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मलेरिया Malaria

 मलेरिया Malaria

मलेरिया क्‍या है?What is Malaria?

यह एक प्रकार का बुखार है जो ठण्‍ड या सर्दी (कॅंपकपी) लग कर आता है। मलेरिया रोगी का रोजाना या एक दिन छोडकर तेज बुखार आता है।
It is a type of fever that comes in the form of cold or cold. Malaria patient has high fever every day or day.

मलेरिया का कारण?Cause of Malaria?

मलेरिया का कारण है मलेरिया परजीवी कीटाणु जो इतने छोटे होते है कि उन्हें सिर्फ माइकोस्‍कोप ही देखा जा सकता है। ये परजीवी मलेरिया से पीडित व्‍यक्ति के खून मे पाये जाते है। इनमें मुख्‍य है -
 The cause of malaria is malaria parasitic germs that are so small that they can only be seen by mycoscope. These parasites are found in the blood of a person suffering from malaria. The main ones are -

1.  प्‍लाजमोडियम वाइवैक्‍स  Plasmodium vivax.
2.  प्लाजमोडियम फैल्‍सीफेरम  Plasmodium falsiferum.

कौन सा मच्‍छर मलेरिया फैलाता है?Which mosquito spreads malaria?

मलेरिया मादा एनोलीज जाति के मच्‍छरों से मलेरिया का रोग फैलता है।
Malaria The disease of malaria is transmitted by mosquitoes of the female Anolis species.

मलेरिया केसे फैलता है्?How does malaria spread?

मलेरिया जीवन चक्र के दो प्रवाह होते है, जिससे यह रोग बहुत तेजी से फैलता हैः-
 There are two flows of the malaria life cycle, due to which the disease spreads very fast: -

प्रथम प्रवाह First flow

(संक्रमित मच्‍छर से......... स्‍वस्‍थ मनुष्‍य को)

जब संक्रमित मादा एनोलीज मच्‍छर किसी स्‍व‍स्‍थ्‍य व्‍यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्‍त मे मलेरिया परजीवियो को पहूंचा देता है। संक्रमित मच्‍छर के काटने के 10-12 दिनों के बाद उस व्‍यक्ति मे मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते है।

(From infected mosquito ……… to healthy humans)

When an infected female Ancholies mosquito bites a healthy person, it carries malaria parasites into its blood with its saliva. Symptoms of malaria appear in the person 10-12 days after the bite of an infected mosquito.


दितीय प्रवाह Second flow

(मलेरिया रोगी से......... असंक्रमित मादा एनोफेलिज मच्‍छर मे होकर अन्‍य स्‍वस्‍थ व्‍यक्तियो को)
मलेरिया के रोगी को काटने पर असंक्रमित मादा एनोलीज मच्‍छर रोगी के खून के साथ मलेरिया परजीवी को भी चूंस लेते हैं व 12-14 दिनों मे ये मादा एनोलीज मच्‍छर भी संक्रमित होकर मलेरिया फेलाने मे सक्षम होते है तथा जितने भी स्‍वस्‍थ्‍य मनुष्यों को काटते है। उन्हें मलेरिया हो जाता है। इस तरह एक मलेरिया रोगी से यह रोग कई स्‍वस्‍थ्‍य मनुष्‍य में फैलता है।

(From malaria patient ......... to uninfected female anopheles mosquito to other healthy people)

On the bite of a malaria patient, uninfected female enollis mosquitoes also kill the malaria parasite along with the blood of the patient and in 12–14 days, these female enollis mosquitoes are also able to infect and spread malaria and bite as many healthy humans. They develop malaria. In this way, the disease spreads from a malaria patient to many healthy humans.

मलेरिया के लक्षण symptoms of malaria

- अचानक सर्दी लगना (कॅंपकॅंपी लगना ,अधिक से अधिक रजाई कम्‍बल ओढना)।
Sudden cold (feeling trembling, quilting blankets more and more).

- फिर गर्मी लगकर तेज बुखार होना।
Then fever due to heat.

- पसीना आकर बुखार कम होना व कमजोर महसूस करना।
 Feeling sweating, fever and feeling weak.

निदान The diagnosis

रक्‍त की जाँच Blood test

- कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। अतः तुरन्‍त रक्‍त की जॉंच करवाना,  सभांवित उपचार लेना तथा मलेरिया पाये जाने पर आमूल उपचार लेना आवश्‍यक है।
 Any fever can be malaria. Therefore, it is necessary to have a quick blood test, take appropriate treatment and complete treatment in case of malaria.
 
- बुखार होने पर क्‍लारोक्विन की गोलिया देने से पहले जांच के लिए खून लेना आवश्‍यक है। रक्‍त की जांच से ही यह पता चलता है कि बुखार मलेरिया है या नही। जांच के लिये कींटाणु ‍‍रहित सुई को मरीज की अनामिका अंगुली मे थोडा से प्रवेश कराकर खून की एक दो बूंदे कांच की पट्टिका से स्‍लाइड बनाई जाती है। जांच की रिपोर्ट तुरन्‍त प्राप्‍त करें।
In case of fever, it is necessary to take blood for examination before giving chloroquine tablets. Blood examination only shows whether fever is malaria or not. For examination, a sterile needle is inserted into the patient's ring finger with a small drop of blood and a slide made of glass plaque. Get the report of the inquiry immediately.
  Dr.Manoj Bhai Rathore 
 Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
  क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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