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आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है In Ayurveda, treatment of 300 diseases is possible with drunkenness

आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है In Ayurveda, treatment of 300 diseases is possible with drunkenness

दुनीया का सबसे ताकतवर पोषण पुरक आहार है सहजन (मुनगा) 300 से अधि्क रोगो मे बहोत फायदेमंद इसकी जड़ से लेकर फुल, पत्ती, फल्ली, तना, गोन्द हर चीज़ उपयोगी होती है सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। 

 Drunya (Munga) is the most powerful nutritious diet of the world. Drum (Munga) is very beneficial in more than 300 diseases, from its root to full, leaf, pulley, stem, gond, everything is useful in carbohydrate, protein, calcium, potassium, iron, magnesium. , Vitamin-A, C and B complexes are found in abundance.

एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में 4 गुना  कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है।

According to a study, it has 4 times more calcium and double protein than milk. Drumstick rich in natural properties is so full of medicinal properties that its pickle and chutney are helpful in getting rid of many diseases. It is not only beneficial for the eater but also for the land on which it is planted.
 

  • आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है In Ayurveda, treatment of 300 diseases is possible with drunkenness
  • सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना Comparison of nutritional properties of drumstick
  • 100 ग्राम सहजन, 5 गिलास दूध जितनी ताकतवर100 grams drumstick, as strong as 5 glasses of milk
  • सहजन (Drumstick tree) के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण Ayurvedic and medicinal properties of Drumstick tree
  • सहजन का पेड़ सेहत का खजाना Drumstick tree is a treasure of health
  • Drumstick is Medicine over Three hundred diseases
  • सहजन पेड़ नहीं मानव के लिए कुदरत का चमत्कारDrumstick tree is not a miracle of nature for humans
  • सहजन से बढ़ाएं सेक्स पावर, जानें 7 बेहतरीन लाभ Increase sex power with drums, learn 7 great benefits
  • वैवाहिक जीवन के लिए वरदान है सहजन का सूप Drumstick soup is a boon for married life
  • कई बीमारियों को दूर करती है सहजन Drumstick removes many diseases
  • सहजन से बढ़ाएं सेक्स पावर  Increase sex power with drumstick
  • सहजन में छुपा है कई रोगों का इलाज, जानें इसके कुछ बेहद खास गुणों को Treatment of many diseases is hidden in the drumstick, learn some of its very special properties


1-विटामिन सी- संतरे से सात गुना
2-विटामिन ए- गाजर से चार गुना
3-कैलशियम- दूध से चार गुना
4-पोटेशियम- केले से तीन गुना
5-प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना
 
स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , कैल्शियम , पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम,
According to health, its pods, green and dry leaves contain carbohydrates, protein, calcium, potassium, iron, magnesium,

विटामिन-ए , सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है
Vitamin-A, C and B-complex are abundant

इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ‘ मोरिगा ओलिफेरा ‘ है हिंदी में इसे सहजना , सुजना , सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं.
Many diseases can be prevented by consuming them, its botanical name is 'Moriga oleifera', in Hindi it is also known by the names of Sahajna, Sujna, Senjan and Munga.

जो लोग इसके बारे में जानते हैं , वे इसका सेवन जरूर करते हैं
People who know about it, definitely consume it

सहजन में दूध की तुलना में चार गुना कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन पाया जाता है.
Drumstick contains four times calcium and double protein compared to milk.

ये हैं सहजन के औषधीय गुण सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में , इसकी फली वात व उदरशूल में , पत्ती नेत्ररोग , मोच , साइटिका , गठिया आदि में उपयोगी है
These are the medicinal properties of drumstick. Drumstick is useful in stomach and phlegm diseases, its pod is useful in vata and colic, leaf ophthalmology, sprains, sciatica, arthritis etc.

इसकी छाल का सेवन साइटिका , गठिया , लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं
Its bark is beneficial in sciatica, arthritis, liver. Drinking honey in the bark of drumstick eliminates vata and phlegm diseases

इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया , साइटिका , पक्षाघात , वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है.
Taking decoction of its leaf provides quick relief in arthritis, sciatica, paralysis, air disorders. In the rapid velocity of sciatica, decoction of its root shows a miraculous effect at a rapid rate.

मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है |
After sprain etc., make pulp of drumstick leaves, add mustard oil and cook on the flame and applying it in place of sprain soon results in benefits.


Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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