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महुआ (Mahua) परिचय गुण तथा इसके आयुर्वेदिक उपयोग Mahua Introduction Properties and its Ayurvedic Uses

महुआ (Mahua) परिचय गुण तथा इसके आयुर्वेदिक उपयोग Mahua Introduction Properties and its Ayurvedic Uses

महुआ (Mahua) के औष्धिय गुण

महुए के फूल मधुर, शीतल, भारी, बल, वीर्य, वात, पित्त नासक होते हैं. इसके फल भी मधुर,शीतल, पुष्टीकारक, वात, पित्त क्षय नासक होते हैं.

Medicinal properties of Mahua

Flowers of mahue are sweet, cold, heavy, strong, semen, vata, gall bladder. Its fruits are also sweet, cold, nourishing, vata, bile decay nasal.

महुआ (Mahua) के आयुर्वेदिक उपयोग Ayurvedic Uses of Mahua

गठिया होने पर:-महुए के फूल को बकरी के दूध में पका कर खाने से बहुत लाभ होता है.

In the case of arthritis: - Eating cooked fruit in goat milk is very beneficial.

धातु पुष्ट:-महुए  की छाल को गाय के घी और शक्कर के साथ मिला कर दिन में तीन बार पीने से धातु पुष्ट होती है.

 Metal Athletic: - Mixing the bark of the lady with cow's ghee and sugar and drinking it thrice a day makes the metal strong.

सांप के काटने पर:-महुए के बीज को पीस कर काटे हुए स्थान पर लगाने और आखों के दोनों कोरों पर लगाने से जहर का  असर कम हो जाता है.

On snake bite: - The effect of poison is reduced by grinding the seeds of the lady and applying it on the cut site and applying it on both eyes.

महुआ वातनाशक:-महुआ वातनाशक और पौष्टिक तत्व वाला होता है.

 Mahua Aphrodisiac: -Mahua is an aphrodisiac and nutritious element.

सूजन कम होती है:-यदि जोड़ों पर इसका लेपन किया जाय तो सूजन कम होती है और दर्द खत्म होता है.

 Swelling is less: - If it is applied on the joints, the swelling reduces and the pain ends.

पेट की बीमारियों से मुक्ति:-इससे पेट की बीमारियों से मुक्ति मिलती है.

 Freedom from stomach diseases: - It gives relief from stomach diseases.

ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ जैसे बहुपयोगी वृक्षों की संख्या घटती जा रही है. जहां इसकी लकड़ी को मजबूत एवं चिरस्थायी मानकर दरवाजे, खिड़की में उपयोग होता है. वहीं इस समय टपकने वाला पीला फूल कई औषधीय गुण समेटे है. इसके फल को ‘मोइया’ कहते हैं, जिसका बीज सुखाकर उसमें से तेल निकाला जाता है. जिसका उपयोग खाने में लाभदायक होता है.

 In rural areas the number of multi-purpose trees like Mahua is decreasing. Where its wood is considered strong and sustainable, it is used in doors and windows. At the same time, the yellow flower dripping at this time has many medicinal properties. Its fruit is called 'Moia', whose seeds are dried and oil is extracted from it. The use of which is beneficial in food.

उपयोग करने वालों का कहना है कि महुआ का फूल एक कारगर औषधि है. इसका सेवन करने से सायटिका जैसे भयंकर रोग से पूर्ण रूप से छुटकारा मिल जाता है.

 Users say that mahua flower is an effective medicine. By taking it, you get rid of a severe disease like cytica.

Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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