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फिट और तरोताजा Fit and freshen up

फिट और तरोताजा Fit and freshen up



बढती एज के साथ आपकी लाइफ भी बिजी होती जारी है। तरह-तरह की जिम्मेदारियां, बढती जरूरतें आपको मशीन बना देती हैं और आपको आराम करने की फुर्सत ही नहीं मिलती, फिर आप नर्वस सिस्टम जाने-अनजाने में ही प्रभावित होने लगात है। नर्वस सिस्टम का कमजोर होने एक ऐसी बीमारी है, जो आपकी हेल्थ को दीमक की तरह चाट जाती है। आप शारीरिक-मानसिक रूप से किसी भी काम के लिए फिर नहीं रह जाते हैं


With increasing Edge your life continues to be busy. A variety of responsibilities, increasing needs make you machines and you do not get the leisure time to relax, then you nervous system is inadvertently affected. The weakening of the nervous system is such a disease, which lasts your health like a termite. You are not physically-mentally retired for any work.







यह एक ऐसा रोग है, जो बाहर से नजर नहीं आता, पर अंदर ही अंदर आपको पीडा से छटपटाते रहते हैं। आप हमेशा शारीरिक और मानसिक दुर्बलता महसूस करते हैं। बात-बात पर आपको गुस्सा आ जाता है। आप जल्दी ही झगडा कर बैठते हैं। अपना कांफिडेंस खो बैठते हैं। मन अस्थिर रहने लगता है और अच्छे-बुरे को समझने की क्षमता कम हो जाती है। हर वक्त ये विचार आता रहता है कि आप किसी योग्य नहीं हैं।





It is a disease that is not seen from the outside, but inside you keep on jumping with pain. You always feel physically and mentally impaired You get annoyed by the talk. You soon fight. Lose their Confidence. The mind becomes unstable and the ability to understand the good and the bad decreases. All the time, the idea remains that you are not worthy of anybody.

 झूठ बोलना, स्वार्थी बन जाना आम बात हो जाती हैं। भूख नहीं लगती है। कब्ज बनी रहती है। मन में आत्महत्या का विचार आने लगता है। उपचार के अभाव में आपको लकवा हो जाना, बहरापन आ जाना या बात करने की शक्ति खत्म हो जाना जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।





Lying, becoming selfish are commonplace. Does not look hungry. Constipation persists. The idea of ​​suicide takes place in mind. In the absence of treatment, you may have problems like paralysis, deafness, or the lack of power to talk.





योगाभ्यास इस रोग का बेस्ट इलाज है। योगाभ्यास से नर्वस सिस्टम की तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं और आप खुद को पहले की तरह फिट और तरोताजा महसूस करने लगते हैं। इसके लिए सयम निकालें क्योंकि फिट रहने के लिए खुद की देखभाल जरूरी है और यह काम से भी अधिक जरूरी है।



Yoga is the best remedy for this disease. All problems of the nervous system are overcome by Yoga and you start feeling yourself fit and refreshing as before. Remove it for yourself because it is necessary to take care of yourself to stay fit and it is more important than work.



भोजन जल्दी पचने वाला और क्षारप्रधान लें। ऐसा खाना खाएं, जिसमें पर्याप्त मात्रा में सोडियम, फासफेरस और विटामिन बी-1 हो। यह खनिज तथा विटामिन फलों, दूध, चोकर, हरी सब्जियों, दालों के छिलकों आदि में सबसे अधिक होता है।





Take food fast-paced and alkaline. Eat such food, which contains adequate amounts of sodium, phosphorus and vitamin B1. It is most of the minerals and vitamins in fruits, milk, bran, green vegetables, pulses and so on.



बे्रकफास्ट में कभी दूध-दलिया, कभी मंूग, मोठ, चना, अंकुरित कर बाद में थोडा भाप से हल्का पकाकर उसमें प्याज, अदरक, टमाटर, खीरा आदि मिलाकर या मिक्स आटे की रोटी मक्खन-मलाई के साथ लें और साथ में दूध पीएं।कोई नशा ना करें। शराब पीते हैं तो कम करें या बिल्कुल ही छोड दें। शराब बौडी और आत्मा दोनों का ही नाश करती है।





Make sure to cook milk, porridge, mung beans, gram, spin, after a little steam, add onions, ginger, tomato, cucumber etc. or roast the flour flour with butter and cream and drink milk together. Do not add any intoxication. If you drink alcohol then reduce or leave it at all. Alcohol destroys both the body and the soul.
Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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