गंजेपन का उपचार Treatment of baldness
थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस ले, उसमे चुटकी भर केसर डालकर पेस्ट बना ले, इस पेस्ट को कुछ हफ़्तों तक सोते समय सिर में लगाने से गंजापन दूर होता है.
Treatment - 1:
Grind a little bit of liquorice in milk, add a pinch of saffron and make a paste, applying this paste in your head at bedtime for a few weeks, removes baldness.
उपचार - 2:
गाजर को उबालकर पीसकर, पेस्ट बना ले, यह पेस्ट 25-30 मिनट तक सिर में लगाकर रखे, फिर बालो को धो ले, कुछ ही हफ़्तों में गंजे स्थान पर नए बाल उगने लगेंगे.
Treatment - 2:
Boil the carrot, make a paste, keep this paste in the head for 25-30 minutes, then wash the hair, within a few weeks new hair will grow on the bald area.
उपचार - 3:
मेथी को रात भर भिगो कर रखे, सुबह दही के साथ मिलाकर बालों की जड़ो में लगाए, कुछ देर बाद बालों को धो ले, कुछ ही समय में बाल स्वस्थ होकर गंजेपन से छुटकारा मिलेगा.
Treatment - 3:
Soak fenugreek overnight, mix it with curd in the morning and apply it to the roots of the hair, wash the hair after some time, get the hair healthy in no time and get rid of baldness.
उपचार - 4:
अनार के पत्ते पीसकर कुछ हफ्ते तक गंजे स्थान पर लगाने से गंजापन दूर होता है.
Treatment - 4:
Grind pomegranate leaves and apply on bald area for few weeks, it removes baldness.
उपचार - 5:
जिस स्थान से बाल उड़ गए हो, वह पर हरे धनिये का लेप करने से कुछ ही हफ़्तों में फिर से बाल उगने लगते है.
Treatment - 5:
Applying green coriander to the place where hair has blown off, hair starts growing again in a few weeks.
उपचार - 6:
केले के गूदे को नीम्बू के रास में मिलाकर, उड़े हुए बालो वाले स्थान पर लगाने से कुछ ही दिनों में बालो का उड़ना रुक जाता है.
Treatment - 6:
Mixing banana pulp with lemon juice and applying it to the blown hair area stops hair flying within a few days.
उपचार - 7:
प्याज को 2 भागो में काट ले, आधे प्याज को उड़े हुए बालो वाले स्थान पर 5-7 मिनट तक प्रतिदिन घिसे, फिर थोड़ा शहद लगा ले, कुछ ही हफ़्तों में नए बाल उग आएंगे.
Treatment - 7:
Cut the onion into 2 parts, rub half the onion in the hairy area for 5-7 minutes daily, then apply some honey, new hair will grow in a few weeks.
उपचार - 8:
उडद की दाल को उबालकर पीस ले, रात को सोते समय इसका लेप करने से कुछ ही महीनो में बाल आने लगते है.
Treatment - 8:
Boil and grind the pulse of urad dal, after applying it at bedtime, hair starts coming in a few months.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
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