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क्या करें What to do


क्या करें What to do


डिप्रेशन को समझने के लिए हमें इस रोग के बुनियादी स्वरूप को समझना जरूरी है। जैसे कुछ समय के लिए होने वाली तनावपूर्ण स्थिति को हम डिप्रेशन नहीं कह सकते। विशेष विपरीत परिस्थितियों में सभी लोगों को दुख या तनाव महसूस होता है, लेकिन डिप्रेशन ऐसा मनोरोग है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति लगातार काफी समय तक अत्यधिक उदासी और नकारात्मक विचारों से घिरा रहता है।


In order to understand the depression, it is important to understand the basic nature of this disease. As we can not say depression to the stressful situation happening for some time. All people feel sad or stress in special adverse situations, but depression is a psychiatry in which the victim is constantly surrounded by excessive depression and negative thoughts for a long time.


यहीं नहीं, वह शारीरिक रूप से भी शिथिल महसूस करता है। यदि आपके किसी जानने वाले को सहायता की आवश्यकता हो, तो क्या करना चाहिए? इस बारे में मरीज को यह आश्वस्त करना चाहिए कि डिप्रेशन एक ठीक होने वाली बीमारी है। यदि कोई व्यक्ति दो सप्ताह से अधिक वक्त तक दुख, चिड़चिड़ापन, निजी और सामाजिक मामलों में दिलचस्पी नहींले रहा रहा है, तो उसे मदद की आवश्यकता है।


Not only this, he also feels physically relaxed too. What should you do if someone you know is in need of help? In this regard, the patient should make sure that the depression is a recovering disease. If a person is not interested in sadness, irritability, personal and social matters for more than two weeks, then he needs help.


ऐसी स्थिति में आप सहायता का हाथ बढ़ा सकते हैं। ध्यान रहे कि यह सहायता निर्देशात्मक न हो। डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति के आसपास रहें, उनकी बात सुनें और उनके अनुभवों के लिए उनकी आलोचना न करें। किसी मनोरोग विशेषज्ञ से मदद लेने में उनकी सहायता करें। भारत में 90 प्रतिशत मानसिक बीमारी से पीड़ित लोग से उपचार की सुविधा की पहुंच से बाहर हैं।


In such a situation, you can increase the hand of support. Keep in mind that this aid is not mandatory. Stay with the person suffering from depression, listen to them and do not criticize them for their experiences. Help a psychiatrist to get help. In India, 90 percent of people suffering from mental illness are out of reach of treatment facilities.


ऐसा इसलिए, क्योंकि देश में मानसिक बीमारी को एक कलंक की तरह देखा जाता है। ‘मैं पागल नहीं हूं,’ तो फिर मैं मनोरोग विशेषज्ञ के पास क्यों जाऊं? रोगी की इस सोच को बदलने की जरूरत है। भारत में हर तीन मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। इससे भी ज्यादा अफसोस इस बात का है कि डिप्रेशन की बीमारी का इलाज होते हुए भी ऐसा होता हैं। यदि आप डिप्रेशन के साथ जी रहे हैं तो याद रखिए की इसमें आपकी कोई गलती नही है। मदद लेना बहादुरी का काम है। आप डिप्रेशन के खिलाफ जंग जीत सकते हैं।

That's because mental illness in the country is seen as a stigma. 'I am not mad', then why should I go to a psychiatrist? This thinking of the patient needs to change. Every three minutes in India, one person commits suicide. Even more than that, this happens even when treatment of depression is concerned. If you are living with depression, remember that there is no mistake in it. Taking help is the work of bravery. You can win the war against depression.














Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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