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गाजर शक्ति का संचार,परिचय ,गुण,हानिकारक प्रभाव Communication, introduction, properties, harmful effects of carrot power

गाजर शक्ति का संचार,परिचय ,गुण,हानिकारक प्रभाव Communication, introduction, properties, harmful effects of carrot power
 
परिचय (Introduction)

गाजर प्रकृति की बहुत ही कीमती देन है जो शक्ति का भण्डार है। गाजर फल भी है और सब्जी भी तथा इसकी पैदावार पूरे भारतवर्ष में की जाती है। मूली की तरह गाजर भी जमीन के अन्दर पैदा होती है। गाजर के सेवन से शरीर मुलायम और सुन्दर बना रहता है तथा शरीर में शक्ति का संचार होता है और वजन भी बढ़ता है। 

Carrot is a very precious gift of nature which is a storehouse of strength. Carrot is also fruit and vegetable and it is grown all over India. Like radish, carrots also grow in the ground. Consumption of carrots keeps the body soft and beautiful and there is a communication of power in the body and weight also increases.

बच्चों को गाजर का रस पिलाने से उनके दांत आसानी से निकलते हैं और दूध भी ठीक से पच जाता है। बवासीर, क्षयरोग पित्त आदि में गाजर का सेवन करना बहुत ही उपयोगी है। गाजर का रस दिमाग के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। गाजर के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है तथा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। इसके उपयोग से गुदा की जलन भी दूर हो जाती है।

 By giving carrot juice to children, their teeth come out easily and milk is also digested properly. It is very useful to take carrots in piles, tuberculosis bile etc. Carrot juice is considered very good for the brain. Consumption of carrots keeps the body healthy and also increases immunity in the body. Burning of the anus also ends with its use.

गुण (Property)

गाजर का सेवन करने से आमाशय को शक्ति मिलती है तथा दिल खुश रहता है। यह स्वभाव को कोमल करती है। वीर्य को उत्तेजित करती है। यह कफ को गलाकर बाहर निकाल देती है। खांसी और सीने की जकड़न को यह दूर करती है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। यह पथरी को गलाकर बाहर निकाल देती है। यह जलोदर को नष्ट करती है। इसका रस पागलपन से पीड़ित रोगी को पिलाना लाभकारी होता है। गाजर से बना हलवा तथा पकवान बलवर्धक तथा पौष्टिक होता है।

Consuming carrots provides strength to the stomach and makes the heart happy. It softens the nature. Stimulates semen. It throws the phlegm out. It cures cough and chest tightness. Urination comes easily due to its intake. It throttles the stone out. It destroys ascites. Giving its juice to the patient suffering from dementia is beneficial. Pudding made from carrots and dish is strong and nutritious.

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

अधिक मात्रा में गाजर खाने से पेट में दर्द हो रहा हो तो गुड़ खाना लाभकारी होता है। जिन व्यक्तियों के पेट में गैस बनने की शिकायत हो उन्हें गाजर का रस या गाजर को उबालकर उसका पानी पीने के लिए दें, इससे उन्हें लाभ मिलेगा। गाजर खाने के बाद तुरन्त कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए और गाजर के बीच का पीला भाग नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसे खाने से खांसी होती है।

Eating jaggery is beneficial if there is pain in the stomach due to eating carrot in excess. People who have complaints of gas in their stomach boil carrot juice or carrot and give them water to drink, this will benefit them. One should never drink water immediately after eating carrots and yellow part of carrot should not be eaten as it causes cough.

Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
  क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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