ऐसे करें हल्दी का उपयोग How to use turmeric
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कच्चे दूध, टमाटर का रस, चावल का आटा और हल्दी एक साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं।
इसे चेहरे पर लगाकर कुछ देर सूखने दें। दूध में मौजूद लैक्टिक एसिड आपकी
डेड हो रही स्कीन को रिपेयर करता है।
Make a paste by mixing raw milk, tomato juice, rice flour and turmeric together. Apply it on the face and let it dry for some time. The lactic acid present in milk repairs your dead skin.
– छाछ और गन्ने के रस में हल्दी मिलाकर पीने से आंखों के नीचे पड़ रहे काले घेरे और झुर्रियां ठीक होती हैं।
Drinking turmeric mixed with buttermilk and sugarcane juice cures dark circles and wrinkles falling under the eyes.
– हल्दी और शहद का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा के पोर्स (रोम छिद्र) खुल जाते हैं, जिससे त्वचा को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है और त्वचा फिर से जवां दिखने लगती है।
By applying turmeric and honey paste on the face, the pores (pores) of the skin are opened, due to which the skin gets plenty of oxygen and the skin starts to look young again.
अन्य लाभ:Other benefits:
मुहांसे और उसके निशान ठीक होते हैं, स्ट्रेच मार्क्स हटते हैं, जलने के निशान मिटते हैं, फेशियल होता है, फटी एड़ियां ठीक होती हैं।
Acne and its scars are fine, stretch marks are removed, burn marks are removed, facials are there, torn ankles are fine.
दूध और हल्दी – रोग को पास ना आने दे,आयुर्वेद में हल्दी को सबसे बेहतरीन नेचुरल एंटीबायोटिक माना गया है।इसलिए यह स्किन, पेट और शरीर के कई रोगों में उपयोग की जाती है।हल्दी के पौधे से मिलने वाली इसकी गांठें ही नहीं, बल्कि इसके पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं।
Milk and Turmeric - Do not let the disease come to pass.Turmeric has been considered the best natural antibiotic in Ayurveda.Therefore, it is used in many diseases of the skin, stomach and body.Not only its lumps from turmeric plant, but its leaves are also very useful.
ये तो हुई बात हल्दी के गुणों की, इसी प्रकार दूध भी प्राकृतिक प्रतिजैविक है।यह शरीर के प्राकृतिक संक्रमण पर रोक लगा देता है।हल्दी व दूध दोनों ही गुणकारी हैं, लेकिन अगर इन्हें एक साथ मिलाकर लिया जाए तो इनके फायदे दोगुना हो जाते हैं।इन्हें एक साथ पीने से कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
This happened because of the properties of turmeric, similarly milk is also natural antibiotic. It prevents the natural infection of the body. Both turmeric and milk are beneficial, but if taken together, their benefits would be doubled. Drinking them together removes many health-related problems.
Ayurveda doctor
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क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
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