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अर्जुन एक दिव्य पेड़ और आश्चर्यजनक लाभ पहुंचता है Arjuna is a divine tree and reaches amazing benefits

अर्जुन एक दिव्य पेड़ और आश्चर्यजनक लाभ पहुंचता है Arjuna is a divine tree and reaches amazing benefits
 
अर्जुन का पेड़ जड़ी बूटी में से एक है यह भारतवर्ष में बहुत कम स्थानों पर पाया जाता है यह हिमालय की तलहटी में पाया जाता है छोटा नागपुर के पास में पाया जाता है और दक्षिण बिहार आदि की तरफ भी सामान्य रूप से पैदा होता है इसकी ऊंचाई लगभग 40 से 60 फुट तक होती है इसके पत्तों का आकार मनुष्य की जीभ के समान जैसा होता है इस वृक्ष के ऊपर वैशाख के महीने में अत्यंत सुंदर फूल 
आते हैं इस पेड़ से भूरे रंग का गोद  निकलता है जो लोग हृदय रोग से परेशान हैं उनके लिए इसके मुकाबले की कोई औषधि नहीं है 

Arjuna tree is one of the herbs. It is found in very few places in India. It is found in the foothills of the Himalayas. It is found near Chota Nagpur and is also commonly born towards South Bihar etc. Its height Its leaves are about 40 to 60 feet in size, similar to human tongue, very beautiful flowers on this tree in the month of Vaishakh.

They come from this tree, there is a brown lap, there is no medicine for those who are suffering from heart disease.
 
इसकी छाल को काढ़ा बनाकर उस में गुड़ डालकर और थोड़ा फल सा दूध डाल डाल कर और क्या कर पीने से हृदय की सूजन का बढ़ना रुक जाता है और हृदय से संबंधित किसी भी प्रकार की बीमारी में  इससे बहुत 
फायदा मिलता है इस वृक्ष की छाल का सत्व  निकालकर और शुद्धिकरण की प्रक्रिया करके  रक्त में इंजेक्शन की तरह पहुंचाया जाए तो हृदय को तुरंत आराम मिलता है यदि हृदय का कोई बाल निष्क्रिय हो गया  
हो या हृदय  सिकुड़ गया हो या फिर कोई और तकलीफ हो तो इसे प्रयोग करने से आश्चर्यजनक लाभ पहुंचता है 

 Make a decoction of its bark by adding jaggery to it and adding a little bit of milk to it, what else can stop the swelling of the heart and in any type of heart related disease

Benefit is given by extracting the essence of the bark of this tree and injecting it into the blood by the process of purification, then the heart gets immediate relief if any hair of the heart becomes dormant.

If you have contracted your heart or if you have any other problem, then using it gives amazing benefits.

इसकी लकड़ी को फर्नीचर बनाने के कार्य में भी प्रयोग किया जाता है इस पेड़ की छाल कुछ सफेद रंग की 
होती है इसके फल छोटे छोटे होते हैं और इस पर सफेद रंग के फूल लगते हैं इन फूलों को भी औषधीय कार्य में प्रयोग किया जाता है  भारतवर्ष में इस पेड़ को अलग -अलग राज्यों में अलग -अलग नामो से जानते है  |

Its wood is also used in furniture making, the bark of this tree is of some white color.

Its fruits are small and white flowers are planted on them. These flowers are also used in medicinal work. In India, this tree is known by different names in different states.
  Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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