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सुपर कंप्यूटर से भी तेज़ चलेगा आपका दिमाग Your brain will run faster than a supercomputer


सुपर कंप्यूटर से भी तेज़ चलेगा आपका दिमाग
 Your brain will run faster than a supercomputer


तेज दिमाग और स्मरण शक्ति की प्रसंशा हर कोई करता है। स्मरण शक्ति की बात जब की जाती है तो आज के समय में लोग हर समय कुछ न कुछ भूलते रहते है, बार बार भूलने और कुछ याद न रख पाने की समस्या के कारन व्यक्ति को अनगिनत समस्याओ का सामना करना पड़ता है विशेषकर तब जब व्यक्ति एक विधार्थी हो। यदि आप भी एक विधार्थी है और आप भी अपनी याददाश्त बढ़ाना चाहते है तो आप निम्नलिखित बातो को विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए:
  
Everyone has the power of strong mind and memory power. When it comes to remembering power, in today's times, people forget something at all times, because of the problem of forgetting and not remembering again and again, the person has to face countless problems, especially when one person Become a student. If you are also a student and you also want to increase your memory, then you should take special care of the following:
   
स्वस्थ को लेकर सचेत रहना: सर्वप्रथम व्यक्ति को अपने स्वस्थ पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योकि विद्वान् भी यह मानते है कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का निवास होता है इस लिए आप को अपने स्वास्थ्य को लेकर सदैव सचेत रहना चाहिए। रोग और असक्तता के कारण व्यक्ति को ध्यान लगाने, समझने, पुनर्स्मरण करने, आदि में काफी कठिनायों का सामना करना पड़ता है।

 Be conscious about health: First of all, a person should pay special attention to his health because even the scholars believe that healthy mind is residing in a healthy body so that you should always be cautious about your health. Due to disease and disability, the person has to face many difficulties in meditation, understanding, recollection, etc.

   संतुलित भोजन: संतुलित भोजन व्यक्ति के लिए न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक विकाश दोनो के लिए अतिआवश्यक होता है। अतः व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रतिदिन संतुलित भोजन ग्रहण करे। स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए आप को अपने भोजन में निम्नलिखित वस्तुओ को सम्मिलित अवश्य करना चाहिए-:

 Balanced diet: Balanced diet is essential for the person not only for both physical but mental development. Therefore, the person should take balanced meals daily. To increase the memory power, you must include the following items in your diet:


 अखरोट और बादाम: इसमें विटामिन E, ओमेगा 3, ओमेगा 6 होता है जो कि मस्तिष्क की कोशिकाओं के निर्माण और स्मरण शक्ति में वृद्धि में सहायक होती है

 Walnuts and Almonds: It contains Vitamin E, Omega 3, Omega 6 which helps in the formation of brain cells and increase memory.


 किशमिश: इसमें विटामिन B6, विटामिन C, एंटी-ऑक्सीडेंट होता है जो व्यक्ति के पुनर्स्मरण और ध्यान व् एकाग्रता के लिए अति आवश्यक है।
 
    Raisins: There is vitamin B6, vitamin C, anti-oxidant, which is very important for the person's recollection and attention and concentration.

    डार्क चॉकलेट: ये मस्तिष्क की कार्यक्षमता और क्रियाविधि के लिए अधिक सहायक सिद्ध होते है। जिससे व्यक्ति को पुनर्स्मरण करने में सहायता मिलती है।

    Dark Chocolate: These prove to be more helpful for brain function and mechanism. This helps in recreating the person.


 ब्लू बेरीज: यह भी मस्तिष्क की कार्यक्षमता और क्रियाविधि को बढ़ाने साथ-साथ व्यक्ति की स्मरण शक्ति और ध्यान लगाने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।

Blue Berries: It also helps to enhance the brain's functioning and functioning, while simultaneously enhancing the person's memory power and ability to focus.    


पालक: सब्जियो में पालक सबसे उत्तम होता है स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए इसमें आयरन के साथ साथ विटामिन और अन्य आवश्यक तत्त्व होते है जो व्यक्ति की DNA और मस्तिष्क के विकाश के लिए अति उत्तम होता है।

 Spinach: The spinach is best in vegetables, to increase the memory power, there is vitamins and other essential elements along with iron which is very good for the development of the person's DNA and brain.


 स्मरण शक्ति के विकास के लिए अभ्यास: जिस प्रकार व्यक्ति को शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाने के लिए व्यायाम की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार से मस्तिष्क की कार्यक्षमता के लिए भी अभ्यास करने की आवश्यकता होती है स्मरण शक्ति को बढ़ाने में यह आपको बहुत अधिक मदद करते है।
 
 Practice for the development of remembrance power: Just as a person needs exercise to make the body fattening, in the same way, it is also necessary to practice for the brain's functioning. Let's help.

आशा करते है कि आपको हमारे द्वारा बताये गए उपाय पसंद आएंगे। आप हमसे ऐसे ही जुड़े रहे हम आप तक ऐसी ही रोचक जानकारिया लाते रहेंगे।

 Hope you like the ideas we have mentioned. If you are connected to us like this, we will continue to bring you such interesting information.
Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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