इन
कारणों के चलते भारत
में जाती हैं जानें Due to these reasons, people go to India
1. दिल
की बीमारियां heart diseases
बदलते
लाइफस्टाइल में आज लोगों को
काफी छोटी उम्र में ही दिल से
जुड़ी शिकायतें होने लगती है. कुछ स्टडीज यह भी दावा
करती हैं कि दिल का
बीमारियों का संबंध अवसाद
से होता है, जो व्यक्ति के
लिए घातक हो सकता है.
In the changing lifestyle, today people start getting complaints related to the heart at a very young age. Some studies also claim that heart diseases are related to depression, which can be fatal for a person.
2.फेफड़ों
या सांस संबंधी रोग lung or respiratory diseases
फेफड़ों
की बीमारियों से ग्रस्त लोगों
को सांस लेने में दिक्कत और कफ की
समस्या महसूस होती है. यह बीमारियां उम्र
बढ़ने के साथ-साथ
और भी गंभीर हो
जाती हैं. इसका एक बड़ा कारण
दूषित हवा में सांस लेना है.
People suffering from lung diseases feel difficulty in breathing and phlegm problems. These diseases become more serious with aging. A major reason for this is breathing in contaminated air.
3. डायरिया
संबंधी रोग Diarrheal diseases
डायरिया
संबंधी रोग देश में पांच वर्ष से कम उम्र
के बच्चों की मौत का
दूसरा बड़ा कारण हैं. इन बीमारियों से
साफ-पानी और साफ-सफाई
रख कर बचा भी
जा सकता है. डायरिया के चलते हर
साल करीब 5.25 लाख बच्चे मारे जाते हैं.
Diarrheal diseases are the second leading cause of death of children under five in the country. These diseases can also be avoided by keeping clean water and cleanliness. Every year around 5.25 lakh children die due to diarrhea.
4. सरबोवेसकुलर
बीमारियां Sarabovascular diseases
इन
बीमारियों का सीधा संबंध
मस्तिष्क तक रक्त पहुंचाने
वाली धमनियों और कोशिकाओं (ब्लड
वैसल) से होता है.
जो आर्टरीज मस्तिष्क तक ऑक्सीजन और
जरूरी पदार्थों की आपूर्ति करती
हैं, उनमें अगर कोई मुश्किल आती है तो ये
बीमारियां और डिसऑर्डर जन्म
लेते हैं.
These diseases are directly related to blood vessels and blood vessels (blood vessels). Those diseases which supply oxygen and essential substances to the brain, if any difficulty arises, then these diseases and disorders are born.
5. श्वसन
संक्रमण Respiratory infection
इसे
लोउर रेस्पिरेटरी ट्रेक्ट इनफेक्शन भी कहते हैं,
जिसे आम बोलचाल में
निमोनिया और फेफड़ों के
अन्य इंफेक्शन के लिए प्रयोग
किया जाता है. इसमें ब्रोंकाइटिस भी शामिल है.
बुखार, कमजोरी, कफ, थकान इस संक्रमण के
लक्षण होते हैं.
It is also called lower respiratory tract infection, which is commonly used for pneumonia and other infections of the lungs. It also includes bronchitis. Fever, weakness, phlegm, fatigue are symptoms of this infection.
6. ट्यूबरक्लोसिस
(टीबी) Tuberculosis (TB)
एक
खास तरह के बैक्टेरिया से
होने वाली ये बीमारी आमतौर
पर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती
है. लेकिन यह शरीर के
अन्य हिस्सों को भी प्रभावित
कर सकती है. टीबी एक संक्रामक बीमारी
है, जिसका बैक्टेरिया हवा के जरिए किसी
स्वस्थ शरीर में जा सकता है.
This disease caused by a particular type of bacteria usually damages the lungs. But it can also affect other parts of the body. TB is an infectious disease, whose bacteria can pass through the air to a healthy body.
7. डायबिटीज Diabetes
डायबिटीज
का सीधा संबंध खून में मौजूद शकर के स्तर से
होता है. जिन लोगों के खून में
शकर की मात्रा बढ़
जाती है उनके शरीर
की पाचक-ग्रंथियां इंसुलिन का उत्पादन कम
करती हैं. यही स्थिति डायबिटीज की होती है.
आज यह एक लाइफस्टाइल
बीमारी बन गई है.
Diabetes is directly related to the level of sugar present in the blood. The digestive glands of people whose sugar increases in the blood decreases the production of insulin. This is the condition of diabetes. Today it has become a lifestyle disease.
8. रोड
एक्सीडेंट Road accident
रोड
एक्सीडेंट के मामले भी
बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं.
प्रशासन ने हेलमेट पहनने
से लेकर स्पीड लिमिट तक के कई
नियम बनाए हैं, लेकिन सड़कों पर इनका अमल
नहीं होता. वहीं शराब पीकर गाड़ी चलाना देश में एक बड़ी समस्या
बन गया है.
Road accident cases have also increased rapidly in the last few years. The administration has made many rules ranging from wearing helmets to speed limits, but they are not implemented on the roads. Drinking alcohol has become a major problem in the country.
9. किडनी
की बीमारियां Kidney diseases
मानव
शरीर में किडनी का काम कचरा
जमा कर उसे मूत्र
के रूप में बाहर निकालना होता है. जब किडनी को
बीमारी लग जाती है
तो यह अपना काम
ठीक से नहीं कर
पाती और शरीर में
बड़े स्तर पर कचरा जमा
हो जाता है, जो कई मामलों
में जानलेवा भी साबित होता
है.
Kidney work in human body is to collect garbage and take it out in the form of urine. When the kidney becomes sick, it is unable to do its job properly and a large amount of garbage gets deposited in the body, which in many cases also prove fatal.
10. स्वयं
को नुकसान Self-harm
स्वयं
को नुकसान पहुंचा कर मौत को
गले लगाना भी देश की
बड़ी समस्या बन गया है.
इसमें आत्महत्या, अवसाद जैसे कारण प्रमुख हैं. इंटरनेट युग में कई खेल और
सनकीपन भी लोगों की
जान का दुश्मन बन
रहा है.
Embracing death by harming oneself has also become a major problem of the country. Causes like suicide, depression are prominent in this. Many games and eccentricities are also becoming enemies of the lives of people in the Internet age.
Dr.Manoj Bhai Rathore
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
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आवश्यक दिशा निर्देश
1.
हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको
अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि
बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग
करना हानिकारक हो सकता है।
2.
अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी
प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन
नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते
हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और
जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3.
औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान (पथ्यापथ्य) का पूरा ध्यान
रखना चाहिए क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी
रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4.
रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति
किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी
से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ
होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप
रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5.
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही
जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त
कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7.
प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान
और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर, एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं
औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित,
शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया
जा सकता है।
8.
आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि
आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही
उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9.
रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से
ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना, दूसरा-स्पर्श (छूना) और तीसरा- प्रश्न
करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान, त्वचा,
आंख, जीभ, नाक इन 5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की
वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10.
चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार (रोगी की देखभाल करने वाला) से रोगी
की शारीरिक ताकत, स्थिति, प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही
उसका इलाज करे।
11.
चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात
का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या
नहीं।
12.
जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है,
उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की
औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष
अलग-अलग होते हैं।
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