पीपल के स्वास्थ्यवर्धक लाभ और उससे होने वाले घरेलु उपचार People's Health Benefits and Home Remedies
दांतों के लिए फायदेमंद होता है :-
पीपल
के उपयोग से मुँह की बदबू , दांतों की जडें कमजोर होना और मसूड़ों के दर्द
को आसानी से दूर किया जा सकता है | इसके लिए 2 ग्राम काली मिर्च, 10
ग्राम पीपल की छाल और कत्था को बारीक पीसकर उसका पाउडर बना लें और इससे
दांतों को साफ करें। आपको इन रोगों से अवश्य मुक्ति मिलेगी।
It is beneficial for teeth: -
The use of peepal can easily relieve the stench of the mouth, weakening of the roots of teeth and pain of the gums. For this, make a fine powder by grinding 2 grams black pepper, 10 grams peepal bark and catechu, and clean the teeth with it. You will definitely get freedom from these diseases.
सांस की तकलीफ दूर करे :-
पीपल
का पेड़ सांस संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या में आपके लिए बहुत फायदेमंद
हो सकता है। इसके लिए पीपल के पेड़ की छाल का अंदरूनी हिस्सा निकालकर सुखा
लें। सूखे हुए इस भाग का चूर्ण बनाकर रोज़ कोसे पानी के साथ एक छोटा चम्मच
चूर्ण का सुबह शाम सेवन करें | इससे आपको अवश्य फायदा होगा |
Eliminate shortness of breath: -
Peepal tree can be very beneficial for you in any type of breathing problem. For this, remove the inner part of peel tree bark and dry it. Make a powder of this dried part and take a small spoon of powder with Kosse water every morning and evening. You will definitely benefit from this.
दन्तकांति प्रदान करे :-
पीपल की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं और दांतों में चमक आती है | इस दातुन से दन्त सम्बन्धी सभी समस्या समाप्त हो जाती हैं ।
Provide denture: -
Tooth the teeth, make teeth strong and teeth glow. All the dental problems are eliminated with this datun.
पाचन शक्ति बढाए :-
आठ
लौंग, दो हरड़, पीपल के चार फल तथा दो चुटकी सेंधा नमक को पीसकर चूर्ण
बना लें और फिर इस चूर्ण को सुबह-शाम भोजन के बाद कोसे पानी के साथ लें |
इससे आपकी पाचन शक्ति में सुधार होगा |
Increase digestion power:-
Make a powder by grinding eight cloves, two myrobalan, four fruits of peepal and two pinches of rock salt and then take this powder with water after morning meal. This will improve your digestive power.
अजीर्ण रोग में दे फायदा :-
पीपल
की छाल, लौंग के चार नग, दो हरड़ तथा एक चुटकी हींग-चारों चीजों को पानी
में उबालकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से अजीर्ण रोग दोर्र हो जाता है |
Give benefits in indigestion: -
Peel bark, four cloves of cloves, two myrobalan and a pinch of asafoetida - Boil four things in water and make a decoction after consuming them.
खट्टी डकार को दूर करे :-
यदि
आपको खट्टी डकारें आती हों तो पीपल के पत्तों को जलाकर उसकी भस्म में आधा
नीबू निचोड़ कर सेवन करने आपको फायदा मिलेगा और खट्टी डाकर की शिकायत खत्म
हो जाएगी ।
Remove sour belching: -
If you feel sour belching, then you will benefit by burning peepal leaves and squeezing half a lemon in its ash and consuming it will end the complaint of sour belching.
पेट के रोग दूर करे :-
पीपल
की छाल, जामुन की छाल तथा नीम की छाल तीनों छालों को थोड़ी- थोड़ी मात्रा
में लेकर अच्छे से कूट लें और फिर इसका काढ़ा बनाकर सेवन करें। यह काढ़ा
पेट के हर रोग के लिए उत्तम औषधि का काम करेगा |
Remove stomach diseases: -
Peepal bark, bark of berries and neem bark, take a little quantity of three bark and grind it well and then take its decoction. This decoction will work as a good medicine for every stomach disease.
नपुंसकता का दोष दूर करे :-
यदि
व्यक्ति में नपुंसकता का दोष मौजूद है और वह सन्तान उत्पन्न करने में
असमर्थ है तो उसे शमी वृक्ष की जड़ या आसपास उगने वाला पीपल के पेड़ की जटा
को औटाकर उसका क्वाथ (काढ़ा) पीना चाहिए। पीपल के जड़ तथा जटा में
पुरुषत्व प्रदान करने के गुण पाए जाते हैं |
Eliminate impotence defect: -
If impotence defect is present in the person and he is unable to produce a child, then he should drink the decoction of the root of the Shami tree or the peat tree (adjoining tree) that grows around it. Peepal root and coir are found to provide masculinity.
दाद और खुजली को दूर करे :-
दाद,
खाज और खुजली दूर करने के लिए पीपल के 4 पत्तों को चबाकर सेवन करें। या
फिर पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा बना कर पियें इससे दाद व खुजली की शिकायत
दूर हो जाएगी |
Remove ringworm and itching: -
To cure ringworm, itching and itching, chew 4 leaves of peepal and consume it. Or make a decoction of bark of peepal tree and drink it, it will remove the complaints of ringworm and itching.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
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