Skip to main content

अमलतास Amaltas

अमलतास Amaltas

अमलतास का पेड़ काफी बड़ा होता है, जिसकी ऊंचाई 25-30 फुट तक होती है। इसके पेड़ की छाल मटमैली और कुछ लालिमा लिए होती है। अमलतास का पेड़ आमतौर पर सभी जगह पाया जाता है। इसे बाग-बगीचों और घरों में सजावट के लिए भी लगाया जाता है। यह मैदानी भागों और देहरादून के जंगलों में अधिकता से मिलता है। 

The Amaltas tree is very big, whose height is 25-30 feet. The bark of its tree is beige and has some redness. Amaltas tree is usually found everywhere. It is also used for decoration in gardens and homes. It is found in abundance in the plains and forests of Dehradun.

अमलतास के पत्ते लगभग एक फुट लंबे, चिकने और जामुन के पत्तों के समान होते हैं। मार्च-अप्रैल में इसकी पत्तियां झड़ जाती हैं। फूल डेढ़ से ढाई इंच व्यास के चमकीले तथा पीले रंग के होते हैं। फूलों से आच्छादित पेड़ की शोभा देखते ही बनती है। इसके फूलों में कोई गंध नहीं होती है। अमलतास के फूल की फलियां एक से दो फुट लंबी और बेलनाकार होती हैं।

Amaltas leaves are about one foot long, smooth and similar to berries. Its leaves fall in March-April. The flowers are bright and yellow in color from one and a half to two and a half inches in diameter. The beauty of the tree covered with flowers is seen on sight. Its flowers have no smell. The pods of Amaltas flower are one to two feet long and cylindrical.

कच्ची फलियां हरी और पकने पर काले रंग की सुबह पूरे वर्ष वृक्ष पर लटकती मिलती हैं। फली में 25 से 100 तक चपटे एवं हल्के पीले रंग के बीज होते हैं। इनके बीच में काला गूदा होता है, जो दवाई के काम में आता है। इसकी छाल चमड़ा रंगने और सड़ाकर रेशे को निकालकर रस्सी बनाने में प्रयुक्त होती है।

Raw legumes are green and ripen on black morning hanging on the tree throughout the year. The pod contains 25 to 100 flattened and light yellow seeds. Between them is black pulp, which is used in medicine. Its bark is used to dye leather and make fibers by removing rotten fibers.

विभिन्न भाषाओं में नाम

संस्कृत आरग्वध, राजवृक्ष, नृपद्रुम, हेमपुष्प। हिंदी अमलतास, धनबहेड़ा। मराठी बाहवा। गुजराती गरमालों। बंगाली सोंदाल, सोनालु। पंजाबी अमलतास, निर्दनली। तेलगू रेलचट्टू कन्नड़ कक्केमर। अरबी खियारशम्बर। द्राविड़ी कोन्नेभर, शक्कोनै। असमी सोनास अंग्रेजी पुडिंग पाइप ट्री लैटिन कैसिया फिस्टुला 

Names in different languages:

Sanskrit Aargavadha, Rajvriksha, Nripadrum, Hempushp. Hindi Amaltas, Dhanbaheda. Marathi Bahwa. Gujarati Garments. Bengali Sondal, Sonalu. Punjabi Amaltas, Nirdanali. Telugu Railchatu Kannada Kakkamer. Arabic Khyarshambar. Dravidi Konnebhar, Shakkonai. Assamese Sonas English Pudding Pipe Tree Latin Cassia Fistula

स्वरूप

मार्च, अप्रैल में अमलतास के पेड़ की पत्तियां झड़ जाती हैं। इसके बाद नई पत्तियां और पीले फूल प्राय: एक साथ ही निकलते हैं, उसके बाद फली लगती है जो डेढ़-दो फुट लम्बी, गोल और लटकी रहती है। अमलतास बेलनाकार, कठोर, एक इंच व्यास की होती है। यह कच्ची अवस्था में हरी और पकने पर लाल-काली हो जाती है। इसकी फली के अंदर का भाग (गूदा) अनेक कोष्ठों में बंटा रहता है।

Format: 

In March, April, the leaves of the Amaltas tree fall. After this, new leaves and yellow flowers usually come out at the same time, after that a pod is formed which is one and a half to two feet long, round and hanging. Amaltas are cylindrical, rigid, one inch in diameter. It becomes green in raw state and turns red-black on ripening. The inner part (pulp) of its pod is divided into many cells.

Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

अमर बेल से विभिन्न रोगों में सहायक Amar Bell helps in various diseases

अमर बेल से विभिन्न रोगों में सहायक Amar Bell helps in various diseases खुजली : अमर बेल को पीसकर बनाए गए लेप को शरीर के खुजली वाले अंगों पर लगाने से आराम मिलता है। Itching: Applying a paste made by grinding immortal vine on the itchy parts of the body provides relief. छोटे कद के बच्चों की वृद्धि हेतु : जो बच्चे नाटे कद के रह गए हो , उन्हें आम के वृक्ष पर चिपकी हुई अमर बेल निकालकर सुखाएं और उसका चूर्ण बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह - शाम पानी के साथ कुछ माह तक नियमित रूप से खिलाएं। For the growth of children of short stature:   Those children who are short in height, dry them out by taking out the immortal vine sticking on the mango tree and make a powder of it in a quantity of 1-1 teaspoon morning and evening with water regularly for a few months. Feed from सुजाक व उपदंश में : अमर बेल का रस दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में इस रोग में पूर्ण आराम मि...

टी.बी की चिकित्‍सा क्‍या है? What is TB medicine?

टी.बी की चिकित्‍सा क्‍या है? What is TB medicine? आज ऐसी कारगर शक्तिशाली औषधियां उपलब्‍ध है, जिससे टी.बी. का रोग ठीक हो सकता है परन्‍तु सामान्‍यतया रोगी पूर्ण अवधि तक नियमित दवा का सेवन नहीं करता हे सीधी देख-रेख के द्वारा कम अवधि चिकित्‍सा टी.बी. रोगी को पूरी तरह से मुक्ति सुनिश्चित करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। Today, such powerful drugs are available, due to which TB Disease can be cured, but usually the patient does not take regular medicines for the full duration. The most effective way is to ensure complete discharge to the patient.  यह विधि स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा विश्‍वस्‍तर पर टी.बी. के नियन्‍त्रण के लिये अपनाई गई एक विश्‍वसनीय विधि है, जिसमें रोगी को एक-दिन छोडकर सप्‍ताह में तीन दिन कार्यकर्ता के द्वारा दवाई का सेवन कराया जाता है। This method is used globally by the Health Organization for TB. There is a reliable method adopted for the control of, in which the patient is given medicines by the worker three days a week except one day. डॉट्स विधि के अन्‍तर्गत चिकित्‍सा...

आपको स्वस्थ रखेंगे हींग/ Asafoetida will keep you healthy

आपको स्वस्थ रखेंगे हींग/ Asafoetida will keep you healthy हींग हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करती है। हींग बड़ी तीखी और दूर तक सहज ही फैल जाने वाली गंध की स्वामिनी है, जिसकी खुशबू सबका मन मोह लेती है। आइए जानें हींग से कैसे रखें अपने स्वास्थ्य को चुस्त-दुरुस्त...  Asafoetida protects our health. Asafoetida is the owner of a very pungent and easy-to-spread odor, whose scent captivates everyone. Let's know how to keep your health healthy with asafoetida ... * हिचकी, डकार या उल्टी होने पर केले के गूदे में मटर के दाने बराबर हींग रखकर खाने से वमन, डकार, हिचकी बंद हो जाएगी।  If there is hiccup, belching or vomiting, eating asafetida equal to peas in banana pulp will stop vomiting, belching, hiccups. * जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो उन्हें दस ग्राम हींग भूनी, बीस ग्राम काला नमक और अस्सी ग्राम बाय-बडंग पीसकर तीनों को मिलाकर रोज थोड़ा-थोड़ा गर्म पानी के साथ फाँकना चाहिए। याददाश्त दुरुस्त होगी।  Those whose memory power is weak, they should grind ten grams asafetida, twenty grams black s...