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अनन्त विभिन्न रोगों में सहायक(Everlasting) Helpless in various diseases

अनन्त विभिन्न रोगों में सहायक(Everlasting) Helpless in various diseases
 
सामान्य परिचय अनन्त का पेड़ बहुत ऊंचा बढ़ता है। इसके वृक्ष अधिकतर कोंकण प्रान्त में पाये जाते हैं तथा पत्ते लम्बे और कुछ मोटे होते हैं। अनन्त का पेड़ अत्यंत सुन्दर दिखाई पड़ता है। इसके वृक्ष में अगस्त के महीने में फूल आते हैं जोकि गुच्छेदार और तगर के फूलों की तरह होते हैं। 

General Introduction The eternal tree grows very high. Its trees are mostly found in the Konkan province and the leaves are long and somewhat thick. The eternal tree looks very beautiful. Its tree brings flowers in the month of August, which are tufted and like flowers.
 
ये फूल भी अत्यंत सुहावने होते हैं। अनन्त के फूल से मधुर सुगन्ध आती है। यह वृक्ष तगर की जाति का ही है। इसकी दो जातियां होती हैं- सफेद और काली। विभिन्न भाषाओं में नाम : हिंदी अनन्त, पिंडितगर गुजराती अनन्त मराठी पिंडिगर तैलिंगी तगरपादिकामु लैटिन गार्डेनिया फ्लोरिडेंडा .

 These flowers are also very pleasant. Eternal flower brings sweet fragrance. This tree belongs to the tribe It has two castes - white and black. Names in different languages: Hindi Anant, Pinditagar Gujarati Anant Marathi Pindigar Tailingi Tagarpadikamu Latin Gardenia Florida.

विभिन्न रोगों में सहायक :Helpful in various diseases:

 1. सांप के जहर पर : 

अनन्त की जड़ और अरीठों को पानी में घिसकर सांप के काटे से पीड़ित व्यक्ति को पिलाने से जहर में लाभ मिलता है।

1. On snake venom: 

Grind eternal root and arithm in water and give it to the person suffering from snake bite.
 
 2. प्रसूता स्त्रियों के सिर दर्द में

अनन्त की जड़ और भारंगमूल को गरम पानी में घिसकर लेप करने से प्रसूता स्त्रियों के सिर दर्द में तुरन्त लाभ होता है। 

 2. Headache of pregnant women: 

Grind the root of infinity and Indian root in hot water and apply it on the head of pregnant women immediately.

 3. वातज्वर (नन्दवायु) : 

जिन स्त्रियों को महीने पूरे होने से पहले ही प्रसूति (डिलीवरी) होती है, उन्हें नन्दवायु रोग हो जाता है, जिसके कारण उनका मस्तक जड़ हो जाता है, घूमता है, दिया जलने पर दिखलाई नहीं देता, आंखों के आगे अंधेरा हो जाता है, दांत चिपक जाते हैं और वह सिर धुनने लगती है। 

 3. Vatajvara (Nandavayu): 

Women who have maternity (delivery) before the completion of the month, they get Nandavayu disease, due to which their forehead is rooted, rotates, does not show up on the burn, eyes. Gets dark in front of him, teeth stick and he starts tilting his head.

यह लक्षण दिखने पर अनन्त के पेड़ की उत्तर दिशा की ओर का जड़ निकालकर ठंडे पानी में चंदन की तरह घिसकर पूरे मस्तक पर लेप करें और तालू पर भी मालिश करें, साथ ही इसकी जड़ का एक टुकड़ा जूड़े में कसकर बांध दे और शक्ति के अनुसार ठंडे पानी में जड़ घिसकर पिलायें। खाने में कुलथी (कुलित्थ) को उबालकर उसका पानी पीने को दें। इससे नन्दवायु में लाभ मिलता है।

 On seeing this symptom, take out the root on the north side of the eternal tree, grind it like sandalwood in cold water and apply it on the forehead and massage it on the palate as well, tie a piece of its root tightly to the joint and according to the strength Grind the root in cold water and drink it. Boil Kulathi (Kulittha) in food and give it water to drink. It provides benefits in Nandavayu.
  Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
  क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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