मधुमेह रोगियों के लिए हल्दी बेहद फायदेमंद है Turmeric is very beneficial for diabetics
Raw turmeric has cancer fighting properties. It prevents the growth of cancer cells of prostate cancer, especially in men, as well as eliminates them. It also protects against tumors from exposure to harmful radiation.
हल्दी में सूजन को रोकने का खास गुण होता है। इसका उपयोग गठिया रोगियों को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है। यह शरीर के प्राकृतिक सेल्स को खत्म करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करती है और गठिया रोग में होने वाले जोडों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
मधुमेह
रोगियों के लिए हल्दी बेहद फायदेमंद है लेकिन ज्यादा हल्दी के सेवन से
ब्लड शुगर काफी अधिक कम हो जाती है अगर आपको पहले से ही एनीमिया की शिकायत
है तो, हल्दी का सेवन कम कर दें.
Turmeric is very beneficial for diabetics, but the intake of more turmeric reduces blood sugar significantly. If you already have anemia, then reduce the intake of turmeric.
कच्ची
हल्दी में कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। यह खासतौर पर पुरुषों में होने
वाले प्रोस्टेट कैंसर के कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने के साथ साथ उन्हें
खत्म भी कर देती है। यह हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से होने वाले
ट्यूमर से भी बचाव करती है।
हल्दी में सूजन को रोकने का खास गुण होता है। इसका उपयोग गठिया रोगियों को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है। यह शरीर के प्राकृतिक सेल्स को खत्म करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करती है और गठिया रोग में होने वाले जोडों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।
Turmeric has the special property of preventing inflammation. Its use greatly benefits arthritis patients. It eliminates free radicals that eliminate the body's natural cells and provides relief in joint pain caused by arthritis.
कच्ची
हल्दी में इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने का गुण होता है। इस प्रकार यह
मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है। इंसुलिन के अलावा यह ग्लूकोज
को नियंत्रित करती है जिससे मधुमेह के दौरान दी जाने वाली उपचार का असर बढ़
जाता है। परंतु अगर आप जो दवाइयां ले रहे हैं बहुत बढ़े हुए स्तर (हाई
डोज) की हैं तो हल्दी के उपयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह अत्यंत आवश्यक है।
Raw turmeric has the property of balancing insulin levels. Thus, it is very beneficial for diabetics. Apart from insulin, it also controls glucose, which increases the effectiveness of treatment given during diabetes. But if the medicines you are taking are of very high levels, then medical advice is very important before using turmeric.
शोध
से साबित हो चका है कि हल्दी में लिपोपॉलीसेच्चाराइड नाम का तत्व होता है
इससे शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हल्दी इस तरह से शरीर में
बैक्टेरिया की समस्या से बचाव करती है। यह बुखार होने से रोकती है। इसमें
शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाने के गुण होते है।
Research has proved that turmeric contains an element called lipopolysaccharide, which strengthens the immune system in the body. Turmeric thus prevents the problem of bacteria in the body. It prevents fever. It has properties to protect the body from fungal infections.
हल्दी के लगातार
इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल सेरम का स्तर शरीर में कम बना रहता है।
कोलेस्ट्रोल सेरम को नियंत्रित रखकर हल्दी शरीर को ह्रदय रोगों से सुरक्षित
रखती है।
Cholesterol serum levels remain low in the body due to frequent use of turmeric. Turmeric keeps the body safe from heart diseases by keeping cholesterol in control.
कच्ची
हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी सेप्टिक गुण होते हैं। इसमें इंफेक्शन
से लडने के गुण भी पाए जाते हैं। इसमें सोराइसिस जैसे त्वचा संबंधि रोगों
से बचाव के गुण होते हैं।
Raw turmeric has antibacterial and anti septic properties. It also has the properties of fighting infection. It has properties of protection against skin diseases like psoriasis.
हल्दी
का उपयोग त्वचा को चमकदार और स्वस्थ रखने में बहुत कारगर है। इसके
एंटीसेप्टीक गुण के कारण भारतीय संस्कृति में विवाह के पूर्व पूरे शरीर पर
हल्दी का उबटन लगाया जाता है।
The use of turmeric is very effective in keeping the skin shiny and healthy. Due to its antiseptic properties, turmeric is applied to the entire body before marriage in Indian culture.
कच्ची हल्दी से बनी चाय अत्यधिक लाभकारी पेय है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
Tea made from raw turmeric is a highly beneficial drink. This strengthens the immune system.
हल्दी में वजन कम करने का गुण पाया जाता है। इसका नियमित उपयोग से वजन कम होने की गति बढ़ जाती है।
Turmeric is found to have weight loss properties. Its regular use increases the speed of weight loss.
शोध से साबित होता है कि हल्दी लीवर को भी स्वस्थ रखती है। हल्दी के उपयोग से लीवर सुचारु रुप से काम करता रहता है।
Research proves that turmeric also keeps liver healthy. The use of turmeric keeps the liver functioning smoothly.
हल्दी
विस्मयकारी गुणों से भरपूर है परंतु कुछ लोगों पर इसके विपरीत प्रभाव पड़
सकते हैं। जिन लोगों को हल्दी से एलर्जी है उन्हें पेट में दर्द या डायरिया
जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को कच्ची हल्दी के उपयोग से
पहले चिकित्सकीय सलाह ले लेनी चाहिए। इससे खून का थक्का जमना भी प्रभावित
हो सकता है जिससे रक्त का बहाव बढ़ जाता है अत: अगर किसी की सर्जरी होने
वाली हो तो उन्हें कच्ची हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए।
Turmeric is full of astounding properties but it can have adverse effects on some people. People who are allergic to turmeric may experience abdominal pain or diarrhea-like symptoms. Pregnant women should seek medical advice before using raw turmeric. This can also affect blood clotting, which increases blood flow, so if someone is going to have surgery, they should not consume raw turmeric.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
yourselfhealthtips.blogspot.com
आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
Comments
Post a Comment