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हल्दी turmeric (curcuma longa)

हल्दी turmeric (curcuma longa)

हल्दी के गुणों से अमूमन हर कोई परिचित होता है। भारतीय खाने की हल्दी के बिना कल्पना करना भी मुश्किल है। हल्दी का उपयोग पाचन तंत्र को सुधारने में, सूजन कम करने में और शरीर के शोधन में हजारों सालों से उपयोग किया जा रहा है। इसमें पाया जाने वाले तत्व करक्यूमिनोइड्स और वोलाटाइल तेल कैंसर रोग से लड़ने के लिए भी जाने जाते हैं।

 Everyone is familiar with the properties of turmeric. It is also difficult to imagine Indian eating turmeric without it. Turmeric has been used for thousands of years to improve the digestive system, reduce inflammation, and purify the body. The elements found in it are also known to fight against cancer and volatile oil cancer.

सर्दियों के मौसम में हल्दी की गांठ का उपयोग सबसे अधिक लाभदायक है और यह समय हल्दी से होने वाले फायदों को कई गुना बढ़ा देता है क्योंकि कच्ची हल्दी में हल्दी पाउडर की तुलना  में ज्यादा गुण होते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कच्ची हल्दी के इस्तेमाल के दौरान निकलने वाला रंग हल्दी पाउडर की तुलना में काफी ज्यादा गाढ़ा और पक्का होता है।

 The use of turmeric lumps is the most beneficial in winter season and this time increases the benefits of turmeric manifold as raw turmeric has more properties than turmeric powder. You will be surprised to know that the color emitted during the use of raw turmeric is much thicker and firmer than turmeric powder.

कच्ची हल्दी, अदरक की तरह दिखाई देती है। इसे ज्यूस में डालकर, दूध में उबालकर, चावल के व्यंजनों में डालकर, अचार के तौर पर, चटनी बनाकर और सूप में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है।
शोध से साबित हो चका है कि हल्दी में लिपोपॉलीसेच्चाराइड नाम का तत्व होता है इससे शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हल्दी इस तरह से शरीर में बैक्टेरिया की समस्या से बचाव करती है। यह बुखार होने से रोकती है। इसमें शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाने के गुण होते है।

 Raw turmeric looks like ginger. It can be used by adding it in juices, boiling it in milk, adding it to rice dishes, as a pickle, making chutney and mixing it in soup.

Research has proved that turmeric contains an element called lipopolysaccharide, which strengthens the immune system in the body. Turmeric thus prevents the problem of bacteria in the body. It prevents fever. It has properties to protect the body from fungal infections.

लाइफस्टाइल डेस्क: भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वालों मसालों में हल्दी टॉप पर है। इसका उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने और रंग भरने के लिए होता है। इंडिया में शादी में एक रस्म ‘हल्दी’ की भी होती है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन के शरीर पर हल्दी लगाई जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि हल्दी से रंग निखरता है और शादी के दिन चेहरे पर एक अलग ही ग्लो नज़र आता है। सेहत के लिहाज़ से भी इसका सेवन बहुत लाभकारी है। आज हम आपको हल्दी के कुछ ऐसे ही उपयोग बताएंगे।

Lifestyle Desk: Turmeric is the top most used spice in India. It is used to enhance taste and color in food. In India, there is a ritual of 'turmeric' in marriage, in which turmeric is applied on the body of the bride and groom. There is a belief behind this that turmeric enhances color and on the wedding day a different glow appears on the face. Its intake is also very beneficial for health. Today we will tell you some similar uses of turmeric.

उम्र घटाए- हल्दी चेहरे पर जम रही अनचाही परतों को अपने औषधीय गुणों द्वारा कम करती है और आपकी बढ़ती उम्र का पता नहीं लगने देती।

 Decrease Age- Turmeric reduces unwanted layers on the face by its medicinal properties and does not allow your old age to be detected.

उपाय- इसके लिए आप तीन चम्मच बेसन में एक चौथाई चम्मच हल्दी और पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। पानी की जगह आप कच्चा दूध या दही भी मिला सकती हैं। चेहरे पर अच्छे से लगाकर इसे सूखने दें और उसके बाद गुनगुने पानी से हल्का मसाज करते हुए धो लें।

 Remedy- For this, you make a paste by mixing one-fourth teaspoon turmeric and water in three teaspoons gram flour. You can also add raw milk or curd instead of water. Apply it well on the face and let it dry and then wash it off with a light massage with lukewarm water.

झुर्रियां- चेहरे पर पड़ रही झुर्रियों के कारण आप समय से पहले ही बूढ़ी दिखने लगती हैं। हल्दी को आप अलग-अलग तरह की चीजों में मिलाकर इस्तेमाल करेंगी, तो आपके चेहरे पर पड़ रही झुर्रियां दूर हो जाएंगी और त्वचा दमकेगी।
 Wrinkles- Due to the wrinkles on your face, you start to look old before time. If you use turmeric by mixing it in different things, then the wrinkles on your face will go away and the skin will glow.

Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
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4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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