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नीम ग्रामीण औषधालय Neem Rural Dispensary

नीम ग्रामीण औषधालय Neem Rural Dispensary

निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत।
और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इसे ग्रामीण औषधालय का नाम भी दिया गया है। यह पेड़ बीमारियों वगैरह से आज़ाद होता है और उस पर कोई कीड़ा-मकौड़ा नहीं लगता, इसलिए नीम को आज़ाद पेड़ कहा जाता है।

 It is found in ancient medical texts like Nimba Sheeto miniaturist Katur Koagni Vatanut. And Sushruta Samhita. It is also named as Rural Dispensary. This tree is free from diseases, etc. and there is no insect on it, hence neem is called free tree.

 भारत में नीम का पेड़ ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग रहा है। लोग इसकी छाया में बैठने का सुख तो उठाते ही हैं, साथ ही इसके पत्तों, निबौलियों, डंडियों और छाल को विभिन्न बीमारियाँ दूर करने के लिए प्रयोग करते हैं। ग्रन्थ में नीम के गुण के बारे में चर्चा इस तरह है :-

 Neem tree has been an integral part of rural life in India. People enjoy the pleasure of sitting in its shadow, as well as use its leaves, nectarines, sticks and bark to remove various diseases. The discussion about the quality of neem in the text is as follows: -

अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु ॥

अर्थात नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा,हृदय को प्रिय, अग्नि, वाट, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, कफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है। चैत्र नवरात्री हमारे लिए नववर्ष का शुभारम्भ होता है। तब दादी माँ के नुस्खे यानि स्वास्थ्य रीती व परम्परानुसार नीम के रस का सेवन 9 दिनों तक प्रातः ही करना चाहिए ताकि हम पुरे वर्ष चुस्त व तंदुरुस्त रहें। 

 That is, Neem cools, lightens, charpara in grahi pak, dear to heart, agni, wat, diligence, trisha, anorexia, creamy, ulcer, phlegm, vamana, leprosy and destroys various diseases. Chaitra Navratri is the beginning of new year for us. Then, according to the grandmother's recipe i.e. health practice and tradition, neem juice should be consumed for 9 days in the morning so that we remain fit and healthy all year.

 वैसे किसी भी मौसम में नीम के पत्ते हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है। चैत्र नवरात्रि पर नीम के कोमल पत्ते होते है, इसलिए इसके कोमल पत्तों को पानी में घोलकर सील बट्टे या मिक्सी में पीसकर इसकी गोली तैयार कर ले, इसमें थोडा सैंधा या काला नमक, हींग,जीरा, अजवायन और कुछ काली मिर्च डालकर उसे ग्राह्य योग्य बनाया जाता है। इस गोली को कपडे में छाना जाता है, छाना हुआ पानी गाढ़ा या पतला कर प्रातः खली पेट एक कप से एक गिलास तक सेवन करना चाहिए। 

 By the way, neem leaves prove very useful for our body in any season. On Chaitra Navratri, neem leaves are soft, so dissolve its soft leaves in water and grind them in a seal batty or mixi and prepare the tablet, add some sandha or black salt, asafoetida, cumin, carom seeds and some black pepper to it. is made. This tablet is filtered in cloth, thickened or diluted filtered water should be consumed in the morning from one cup to one glass.

लगातार 9 दिनों तक इसी अनुपात में लेने से पुरे साल की स्वास्थ्य गारंटी हो जाती है। सही मायने में चैत्र नवरात्री स्वास्थ्य नवरात्री है, यह इन दिनों बच्चों के चेचक से बचाता है। यह रस एंटीसेप्टिक, एंटी बेक्टेरियल, एंटीवायरल, एंटीवर्म, एंटीएलर्जिक, एंटीट्यूमर आदि गुणों से भरपूर है। ऐसे सर्वगुण संपन्न अनमोल नीम रूपी स्वास्थ्य रस का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति को चैत्र नवरात्री में करना चाहिए। 

 Taking this ratio for 9 consecutive days gives health guarantee for the whole year. Chaitra Navratri is health Navratri in the true sense, it protects children from smallpox these days. This juice is full of antiseptic, anti-bacterial, antiviral, antivarum, antiallergic, antitumor etc. properties. Every person should use such rich precious neem health juice in Chaitra Navratri.

जिन लोगों को बार बार-बुखार और मलेरिया का संक्रमण होता है, उनके लिए यह रामवाण औषधि है। वैसे तो आप प्रतिदिन पांच ताज़ा नीम की पत्तियाँ चबा ले तो अच्छा है, प्रतिदिन इसका प्रयोग करने पर मधुमेह रोगियों के रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है। घरेलू उपयोग
नीम के वृक्ष की ठंण्डी छाया गर्मी से राहत देती है तो पत्ते फल-फूल, छाल का उपयोग घरेलू रोगों में किया जाता है, 
 For people who have frequent fever and malaria infection, this is the medicine for Ramvana. By the way, if you chew five fresh neem leaves every day, it is good to use it daily, the blood sugar level of diabetics decreases. domestic use
The cool shade of neem tree gives relief from heat, leaves, flowers, bark are used in domestic diseases.


  Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
  क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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