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एलबा विभिन्न रोगों में सहायक औषधि Elba Auxiliary medicine in various diseases

एलबा विभिन्न रोगों में सहायक औषधि Elba Auxiliary medicine in various diseases

रंग :

 एलबा का रंग काला होता है। स्वाद : इसका स्वाद बहुत कड़ुवा होता है। स्वरूप : इसे घीकुंवार को निचोड़कर बनाया जाता है।

 Color: 

The color of the alba is black. Taste: It tastes very bitter. Format: It is made by squeezing the gunk.
 
स्वभाव :

 एलबा गर्म प्रकृति का होता है। हानिकारक : इसका अधिक मात्रा में सेवन आंतों के लिए हानिकारक हो सकता है। 

Nature:

 Elba is warm in nature. Harm: Its excessive intake can be harmful to the intestines. 

दोषों को दूर करने वाला : 

कतीरा, गुलाब के फूल, रूमी मस्तगी एलबा के हानिकारक प्रभाव को दूर करते हैं।

Removing blemishes:

 Katira, rose flowers, roomy masti remove the harmful effects of alba.

मात्रा :

 एलबा लगभग 5 ग्राम तक की मात्रा में सेवन कर सकते हैं।

Quantity:

 Elba can be consumed in amounts up to 5 grams.
 
गुण : 

एलबा गर्म प्रकृति का है, कफ वात् नाशक है, पेट साफ करने वाला है। ज्वर मूर्छा (बुखार में बेहोशी आना) और जलन को दूर करता है रूचि को उत्पन्न करता है, आंखों की रोशनी को बढ़ाता है। बहुत पुराने घावों को भरता है। एलबा आंखों के बहुत से रोगों में लाभकारी है। अगर सिरका के साथ रसवत और अफीम भी सेवन करें तो प्लीहा (तिल्ली) को बहुत लाभ करेगा। एलबा और गुड़ को समान मात्रा में मिलाकर गोली बनाकर सेवन करने से कठिन से कठिन पेट दर्द में आराम पहुंचता है।

Properties: 

Elba is warm in nature, phlegm is perishable, cleanses the stomach. Fever fainting (fainting in fever) and relieves irritation, generates interest, increases eyesight. Heals very old wounds. Elba is beneficial in many diseases of the eye. If you consume rasavat and opium along with vinegar, it will greatly benefit the spleen. Mixing equal quantity of alba and jaggery in tablet form and taking it helps in relieving stomach pain.

विभिन्न रोगों में सहायक औषधि : 

जोड़ों का दर्द (गठिया) : घुटने का दर्द दूर करने के लिए 5-5 ग्राम लौंग, भुना सुहागा, कालीमिर्च लेकर कूट-पीसकर घीग्वार के रस में चने जैसे गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। एक गोली सुबह-शाम गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से घुटने का दर्द सही हो जाता है।

Auxiliary medicine in various diseases: 

Joint pain (arthritis): To cure knee pain, take 5-5 grams cloves, roasted icing, black pepper, and crush it and make tablets like ghee in juice of gheewar and dry it in the shade. Knee pain is cured by taking one tablet with warm milk or warm water in the morning and evening.
  Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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