नींबू से पेट के दर्द में आराम मिलता है Lemon provides relief in stomachache.
- नींबू के टुकड़ों पर कालानमक, कालाजीरा और कालीमिर्च का पिसा हुआ चूर्ण डालकर चाटने से लाभ होता है।
- Putting ground powder of black salt, black pepper and black pepper on lemon pieces is beneficial to lick.
- 1 छोटा चम्मच कागजी नींबू के रस में 1 चुटकी कालानमक पिसा हुआ नमक और 1 कप गुनगुने पानी को अच्छी तरह मिलाकर रोगी को देने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
- Mixing 1 teaspoon of kagaji lemon juice with 1 pinch of black salt powder and 1 cup of lukewarm water properly and giving to the patient provides relief in stomachache.
- नींबू को काटकर इसके टुकड़ों पर अजवायन और कालानमक डालकर धीमी आग पर गर्म करके चूसें। इससे पेट दर्द में काफी लाभ होता है।
- Cut lemon and put ajwain and black salt on its pieces and heat it on a low flame and suck. It provides great relief in stomachache.
- 1 चम्मच नींबू और अदरक का रस मिलाकर चाटने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
- Mixing one spoon lemon juice and ginger juice provides relief in stomachache.
- आधे नींबू के रस में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर 100 मिलीलीटर पानी में डालकर पीने से पेट के दर्द में आराम होता है।
- Mix a little rock salt in the juice of half a lemon and put it in 100 ml water and drink, it provides relief in stomachache.
- नींबू के रस में शहद और थोड़ा-सा जवाखार मिलाकर चाटने से लाभ होता है।
- Mixing honey and a little bit of impure carbonate in lemon juice is beneficial.
- 12 मिलीलीटर नींबू का रस, 6 ग्राम शहद और 6 मिलीलीटर अदरक के रस को 1 कप पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में लाभ मिलता है।
- Mixing 12 ml lemon juice, 6 grams honey and 6 ml ginger juice in 1 cup of water, drinking it provides relief in stomachache.
- नींबू का रस 3 मिलीलीटर, चूने का पानी 10 मिलीलीटर, शहद 10 ग्राम तीनों को मिलाकर 20-20 बूंद लें। इससे पेट दर्द और अजीर्ण (मन्दाग्नि) दोनों बीमारियों में लाभ मिलता है।
- Mix 3 ml of lemon juice, 10 ml of lime water, 10 grams of honey and take 20-20 drops. It provides relief in both stomach ache and indigestion.
- कच्चे नींबू का छिलका दिन में 2 से 3 बार खाने से पेट में होने वाले बादी का दर्द मिटता जाता है।
- Eating peel of raw lemon 2-3 times in a day ends the pain in the stomach.
- नींबू की फांकों में कालानमक, कालीमिर्च और जीरा भरकर गर्म करके चूसने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है और पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
- Sucking black salt and black salt mixed with black pepper, black pepper and cumin seeds, cures stomach pain and kills stomach worms.
Ayurveda doctor
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क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
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