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पीठ दर्द आयुर्वेदिक उपचार का भी प्रयोग किया जा सकता है Ayurvedic treatment of back pain can also be used

पीठ दर्द आयुर्वेदिक उपचार का भी प्रयोग किया जा सकता है Ayurvedic treatment of back pain can also be used
 
आयुर्वेद में मौजूद कुछ औषधियों की मदद से भी इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।
कमर दर्द में दशमुल का काढ़ा सुबह शाम पानी से पीना चाहिए। दर्द में आराम मिलेगा।
दर्द का मूल कारण कब्ज भी होता है। इसके लिए 15mm अरंडी के तेल को रात में ले।
रात्रि को गेंहू के दानो को पानी में भिगोए। अगली सुबह खसखस और धनिए के दानो के साथ दूध में डालकर चटनी बनाकर इसका सेवन करे। सप्ताह में दो बार इसके सेवन से दर्द में आराम मिलेगा।

 This problem can also be overcome with the help of some medicines present in Ayurveda.

Decoction of Dashamul should be drunk in the morning and evening with water. You will get relief from pain.

Constipation is also the root cause of pain. For this, take 15mm castor oil at night.

At night, soak wheat grains in water. The next morning, prepare the sauce by adding it with milk of poppy seeds and coriander seeds. Taking it twice a week will relieve pain.

आयुर्वेद के महाविषगर्भ तेल और महानारायण तेल को मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से फ़ायदा मिलता है।

 Applying Ayurvedic Mahavishgarbha oil and Mahanarayana oil to the painful place provides relief.

डॉक्टरी सलाह अनुसार फिजियोथेरेपी ले। अगर डॉक्टर सुझाव दे तो कमर के लिए बेल्ट का प्रयोग करे। जिससे वह की मांसपेशिया अपने स्थान पर तिकी रहेंगी। अच्छे और योग्य फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह ले, गलत सलाह से आपका नुकसान भी हो सकता है।

 Take physiotherapy according to medical advice. If the doctor suggests, then use a belt for the waist. So that her muscles will stay in their place. Take advice from a good and qualified physiotherapist, wrong advice can also harm you.

निरंतर कंप्यूटर पर काम करने वाले व्यक्तिओ को ये समस्या अधिक होती है। इससे बचने के लिए उचित व्यायाम करे और अपने शरीर को स्वस्थ रखे। खाने में कैल्शियम वाले आहार को सम्मिलित करे।

ऊपर बताये गए उपायो का प्रयोग करके मामूली दर्द को दूर किया जा सकता है। यदि आपकी समस्या अति गंभीर है तो अपने डॉक्टर से सलाह ले। और हो सके तो इन उपायो का प्रयोग करने से पूर्व अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करे।

 People who work on computer continuously have more of this problem. To avoid this, do proper exercise and keep your body healthy. Include a diet of calcium in food.

Minor pain can be overcome by using the remedies mentioned above. If your problem is very serious, consult your doctor. And if possible, you should consult your doctor before using these remedies.
  Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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