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अलसी से श्वास कास (खांसी) में उपयोगी Useful in breathing with flax (cough)

अलसी से श्वास कास (खांसी) में उपयोगी Useful in breathing with flax (cough)

श्वास कास (खांसी)Respiratory Kas (cough):

5 ग्राम अलसी के बीज, 50 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रखें और 12 घंटे बाद पानी पी लें। सुबह भिगोया हुआ शाम को तथा शाम को भिगोया हुआ सुबह को पी लें। इस पानी के सेवन से श्वास-ग्रस्त रोगी को बहुत शक्ति मिलती है। परन्तु खाने योग्य चीजें और परहेज की चीजों का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। 5 ग्राम अलसी के बीजों को काट-छानकर पानी में उबालें।

Soak 5 grams of flaxseed seeds, 50 ml in water and drink water after 12 hours. Drink soaked in the morning and in the evening soaked in the morning. Consuming this water gives a lot of strength to the patient suffering from breathlessness. But food should be taken care of and things to be avoided. Cut 5 grams of flaxseed seeds and boil them in water.

 इसमें 20 ग्राम मिश्री मिलाकर यदि शीतकाल हो तो मिश्री के स्थान पर शहद मिलायें। इसे पेय के सुबह-सुबह सेवन करने से भी कास श्वास में लाभ होता है। 3 ग्राम अलसी के बीजों को मोटा-मोटा कूटकर 250 मिलीलीटर उबलते हुए पानी में भिगों दें और 1 घंटा ढककर रख दें। उसके बाद छानकर थोड़ी शक्कर मिलाकर सेवन करने से भी सूखी खांसी ढीली होकर आने लगती है और श्वास की बीमारी दूर होती है और पेशाब साफ हो जाता है। 

 Add 20 grams of sugar candy to it, if it is cold, add honey instead of sugar candy. Consuming this drink in the morning also provides relief in breathlessness. Coarsely grind 3 grams of flaxseed seeds and soak them in 250 ml boiling water and keep covered for 1 hour. After that, after filtering and adding a little sugar, even dry cough starts coming loose and breathing disease is cured and urine is cleared.

25 ग्राम अलसी के बीजों को पीसकर रात भर ठण्डे पानी में भिगोकर रखें, सुबह छानकर इस पानी को कुछ गर्मकर इसमें नींबू का रस मिलाकर पिलाने से टी.बी. के रोगी को बहुत लाभ होता है। अलसी के बीजों को भूनकर शहद के साथ चाटने से खांसी मिटती है। अलसी को साफकर धीमी आंच से तवे पर भून लें। जब अच्छी तरह भून जाएं, गंध आने लगे तब इसके बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। जुकाम में 5-5 ग्राम तक गर्म पानी के साथ सुबह-शाम लेने से आराम होता है और खांसी भी नष्ट होती है।

Grind 25 grams flaxseed seeds and soak them in cold water overnight, filter it in the morning and heat some water mixed with lemon juice and drink it. The patient benefits greatly. Cough is cured by roasting linseed seeds with honey. Clean the flaxseed and roast it on a low flame. When roasted well, the smell starts, then mix equal quantity of sugar candy. Taking 5-5 grams of hot water with cold water twice a day provides relief and cough is also eliminated.

Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
  क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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