Skip to main content

इन समस्याओं में फायदेमंद है काली मिर्च (Benefits of Black Pepper for Health)

इन समस्याओं में फायदेमंद है काली मिर्च (Benefits of Black Pepper for Health)

कैंसर (Cancer):- 

काली मिर्च कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन के, फ्लैवोनॉयड्स कारोटेन्स व अन्य एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण होते हैं, जो कैंसर और विशेषकर स्तन कैंसर जैसी समस्याओं से सुरक्षित रखता है।

Black pepper prevents serious diseases like cancer. It has the properties of vitamin C, vitamin K, flavonoids, carotenes and other anti-oxidants, which protects against problems such as cancer and especially breast cancer.

अपच और दस्त (Indigestion and Diarrhea):- 

अपच, दस्त, कब्ज आदि को दूर करने के लिए काली मिर्च श्रेष्ठ औषधि है। काली मिर्च के सेवन से हाइड्रोक्लोरिक एसिड संतुलित रहता है। यह एसिड पेट की पाचन क्रिया स्वस्थ रखता है, जिससे भोजन सामग्री को पचाने में सहायता मिलती है।

Black pepper is the best medicine to remove indigestion, diarrhea, constipation etc. The consumption of black pepper keeps hydrochloric acid balanced. This acid keeps the digestion of the stomach healthy, which helps in digesting food material.

वजन कम करना (Lose Weight):- 

काली मिर्च का नियमित रूप से सेवन करने पर वजन कम किया जा सकता है। इसमें फाइटोन्यूट्रीसियंस होता है, जो वसा (Fat) की परत को काटने में मदद करता है और शरीर में ज्यादा वसा जमा होने से रोकता है।

Weight loss can be achieved by regularly consuming black pepper. It contains phytonutriacion, which helps in cutting the fat layer and prevents the accumulation of excess fat in the body.

पेट में गैस (Gastric problem):-

काली मिर्च में वातहर गुण होता है, जो पेट में गैस जैसी समस्या को दूर रखता है। इसके अलावा काली मिर्च का सेवन, पेट फूलना या पेट दर्द जैसी परेशानी में भी लाभदायक होता है।

Black pepper has carminative properties, which keeps away problems like gas in the stomach. Apart from this, consuming black pepper is also beneficial in problems like flatulence or stomach ache.

गला बैठना (Sore Throat):-

काली मिर्च के चूर्ण को घी और मिश्री में मिलाकर सेवन करने से बंद गला या गले में खराश जैसी परेशानी दूर हो जाती हैं। काली मिर्च के 8 या 10 दानों को पानी में उबालें और उबले हुए पानी से गरारे करें, ऐसा करने से गले का संक्रमण या गले के इन्फेक्शन में आराम मिलता है।

Taking black pepper powder mixed with ghee and sugar candy ends the problems like sore throat or sore throat. Boil 8 or 10 grains of black pepper in water and gargle with boiled water, doing so provides relief in throat infection or throat infection.

त्वचा रोग (Skin Disease):-

काली मिर्च के चूर्ण को घी में मिलकर लेप तैयार करें। इस लेप को शरीर के दाद- फोड़ा, फुंसी, चकत्ते के निशान पर लगाएं। ऐसा करने से दाद- फोड़ा, फुंसी, चकत्ते आदि त्वचा रोगों में लाभ होता है।

Prepare a paste by mixing black pepper powder in ghee. Apply this paste on the marks of body ringworm, pimples, rashes. By doing this, there are benefits in skin diseases like ringworm, pimples, rashes etc.

खांसी- जुकाम (Common Cold):-

काली मिर्च को दूध में गरम करने पीने से जुकाम दूर होता है। काली मिर्च के एक बीज से शुरू करके रोज एक बढ़ाते हुए पंद्रह तक और पंद्रह दिन बाद एक कम करते हुए सेवन करें। ऐसा करने से जुकाम- खांसी एक महीने में खत्म हो जाएगी। या फिर काली मिर्च चूर्ण और शहद को समान मात्रा में मिलाकर दिन में 3 से 4 बार खाएं।

Taking black pepper hot in milk cures cold. Start with one seed of black pepper and increase it daily by fifteen, and after fifteen days, reduce it by one. Doing this will cure the common cold and cough in a month. Or, mix equal quantity of black pepper powder and honey and eat it 3 to 4 times a day.

पेट में कीड़े (Stomach worms):-

पेट में कीड़े की समस्या से परेशानी होने पर काली मिर्च और किशमिश 2 से 3 बार चबाकर खाएं। इसके अलावा छाछ में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।

If you have problems with stomach worms, chew black pepper and raisins 2 to 3 times. Apart from this, drinking black pepper powder mixed with buttermilk also kills stomach worms.

दांतों की समस्या (Dental problem):-

यदि दांतों से जुड़ी समस्या जैसे पायरिया, कमजोर दांत आदि से परेशान हैं, तो काली मिर्च के चूर्ण को नमक में मिलाकर मंजन करें या दांतों पर लगाएं। ऐसा करने से दांतों से जुड़ी समस्या दूर हो जाती है।

If you are troubled by teeth related problems like pyorrhea, weak teeth, etc., then mix black pepper powder in salt or apply it on the teeth. By doing this, the problem related to teeth is removed.

गठिया (Gout):- 

गठिया के रोग में भी काली मिर्च बहुत लाभदायक साबित होती है। काली मिर्च को तिल के तेल में गर्म करके मांसपेशियों की मालिश करने से गठिया रोग में आराम मिलता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

Black pepper also proves very beneficial in arthritis. Massaging the muscles by heating black pepper in sesame oil provides relief in arthritis and strengthens the muscles.

आंखों की समस्या (Eye Problem):-

काली मिर्च का इस्तेमाल आंखों की शक्ति बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। काली मिर्च के चूर्ण को देशी घी में मिला कर सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और साथ ही आंखों के कई रोगों से भी छुटकारा मिलता है।

Black pepper is also used to increase eye power. Consuming black pepper powder mixed with native ghee increases the eyesight and also gets rid of many diseases of the eyes.

Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

अमर बेल से विभिन्न रोगों में सहायक Amar Bell helps in various diseases

अमर बेल से विभिन्न रोगों में सहायक Amar Bell helps in various diseases खुजली : अमर बेल को पीसकर बनाए गए लेप को शरीर के खुजली वाले अंगों पर लगाने से आराम मिलता है। Itching: Applying a paste made by grinding immortal vine on the itchy parts of the body provides relief. छोटे कद के बच्चों की वृद्धि हेतु : जो बच्चे नाटे कद के रह गए हो , उन्हें आम के वृक्ष पर चिपकी हुई अमर बेल निकालकर सुखाएं और उसका चूर्ण बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह - शाम पानी के साथ कुछ माह तक नियमित रूप से खिलाएं। For the growth of children of short stature:   Those children who are short in height, dry them out by taking out the immortal vine sticking on the mango tree and make a powder of it in a quantity of 1-1 teaspoon morning and evening with water regularly for a few months. Feed from सुजाक व उपदंश में : अमर बेल का रस दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में इस रोग में पूर्ण आराम मि...

टी.बी की चिकित्‍सा क्‍या है? What is TB medicine?

टी.बी की चिकित्‍सा क्‍या है? What is TB medicine? आज ऐसी कारगर शक्तिशाली औषधियां उपलब्‍ध है, जिससे टी.बी. का रोग ठीक हो सकता है परन्‍तु सामान्‍यतया रोगी पूर्ण अवधि तक नियमित दवा का सेवन नहीं करता हे सीधी देख-रेख के द्वारा कम अवधि चिकित्‍सा टी.बी. रोगी को पूरी तरह से मुक्ति सुनिश्चित करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। Today, such powerful drugs are available, due to which TB Disease can be cured, but usually the patient does not take regular medicines for the full duration. The most effective way is to ensure complete discharge to the patient.  यह विधि स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा विश्‍वस्‍तर पर टी.बी. के नियन्‍त्रण के लिये अपनाई गई एक विश्‍वसनीय विधि है, जिसमें रोगी को एक-दिन छोडकर सप्‍ताह में तीन दिन कार्यकर्ता के द्वारा दवाई का सेवन कराया जाता है। This method is used globally by the Health Organization for TB. There is a reliable method adopted for the control of, in which the patient is given medicines by the worker three days a week except one day. डॉट्स विधि के अन्‍तर्गत चिकित्‍सा...

आपको स्वस्थ रखेंगे हींग/ Asafoetida will keep you healthy

आपको स्वस्थ रखेंगे हींग/ Asafoetida will keep you healthy हींग हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करती है। हींग बड़ी तीखी और दूर तक सहज ही फैल जाने वाली गंध की स्वामिनी है, जिसकी खुशबू सबका मन मोह लेती है। आइए जानें हींग से कैसे रखें अपने स्वास्थ्य को चुस्त-दुरुस्त...  Asafoetida protects our health. Asafoetida is the owner of a very pungent and easy-to-spread odor, whose scent captivates everyone. Let's know how to keep your health healthy with asafoetida ... * हिचकी, डकार या उल्टी होने पर केले के गूदे में मटर के दाने बराबर हींग रखकर खाने से वमन, डकार, हिचकी बंद हो जाएगी।  If there is hiccup, belching or vomiting, eating asafetida equal to peas in banana pulp will stop vomiting, belching, hiccups. * जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो उन्हें दस ग्राम हींग भूनी, बीस ग्राम काला नमक और अस्सी ग्राम बाय-बडंग पीसकर तीनों को मिलाकर रोज थोड़ा-थोड़ा गर्म पानी के साथ फाँकना चाहिए। याददाश्त दुरुस्त होगी।  Those whose memory power is weak, they should grind ten grams asafetida, twenty grams black s...