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रक्तदान करने के फायदे Benefits of donating blood


रक्तदान करने के फायदे Benefits of donating blood


अगर किसी को कुछ दान करना है तो रक्तदान करना चाहिए क्योकि इससे बढ़कर और कोई दान नहीं होता आप किसी को रक्तदान करते है तो उसकी जान ही नहीं बचते बल्कि ये आपका महादान भी होता है और इस दान से आपकी सेहत पर भी अच्छा असर पड़ता है विशेषज्ञों का मन्ना है की रक्तदान करते रहने से हार्ट अटैक और कैंसर का खतरा कम हो जाता है। उनके मुताबिक एक पिंट यानी एक बड़े गिलास के बराबर रक्तदान करने से 650 कैलोरी बर्न होती है।





If someone has to donate something then donate blood as there is no more donation than this. If you donate blood to someone, then you do not lose his life but it is also your mahadan and this gift also has a good effect on your health. Experts believe that keeping blood donation reduces the risk of heart attack and cancer. According to him, blood donation of 650 calories is burned by a pint equal to one big glass.





इतना ही नहीं, व्यक्ति का रक्त भार कम होने से शरीर में खून को गाढ़ा बनाने वाले आयरन की मात्र में कमी होती है। क्योकि अगर आयरन की मात्र अधिक होगी तो आर्टरीज पर दवाब पड़ेगा जिससे दिल का दौरा पड़ने खतरा बना रह सकता है। फिनलैंड में एक रिसर्च में 2,682 लोगों ने भाग लिया ‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशनने पाया कि 43 से 60 साल के जिन लोगों ने हर छह महीने के अंतराल पर रक्तदान किया था, उनमें हार्ट अटैक का खतरा कम निकला। लगभग 80% यह खतरा काम हुआ है। रक्तदान को कैंसर के खिलाफ बड़ा हथियार माना जा रहा है।



Not only this, the decrease in the amount of iron that makes the blood thicker in the body by reducing the blood pressure of the person. If Iron is more than that, then there will be pressure on the arteries, which can be a risk of heart attack. 2,682 people participated in a research in Finland 'Journal of the American Medical Association' found that the risk of heart attack in the 43 to 60 year old people who donated blood at every interval of six months decreased. About 80% of these hazards have happened. Blood donation is considered to be a major weapon against cancer.



नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ने बताया कि शरीर में आयरन का उच्च स्तर कैंसर को जन्म दे सकता है। इसके लिए 1200 लोगो पर रिसर्च किया तो पता चला की हर 6 महीने में जिसने रक्तदान किया है । उसमे आयरन की कमी आई है। और कैंसर का खतरा काम हो जाता है । इसके अलावा रक्तदान से शरीर में जो नया रक्त बनता है, उसके सेल्स ज्यादा स्वस्थ होते हैं और नए रक्त उत्पादन से शरीर चुस्त रहता है।





The National Cancer Institute said that high levels of iron in the body can lead to cancer. Researching 1200 people for this, it came to know that every six months who donated blood. There is a lack of iron in it. And the risk of cancer becomes work. Apart from this, the new blood formation of the blood in the body, its cells are more healthy and the body is tight with new blood production.

Dr.Manoj Bhai Rathore 
Ayurveda doctor
Email id:life.panelbox@gmail.com
क्या करे क्या न करे(स्वास्थ्य सुझाव)What to do, what not to do (health tips)
Self site:-see you again search आप फिर से खोज देखें
 yourselfhealthtips.blogspot.com

आवश्यक दिशा निर्देश
1. हमारा आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी भी तरह के रोग से पीड़ित हैं तो आपको अपना इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा लेना और एकसाथ एक से अधिक पैथियों का प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।
2. अगर हमारी वेबसाइट में दिए गए नुस्खों या फार्मूलों से आपको किसी भी प्रकार की हानि होती है, तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे, क्योंकि इन नुस्खों को गलत तरीके से लेने के कारण ये विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रभाव रोगी की प्रकृति, समय और जलवायु के कारण अलग-अलग होता है।
3. औषधि का सेवन करते समय आपको अपने खान-पान  (पथ्यापथ्य)  का पूरा ध्यान रखना चाहिए  क्योंकि किसी भी रोग में औषधि के प्रयोग के साथ-साथ परहेज भी रोग को ठीक करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाता है।
4. रोगी को कोई भी दवा देने से पहले यह जानना आवश्यक है कि रोग की उत्पत्ति किस कारण से हुई है। जिस कारण से रोग पैदा हुआ है उसकी पूरी जानकारी रोगी से लेनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण रोगी का रोग कुछ होता है और उसे किसी अन्य रोग की औषधि दे दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप रोगी की बीमारी समाप्त होने के बजाय असाध्य रोग में बदल जाती है।
5. शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध आहार की जानकारी बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इस जानकारी से आप असाध्य से असाध्य रोग को जड़ से समाप्त कर शरीर को पूर्ण रूप से रोग मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रत्येक पैथी में कुछ दवाईयां कुछ रोगों पर बहुत ही असरदार रूप से प्रभावकारी होती हैं।
7. प्रत्येक पैथी का अविष्कार आवश्यकता पड़ने पर ही हुआ है क्योंकि एक जवान और मजबूत आदमी को मसाज, एक्यूप्रेशर,  एक्यूपेंचर, हार्डपेथियों एवं औषधियों द्वारा लाभ पहुंचाया जा सकता है लेकिन असाध्य रोग से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर और बूढ़े रोगियों पर इन पेथियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
8. आयुर्वेद और होम्योपैथिक के सिद्धांत बिल्कुल मिलते-जुलते हैं क्योंकि आयुर्वेद से ही होम्योपैथिक की उत्पत्ति हुई है जैसे- जहर को जहर द्वारा ही उतारा जा सकता है, कांटे को कांटे से ही निकाला जा सकता है।
9. रोगी के लक्षणों की जांच के दौरान चिकित्सक को तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, पहला-देखना,  दूसरा-स्पर्श  (छूना)  और तीसरा- प्रश्न करना या रोगी से सवाल पूछना। महान ऋषि ‘सुश्रुत’ के अनुसार कान,  त्वचा,  आंख,  जीभ, नाक इन  5 इन्द्रियों के माध्यम से किसी भी तरह के रोग की वास्तविकता की आसानी से पहचान की जा सकती है।
10. चिकित्सक को चाहिए कि, वह तीमारदार  (रोगी की देखभाल करने वाला)  से रोगी की शारीरिक ताकत,  स्थिति,  प्रकृति आदि की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका इलाज करे।
11. चिकित्सक को इलाज करने से पहले रोगी को थोड़ी-सी दवा का सेवन कराके इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि यह दवा रोगी की शारीरिक प्रकृति के अनुकूल है या नहीं।
12. जिस प्रकार व्याकरण के पूर्ण ज्ञान के बिना शिक्षक योग्य नहीं हो पाता है, उसी प्रकार से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हुए बिना किसी प्रकार की औषधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हर औषधि के गुण-धर्म और दोष अलग-अलग होते हैं।

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