पीठ दर्द दूर करने के लिए खान – पान पर दे ध्यान Pay attention to eating and drinking to relieve back pain
पीठ दर्द दूर करने के लिए खान – पान पर दे ध्यान Pay attention to eating and drinking to relieve back pain
डॉक्टरों की मानें तो शारीरिक व्यायाम और सही मुद्रा का ध्यान रेखते हुए पीठ दर्द की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन पीठ दर्द से छुटकारा पाने के लिए शरीर को उचित पोषण मिलना भी आवश्यक है। डॉक्टरों के अनुसार शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ आहार का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है।
हमेशा सीधी पीठ करके बैठे और चले।
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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व्यायाम
से शरीर संबंधी कई तरह की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। व्यायाम से
मनुष्य की मांसपेशियो और हड्डियो पर खिचाव पड़ता है जिससे वे लचीली हो जाती
है और ज़रूरत पड़ने पर परिस्थिति के अनुकूल ढल जाती है। इससे उनका दबाब
नहीं पड़ता और हड्डियो में किसी प्रकार का दर्द भी नहीं होता।
Many types of body related problems can be relieved with exercise. Exercise causes stress on the muscles and bones of the human body by which they become flexible and adapt to the situation when needed. This does not strain them and there is no pain in the bones.
डॉक्टरों की मानें तो शारीरिक व्यायाम और सही मुद्रा का ध्यान रेखते हुए पीठ दर्द की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन पीठ दर्द से छुटकारा पाने के लिए शरीर को उचित पोषण मिलना भी आवश्यक है। डॉक्टरों के अनुसार शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ आहार का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है।
According to doctors, by taking care of physical exercise and correct posture, the problem of back pain can be relieved. But to get rid of back pain, proper nutrition is also necessary for the body. According to doctors, it is very important to take care of diet along with physical exercise.
हमेशा सीधी पीठ करके बैठे और चले।
आगे की ओर झुकने वाले आसनो को न करे और दर्द होने पर व्यायाम बंद कर दे।
लगातार अधिक देर तक कुर्सी पर न बैठे। थोड़ी-थोड़ी देर के अंतराल पर उठकर टहल ले।
वजन वाली वस्तुयों को न उठाए। यदि उठाए तो पहले घुटनो को मोड़े और फिर उठाए। इसे कमर पर ज़ोर नहीं पड़ेगा।
Always sit with a straight back and walk.
Do not do the postures leaning forward and stop exercising if there is pain.
Do not sit in the chair continuously for a long time. Get up and take a walk at a few intervals.
Do not carry objects weighing. If raised, bend the knees first and then lift. It will not be stressed at the waist.
Do not do the postures leaning forward and stop exercising if there is pain.
Do not sit in the chair continuously for a long time. Get up and take a walk at a few intervals.
Do not carry objects weighing. If raised, bend the knees first and then lift. It will not be stressed at the waist.
भोजन
में मछली, अनाज, लौकी, तिल और हरी सब्जियों को सम्मिलित करे। इनमे मौजूद
पोषक तत्व हड्डियो को मजबूत करने का काम करते है । जिससे उनमे दर्द होने की
सम्भावना कम हो जाती है।
इसके
अलावा विटामिन D3 और विटामिन C, कैल्शियम, फॉस्फोरस युक्त खाद्य पदार्थो
का अधिक सेवन करे। ये पीठ दर्द में बहुत लाभकारी होते है।
Include fish, grains, gourd, sesame and green vegetables in the diet. The nutrients present in them work to strengthen the bones. Which reduces the possibility of pain in them.
Apart from this, eat more foods containing vitamin D3 and vitamin C, calcium, phosphorus. They are very beneficial in back pain.
Apart from this, eat more foods containing vitamin D3 and vitamin C, calcium, phosphorus. They are very beneficial in back pain.
अधिक
पीठ दर्द होने पर रोगी को काम नहीं करना चाहिए और जितना हो सके आराम करना
चाहिए। इसके अलावा जिस स्थिति में रीढ़ की हड्डी मुड़े उस स्थिति में कतई न
सोए।
अधिक
दर्द होने पर खुद डॉक्टर न बने और अपने सुझाव की दवायो के सेवन से बचे।
इससे समस्या और भी बढ़ सकती है। इसलिए जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से भेंट
करे।
If there is more back pain, the patient should not work and should take rest as much as possible. Also, do not sleep at all when the spine is bent.
Do not become a doctor yourself if you have more pain and avoid taking the medicines of your suggestion. This can increase the problem further. Therefore, visit the doctor as soon as possible.
Dr.Manoj Bhai RathoreDo not become a doctor yourself if you have more pain and avoid taking the medicines of your suggestion. This can increase the problem further. Therefore, visit the doctor as soon as possible.
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आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
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