदि खून की रिपोर्ट मे मलेरिया कीटाणु पाया जाता है तो
तुरन्त मलेरिया परजीवी के प्रकार के अनुसार 1 या 5 दिन का आमुल उपचार
(प्लाजमोडियम फेलसीफेरम से मलेरिया होने पर 1 दिन का प्लाजमोडियम
पाइवैक्स से मलेरिया होने पर 5 दिन का ) स्वास्थ्य कार्यकर्ता,
उपकेन्द्र प्रा0स्वा0केन्द्र चिकित्सालय से प्राप्त कर दवाइयाँ की
पूरी खुराक पूरी अवधि तक लेने रहना चाहिये जो निम्न प्रकार है -
Immediate treatment of 1 or 5 days according to the type of malaria parasite (1 day in case of malaria from Plasmodium falcipherum, 5 days in case of malaria from Plasmodium falcipar) if malaria germ is found in the blood report after giving potential treatment. Health worker should get full dose of medicines after receiving from the Sub-Center Pvt. These are as follows: -
उम्र | क्लाराक्विन केवल (150 मि.ग्रा. बेस ) प्रति गोली एक दिन के लिए प्लाजमो्डियम बाइवैक्स अथवा प्लाजमोडियम फैल्सीफैरम से मलेरिया होने पर | प्राइमाक्विन (2.5 मि.ग्रा. बेस )प्रति गोली प्रत्येक दिन के लिये पाँच दिनों तक प्लाजमोडियम बाईवैक्स से मलेरिया होने पर | प्राइक्विन(7.5 मि.ग्रा. बेस )प्रति गोलीकेवल एक दिन के लिये पाँच दिनों तक प्लाजमोडियम फैल्सीफेरम से मलेरिया होने पर |
एक साल से कम | 1/2 गोली | - | - |
1-4 वर्ष | 1 गोली | 1 गोली | 1 गोली |
5-8 वर्ष | 2 गोली | 2 गोली | 2 गोली |
9 -14 वर्ष | 3 गोली | 3 गोली | 3 गोली |
15 वर्ष या अधिक | 4 गोली | 4 गोली | 4 गोली |
नोट: डॉक्टर से अवश्य मिलें और तभी दवाई लें।
Note: Do visit the doctor and then take medicines only.
गर्भवती महिलाओ को प्राइमाक्विन की गोली नही दी जाती है।
Primaquine tablets are not given to pregnant women.
आमूल उपचार के बाद पुन खून की जाँच कराकर सुनिश्चित कर ले कि खून मलेरिया परजीवी तो नही है -
After complete treatment, make sure that the blood is not a malarial parasite by conducting a blood test again.
मलेरिया
का रोगी प्रमाणित हो जाने पर रोगी का उक्त दवाए देने के साथ ही रोगी के
परिवार के सभी सदस्यो को चाहे बुखार हो अथवा न हो उन्हें अपने खून की जांच
आवश्यक रूप से करवानी चाहिए। ऐसे मामलो मे आस पडोस के लोगो को भी उनके
खून की जांच करवाने चाहिए।
Once the patient of malaria is certified, all the family members of the patient, whether he has fever or not, must get their blood checked, along with giving the above medicines. In such cases, the people of the neighborhood should also get their blood tested.
पुन बुखार Fever again
पूरी
अवधि तक आमूल उपचार की निधारित पूरी खुराक न लेने पर रोगी को मलेरिया
बुखार दुबारा होने की सम्भावना रहती है। पुन: बुखार होने पर रोगी को
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मे तुरन्त ले जाना आवश्यक है।
If the patient does not take the prescribed full dose of complete treatment for the entire duration, the patient is prone to recurring malaria fever. In case of re-fever, it is necessary to take the patient to the primary health center immediately.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
yourselfhealthtips.blogspot.com
आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
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