खून की कमी का उपचार Anemia treatment
अनीमिया होने पर ताजा सलाद खूब खाए, और शहद का नियमित प्रयोग करे, कुछ ही समय में रक्त की कमी दूर हो जायेगी.
Treatment - 1:
In case of anemia, eat plenty of fresh salads, and use honey regularly, blood loss will be removed in no time.
उपचार - 2:
सरकारी दवाखानो में मिलने वाली आयरन की गोलियां भी खून बढाने में काफी असरकारक है.
Treatment - 2:
Iron pills found in government dispensaries are also very effective in increasing blood.
उपचार - 3:
1 कप सेब के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से खून की कमी शीघ्र ही दूर होती है.
Treatment - 3:
Mixing 2 teaspoons of honey in 1 cup of apple juice, drinking quickly removes blood loss.
उपचार - 4:
मेथी के बीजो को भिगोकर, अंकुरित करके प्रतिदिन खाने से कुछ ही समय में खून की कमी दूर होती है.
Treatment - 4:
Soaking fenugreek seeds, sprouting and eating daily, removes blood loss in no time.
उपचार - 5:
200 ग्राम सेब का रस, 200 ग्राम टमाटर का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से रक्त की कमी कुछ ही दिनों में दूर होती है.
Treatment - 5:
Mixing 200 grams of apple juice, 200 grams of tomato juice and drinking in the morning every day removes blood loss in a few days.
उपचार - 6:
किशोरावस्था में लडकियों में रक्त की कमी होने पर, मेथी की हरी पत्तियां उबालकर खाना काफी फायदेमंद होता है.
Treatment - 6:
When there is a lack of blood in girls during adolescence, boiling green fenugreek leaves is very beneficial.
उपचार - 7:
10-12 बादाम पानी में भिगो दे, 3 घंटे बाद छिलके उतार कर पेस्ट बनाकर प्रतिदिन खाने से नया खून शीघ्र बनता है.
Treatment - 7:
Soak 10-12 almonds in water, peel off after 3 hours and make a paste and eat it every day to create new blood quickly.
उपचार - 8:
चाय, कॉफ़ी का प्रयोग बंद कर दे, हरी पत्तेदार सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करे, सेब और टमाटर को नियमित आहार में शामिल करने से खून की कमी दूर होती है.
Treatment - 8:
Stop the use of tea, coffee, consume green leafy vegetables more and more, by including apples and tomatoes in regular diet, anemia is eliminated.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
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